टूटता परिवार

टूटता परिवार

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आज मुझे एक वाक़िये ने झकझोर दिया, वो तकलीफ़देह ख़बर थी, छोटा देवर नहीं रहा सोया तो फिर उठा ही नहीं,मगर कुछ सवाल अवचेतन मन को विचलित करतें हैं कि बहुत से अनकही बातें जो मुझे लगता था कि उसकी आँखों में तैरती सी लगती थीं कुछ तो कहना चाहता था वो मगर ऐसा क्या खाए जा रहा था उसको जो मुझसे न कह पाया .....! आठ दिन पहले ही इनके बाबू को अटैक आया था वही मिला था।

  मैं जब शादी हो कर आई तो घर में मेरा छोटा देवर क़रीब 8 साल का ही होगा, सास- ससुर और दो बहन और दो भाई का परिवार था। मेरे पति से 16 साल छोटा भाई था मुझे तो एक नन्हा दोस्त जैसा मिल गया था,क्योंकि मै घर में नई थी सबसे मिक्स अप होने में सबका नैचर समझने में भी वक़्त लगता है, मेरी बड़ी ननद मुझसे 4 साल बड़ी थी, देवर ही मेरे लिए मिडिएटर का काम करता था 

   मुझसे कुछ ज़्यादा ही लगाव हो गया था उसे जैसे ही स्कूल से आता मेरे आले -दौरे घुमता बाल-सुलभ बातें करना या कभी गार्डन के अंजीर के पेड़ के नीचे बड़ा अच्छा घर बना रखा था, मिट्टी का उसमें बैठ कर घंटों खेलना। 

  देखते ही देखते ननदों की शादी हो गई । वो भी 11 वीं क्लास में आ गया था, अम्मी का कुछ ज़्यादा ही लाडला,लाड़ में बिगाड़ रखा था, मैं अक्सर देखती थी वो उस ज़माने में सौ-दो सौ रूपये अपने खर्चे के लिए ले जाता और कहाँ ख़र्च करता है, ना माँ पूछती, बाबू तो दीन-दुनिया से बेख़बर ही थे, बड़े भाई को भी कोई फिक्र नहीं। बस कमा कर माँ के हाथ में रखना दोनों बाप-बेटों की इतिश्री । 

  घर ख़र्च तो माँ करती मगर छोटा बेटा किस रास्ते चल पड़ा है ज़रुरत ही नहीं समझी या समझाना ज़रुरी नहीं था। मैं तो वैसे भी घर में एक पराये घर से आई हुई का ख़िताब मिला हुआ था। मैं भी अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और रात -दिन घर में सैकड़ों काम क्योंकि घर क्या "धर्मशाला" थी। खैर छोड़िये.....! 

 सास की डेथ के बाद मेरे हसबैंड ने ट्रांसफर ले लिया, हमारे साथ देवर और ससुर भी आ गए, संयुक्त परिवार था अब घर की कमान मेरे हाथ में आई तो देवर के रंग-ढ़ंग की सही जानकारी मिली.... 

मगर ये क्या वो तो माँ के सामने ही हाथ से निकल चुका था। उसने ही मुझे थोड़ा शर्मिंदा होते हुए लेटर लिखा भाभी मुझे कुछ रुपयों की ज़रूरत है,मुझे अम्मी से खूब पैसा मिलता रहता था। मेरी बुरी लतों ने अम्मी के जाने के बाद पैसों की कमी ने मुझे कर्ज लेना सीखा दिया । आप ये पैसा मुझे दें मगर भाई साहब और बाबू को ना बताना प्लीज़ भाभी मुझे एक बार बचा लो। 

मैंने अपने पति को ये लेटर दे कर पूछा अब बताएं क्या करें, बहुत ठंड दिमाग़ से सोच-समझ कर फैसला

करें। अभी आप ज़ाहिर मत करना कि मैंने आपको कुछ बताया है, आप इसकी बाहर की दोस्ती कैसी है, कहाँ खर्च कर रहा है, ये देखें। 

हमनें सबसे पहले उसे भरोसे में लिया, उसे ये कहा मै तुम्हें पैसा दे रहीं हूँ, पहली और आख़िरी बार कर्ज़ चुका देतें हैं। अब तुम कोई ऐसा काम ना करना, जिससे घर में भाई और बाबू से छू पाना पड़े ठीक है। 

फिर हम दोनों ने उसको भरोसे में लेकर उसे बिजनेस के लिए हमारे ससुराल के शहर में वहीं उसको बहुत बड़ा किराना स्टोर खुलवा दिया, वहीं हमारा घर भी बना रखा था ये सोचकर की ख़ानदान इनकी एक बहन भी वहीं रहती थी, छोटी बहन के पास शिफ्ट कर दिया।सोचा सबकी नज़रों में रहेगा तो ग़लतियाँ नहीं करेगा, एक-दो साल बाद हमनें उसका बिजनेस का टर्न ओवर अच्छा देखा, तो उसी शहर में उसके मामू की बेटी से उसको मोहब्बत हो गई। 

मुझसे आकर शेयर किया भाभी मुझे इस लड़की से शादी करनी है आप भाई साहब और बाबू से बात करके मुझे बताना मैंने कहा ठीक है अब ईद पर आओगे तब तक में बात करके रखूंगी । मेरे पति, बहनों और बाबू से मैंने अपने देवर की शादी के बारे में पूछा आप क्या सोचतें हैं, हमें ये रिश्ते को मंज़ूर कर लेना चाहिए, अगर आप सब की एक राय हो तो हम मामू से बात कर सकते हैं। 

 बाबूजी थोड़ा सा ऐतराज़ था,लड़की की माँ यानि मुमानी जो भोपाल की थी, वो बहुत तेज़ है । हम सबने कहा हम कहा उसकी माँ से शादी कर रहें क्या❓

हमनें इनके मामू से बात की उनको कोई परेशानी नहीं थी मगर घर मुमानी की चलती थी, उन्होंने रायता फैलाना शुरु किया, हम ये रिश्ता नहीं करेंगे, घर की सारी ज़िम्मेदारी हम दोनों पति-पत्नी की थी,मामू की चलने नहीं दी,हमनें बहुत मनाया उन्होंने शर्त रख दी तुम्हारा यहाँ जो घर है वो मेरी बेटी के निकाह में "मेहर" लिखवाना पड़ेगा हम दोनों दंग कितनी शातिर औरत है, हमनें सोचा छोटा हमारा बच्चे जैसा ही है अम्मी के बाद हमनें अपने संयुक्त परिवार को बहुत सहेज कर रखा 27 साल तक, अब इस छोटी बात के लिए हम भाईयों में ना इतफ़ाक़ी नहीं होने देंगे। 

हमने शादी बहुत धूमधाम से करी, उस लड़की ने तो घर में क़दम रखतें से ही घर में दूरी बनवा दी, दोनों भाई बाबू सब हमारे साथ ही त्योहार मनाते थे। पहली ईद तो साथ की फिर उसने देवर को सबसे पहले हमारे यहाँ आने-जाने पर रोकना शुरू किया । 

 उस लड़की ने बहनों से भी पंगा शुरू किया पूरे परिवार से कट आफ करा सिर्फ उसकी माँ जो-जो सीखाती गई और उसने हमारे संयुक्त परिवार के टूकड़े कर दिए, हमनें भी सोचा देवर की शादीशुदा ज़िन्दगी में हम दख़ल,हम बाद में मालूम पड़ा उसका बिजनेस पूरा डूब गया और वो फिर गलत आदतों में पड़ गया,और खूब झगड़े होने लगे दोनों देवर और देवरानी में,छोटी ननद ने बताया की वो उसकी माँ को घर में दख़ल अंदाज़ की मना करता था बस उसी पर झगड़े बढ़ते गए।

मगर देवरानी बेलगाम होती गई। देवर को यहाँ तक हमारी इकलौती बेटी की शादी तक में नहीं आने दिया। मेरे पति और बाबू सबको बहुत तकलीफ हुई। 

मेरे पति आज भाई की इंतकाल की ख़बर सुन कर बस एक ही लफ़्ज़ बोले मेरे मामू की बेटी के क़दम बहुत भारी पड़े हमारा पूरा परिवार बिखरे दिया इस लड़की ने, इनका यही कहना था ऐसे ही मामू को भी इसकी माँ ने हमारे नाना के घर को भी तोड़ दिया था। 


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