तुमने दिल में जगह पक्की कर ली
तुमने दिल में जगह पक्की कर ली
"मीरा, आज माॅ॑ और पापा आ रहे हैं तो तुम कुछ दिन के लिए छुट्टी ले लो। उनका ध्यान रखो, उन्हें अच्छा लगेगा।" समर ने कहा
" हां, ठीक कह रहे हो मैंने तो पहले से ही एप्लीकेशन दे दी है।"मीरा ने बताया
माॅ॑ पापा जितने दिन रहे मीरा ने बहुत अच्छे से ध्यान रखा। ऑफिस से कुछ दिन छुट्टी ले ली और कुछ दिन वर्क फ्रॉम होम ले लिया, यदि कभी जाना हुआ तो जल्दी घर आ गई।माॅ॑ पापा खुश होकर गए।
थोड़े दिन बाद उनके पास समर के बुआजी और फूफाजी आए। मीरा और समर ने उनका ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मीरा और समर बेंगलुरु में रहते हैं ससुराल पक्ष से कोई ना कोई आता रहता है और वह यथासंभव उनका स्वागत करती है। जरूरत पड़ने पर छुट्टियां लेती है, घुमाती-फिराती है।
कुछ दिन बाद...
"मीरा, आज मेरा बैचमेट और जिगरी दोस्त अर्जुन चार साल बाद अपने घर आ रहा है। मैंने कल डिनर पर फैमिली के साथ बुला लिया। ठीक है ना"
"हां, बहुत सुना है अर्जुन के बारे में तुमसे, कल मिलना भी हो जाएगा। ऐसा करते हैं आज घर सैट कर लेते हैं, मैं खाने के लिए जरूरी सामान की लिस्ट बना लेती हूॅ॑। सुबह थोड़ा बनाकर चली जाउंगी फिर हाॅफ डे लीव ले लूंगी।"मीरा ने खुश होकर कहा
अगले दिन जमकर खातिरदारी की, अर्जुन, उसकी पत्नी ज़ोया व एक साल के अविरल से मिलकर समय कब निकल गया, पता ही न चला। उन दोनों को अर्जुन और ज़ोया ने मुम्बई आने का निमंत्रण दिया।
ऐसे ही हंसी खुशी समर और मीरा की लाइफ मस्ती में गुजर रही है। शादी को एक साल हुआ है तो प्यार दुलार भी है, हालांकि उनका विवाह अरेंज्ड मैरिज है पर लव बर्ड्स ही लगते हैं सबको वो दोनों।
रक्षाबंधन का पर्व कुछ ही दिनों में आने वाला है।समर की कोई बहन नहीं है, इकलौता बेटा है। मीरा के बड़े भाई मोहन और भाभी संध्या हैं। रक्षाबंधन पर कभी ऐसा नहीं हुआ कि उसने भैया को राखी न बांधी हो। इस बार जाॅब में वर्कलोड ज्यादा होने की बात सुनकर मोहन ने बेंगलुरु आने का कार्यक्रम बना लिया। अब नैनीताल से बेंगलुरु आ ही रहें हैं तो मीरा ने एक हफ़्ते के लिए आने का भैया से आग्रह किया। भैया को पांच दिन की छुट्टी मिल गई, बाकी शनिवार, रविवार मिलाकर हफ्ते की बन गई।
रक्षाबंधन से दो दिन पहले भैया व भाभी आने वाले हैं, मीरा ने समर को बताया तो उसने कहा अच्छा है। मीरा ने नोटिस किया कि अब समर शाम को लेट आने लगा। उसने पूछा तो उसने कहा कि काम ज्यादा है।
मीरा ने भैया भाभी के आने की तैयारी अकेले ही कर ली। वह जब भी कुछ कहती कि मेन्यू क्या रखेंगे या कहां घूमने जाएंगे तो समर निर्विकार भाव से कहता कि मीरा ही देख ले।
मीरा के भैया भाभी आ गए। समर थोड़ी देर बाद काम ज्यादा है, बोलकर ऑफिस चला गया। शाम को भी लेट आया, एक दो बार दिन में मीरा को फोन किया करता था। वो भी भूल गया, मीरा ने ही कर लिया फोन।
हफ़्ते में दो दिन बाहर जा पाए, बाकी मीरा ने वर्क फ्रॉम होम ले लिया था। भैया भाभी के साथ उसे अच्छा लग रहा था पर एक फीलिंग यह मीरा के मन में आ गई कि समर समय नहीं निकाल पाया उसके भाई भाभी के लिए। मीरा तो समर के घर से किसी के भी आने पर चाहें वे कितनी दूर के रिश्तेदार हों, बड़े लगाव व अपनेपन से पेश आती है।
भैया भाभी एक हफ़्ते में चले गए। समर का वर्क लोड शायद सात दिनों के लिए ही था, अब वह घर समय से आने लगा।
कुछ वक्त के बाद समर के चाचा की बेटी के सपरिवार आने का हुआ। समर ने पूरे उत्साह से तैयारी करवाई , बताया कि उसकी चचेरी बहन को क्या पसंद है, कहां घूमेंगे आदि आदि...
मीरा ने अबकी बार भी अच्छी तरह से सबकुछ मैनेज किया।
ऐसे ही वक्त गुजरता गया...
एक दिन मीरा को अपनी बेस्ट फ्रेंड सिमरन के आने का फोन आया। सिमरन का कोई कांफ्रेंस बेंगलुरु में होने वाला है , वह दो दिन के लिए आने वाली है। कंपनी ने होटल में स्टे का अरेंजमेंट किया है। मीरा ने एक रात का डिनर अपने यहां फिक्स कर लिया।
खुशी खुशी उसने समर को यह बात बताई तो समर बोला कि उसकी दोस्त से मिलकर वह क्या करेगा? मीरा सिमरन से खुद ही मिल लें, डिनर घर पर है तो वह ऑफिस से लेट आ जाएगा।
सिमरन के आने में तीन दिन बाकी थे। मीरा ने सोचा अब बहुत हो गया समर से बात करनी ही पड़ेगी।
मीरा ने डिनर के बाद काॅफी बनाई। समर से बोला कि उसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं।
समर बोला," मीरा, क्या बात है?"
मीरा ने कहा," समर, जब जब तुम्हारे घर से कोई भी आया मैंने सबकी अच्छी तरह से आवभगत की।कभी शिकायत का मौका नहीं दिया। यहां तक कि दूर दराज का भी कोई आया तो उसको पूछा। तुम्हारे दोस्तों का भी खाना पीना करती रहती हूॅ॑। तुम भी बढ़-चढ़कर तैयारियां करवाते हो।
हां, यहां मैं मम्मी जी और पापाजी की बात नहीं कर रही हूॅ॑, उनका घर है यह।"
समर ने हैरत से कहा," बिल्कुल सही कह रही हो, मैंने कब इंकार किया इस बात से?"
मीरा ने आगे कहा," समर, फिर मेरे घरवालों के साथ अलग बर्ताव क्यों? मेरे भाई भाभी के लिए तुम्हारे पास समय नहीं था। मेरी बेस्ट फ्रेंड आ रही है, तुम्हें मिलना तक गवारा नहीं? मैं क्या तुम्हारे दोस्तों या उनकी पत्नियों को पहले से जानती थी, नहीं ना? फिर भी मिली सबसे और तुम...."
ऐसा कहते कहते मीरा रुआंसी हो गई।
समर को अब तक अपनी गलती का एहसास भली प्रकार से हो चुका था।
उसने अपने कान पकड़कर मीरा से कहा," मीरा , भारी गलती हो गई मुझसे। आगे से नहीं होगा ऐसा, मैं सबका समान रूप से स्वागत करूंगा। अब तो माफ़ कर दो। आज ही भैया भाभी को न्यू ईयर पर इन्वाइट करता हूॅ॑।"
मीरा नम हुई आंखों से ही हंस पड़ी, बोली" समर हम पत्नियां अपने घरवालों और दोस्तों के लिए आदर एवम् सम्मान पतियों से चाहती हैं। आज तुमने मेरे दिल में अपनी जगह पक्की कर ली।"
दोनों खिलखिला कर हंस पड़े।
दोस्तों, कभी कभी बात करने से भी मसले हल हो जाते हैं। पत्नियां के दिल तक पहुंचने का सीधा सरल रास्ता है, "उनको और उनके अपनों को आदर व सम्मान देना।"
