तुम्हें मैं चाहिए या..(भाग-1)
तुम्हें मैं चाहिए या..(भाग-1)
"तुमने उस वक्त क्यों नहीं कहा कि तुम मेरे साथ रहना चाहती हो। ज़ब तुम्हारे पापा मेरे पापा से दहेज़ की रकम मांग रहे थे। तुम तब भी चुप थी ज़ब मुझ पर और मेरे मम्मी पापा पर गलत इलज़ाम लगे, आखिर क्यों.... सौम्या...?"
रजत ने सौम्या से कहा तो सौम्या ने उसकी तरफ देखते हुए कहा,
" कैसे कहती...? तुमने भी तो मुड़कर नहीं देखा था …मुझे इतना कुछ कहना था...लेकिन तुमने कुछ सुना ही नहीं!"
" तुम्हें पता है सौम्या मैं हर दिन सोचता था कि तुम्हारा फोन आएगा कहीं कई बार सोचा कि जाकर तुमसे मिल आऊं। फिर मुझे कनिका की बात याद आती कि... तुमने यह शादी मजबूरी में की थी। ऊपर से तुम्हारे माता पिता द्वारा लगाए हुए बेबुनियाद इलज़ाम... याद करता तो फिर मेरा सारा उत्साह ठंडा पड़ जाता और मैं मन को समझा लेता कि...अब यह जिंदगी ऐसे ही कटेगी!"
"अच्छा... तो.... तुमने दूसरी शादी नहीं की ?
तुम्हारा किसी से अफेयर नहीं चल रहा था?
और वह बिपाशा......? बिपाशा के साथ तो तुम्हारे बहुत अफेयर के चर्चे सुने थे। तुम दोनों रिलेशन शिप में नहीं हो क्या।...? या फिर तुम दोनों का ब्रेकअप हो गया ?"
सौम्या ने एक के बाद एक इतने सारे सवाल कर दिए कि....रजत समझ नहीं पा रहा था कि पहले वह उसके किस सवाल का जवाब दे।
फिर उसने एक एक करके सौम्या के सवाल का जवाब बड़े ही धैर्य के साथ दिया।
" सुनो...सौम्या मेरा किसी से अफेयर नहीं चल रहा था। मैंने अपनी मर्जी से और खुशी खुशी तुमसे शादी की थी। मुझे तुम बहुत पसंद थी और वो बिपासा तो बस मेरी ऑफिस कुलीग के अलावा और कोई नहीं है।
तो....तुमने ऐसा कैसे सोच लिया कि मेरा बिपासा के साथ अफेयर चल रहा होगा या फिर मैं कि तुमसे अलग होने के बाद किसी और लड़की के साथ रिलेशनशिप में आ गया होऊंगा। तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हो ? "
रजत ने एकदम आहत होकर कहा। उसे सौम्या के मुंह से यह सब सुनकर बहुत दुख हो रहा था और साथ में उसे यह भी महसूस हो रहा था कि अगर सौम्या के मन में यह बात चल रही थी कि...रजत का किसी से अफेयर चल रहा है तो सौम्या को कितनी मानसिक तकलीफ हुई होगी।
लेकिन उसे अभी भी इस बात का बहुत गुस्सा था कि... ज़ब सौम्या के पापा उसके घर में आकर उल्टा सीधा बोल रहे थे तब सौम्या चुप क्यों थी...?
