Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

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तुम्हें सिर्फ मामी ही बनना है।

तुम्हें सिर्फ मामी ही बनना है।

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सीमा अभी बाथरूम से नहाकर आई ही थी कि वह अपने कमरे का हाल देखकर चौंक गई। अभी उसकी शादी हुए महीना भी नहीं हुआ था, हनीमून से लौटकर आए हुए अभी 5 दिन भी नहीं हुए थे। सीमा का पति चार बड़ी बहनों का इकलौता भाई था और चारों बहनें उसी शहर में आस पास ही रहती थीं। घर में भाभी के आने से सभी बहनों को और सासू मां को बहुत खुशी हो रही थी। चारों बहनों के आठों बड़े छोटे बच्चे भी घर के नए सदस्य मामी को छोड़ने को तैयार ही नहीं थे।

सीमा के हनीमून से वापस लौटने के बाद से चारों बहनों की इच्छा भी थी कि इस साल नया साल हम सब इकट्ठे मनाएंगे। वैसे भी नया साल क्योंकि शनिवार इतवार के बाद ही पड़ रहा था तो बच्चों की छुट्टियां भी थीं। पूरा दिन घर में धमा चौकड़ी मची ही रहती थी।

अभी सीमा नहाकर बाथरूम से निकली ही थी कि उसने देखा उसका शादी वाला लहंगा जो कि अभी कमरे में अपने पहनने के कपड़े निकालते हुए वह मेज पर ही रख गई थी उसे उसकी बड़ी नंदरानी की बेटी पहनकर शीशे के सामने खड़ी हुई थी। बाकी छोटी बहन के बच्चे उसका वैनिटी केस खोलकर खुद का और उसका मेकअप कर रही थी। सबसे छोटी ननद के बच्चे उसी वैनिटी केस से नेल पॉलिश निकालकर उसकी चद्दर पर फैला चुके थे और साथ ही सिंदूर का उस चादर पर लेपन कर रहे थे।

यह सब देख कर सीमा का तो मानो रोना ही छूट गया। ना तो जोर से बोलते बन रहा था और ना ही चुप रहते। ऐसा लग रहा था कि इस जन्म में भी कई बार दिए हुए श्राप सिद्ध हो जाते हैं। जी हां सीमा भी अधिकतर अपनी नानी के घर ही रहती थी क्योंकि सीमा की मम्मी नौकरी करती थी और घर में रहने के बाद वह अपनी नानी का प्यार पाने के लिए अक्सर अपनी दोनों मामियों की हर बात बढ़ा चढ़ाकर नानी को बताती ही रहती थी। घर में होने वाली हर फसाद की जड़ वही होती थी। नानी भी ऐसी थी कि हर बात में लाख समझाने पर भी सिर्फ सीमा की बात को ही सही मानती थी। उनके दिए हुए इसी बढ़ावे के कारण सीमा इतनी मुंहजोर हो गई थी। अपनी मामियों को उल्टा जवाब तो देती ही थी, अपितु उनके बच्चों के खिलौने भी तोड़ देती थी। जिस कारण उन्हें अपने बच्चों के खिलौने भी हर समय छुपाकर रखने पड़ते थे, अन्यथा वह बच्चे रोते हुए ही दिखते थे।

हालांकि सीमा की मां की मजबूरी थी कि नौकरी पर जाते हुए उसे अपनी इकलौती बच्ची को मां के घर पर ही छोड़ कर जाना पड़ता था। वह सीमा को समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी और यदा-कदा भाभियों से उसके कारण होने वाले नुकसान की भरपाई की भी कोशिश करती थी और माफी भी मांग लेती थी। लेकिन नानी की शह इस हद तक बढ़ी हुई थी, अपनी शादी के समय भी जब सीमा को पता चला कि शादी में पहनने वाली नथ मामा देते हैं तो उसने छोटी मामी की शादी वाली नथ ही लेने की मांग करी। हालांकि मामा ने तो कहा भी था कि तुम मामी की नथ रहने दो मैं तुम्हें दूसरी ऐसी ही नथ दिलवा दूंगा लेकिन जिद्दी सीमा भी कहां मानने वाली थी। आखिर मामी की नथ लेकर ही मानी। बस विदा होते हुए मामियों ने कहा ख्याल रखना जिस घर में तुम जा रही हो ना वहां तुम्हें सिर्फ मामी ही बनना है। यह कहकर दोनों मामियां एक दूसरे को आंखों में देख कर मुस्कुरा उठी थीं।

मामियों के कहे इस वाक्य का अर्थ उसे अब समझ आ रहा था और चलचित्र के जैसे उसका अपना व्यवहार उसकी आंखों के सामने घूम रहा था। उसका खुद का भी तो ऐसा ही व्यवहार होता था, तो क्या अब उसे पूरी जिंदगी ऐसे ही---?

तभी शोर की आवाज सुनकर सासू मां ऊपर आई, आते ही कमरे की हालत देखकर वह खुद भी घबरा गई और नानी के व्यवहार से बिल्कुल उलट उन्होंने बच्चों को डांटते हुए कहा आज के बाद तुम इस कमरे में शैतानी करने को कभी नहीं घुसोगे। बहू का कोई भी सामान जो बहू ने संभाल कर रखा हो अगर वह खो गया तो कौन जिम्मेदार होगा? ऐसा कहते हुए उन्होंने ऊपर आवाज सुनकर देखने को आई। अपनी बेटियों को भी डांट लगाई कम से कम यह तो देख लिया करो कि तुम्हारे बच्चे कर क्या रहे हैं? अगर तुम्हारी चीजों को कोई भी बच्चा छेड़ता है तो तुम मरने मारने पर उतारू हो जाती हो अब इस बेचारी बहू ने तो किसी को कुछ कहा भी नहीं। चुप करके सारे बच्चे कमरे से बाहर निकल गए और बड़ी बेटी जिसने लहंगा पहना था वह लहंगा बदलने को बाथरूम में चली गई। सीमा हैरानी से और मन ही मन शुक्रिया करती हुई अपनी सासू और ननदों को कमरे से जाते हुए देख रही थी।

काश ऐसा ही उसकी नानी ने भी उससे पहले दिन कह दिया होता तो मामियों को शायद यह कहने की नौबत ना आती कि याद रखो सीमा तुम्हें तो अब सिर्फ मामी ही बनना है। मन ही मन उसने मामियों से क्षमा मांगी और अपने मन में यह सोच लिया था कि मामी की नथ वह वापिस कर देगी और ---------।



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