Pawanesh Thakurathii

Drama

5.0  

Pawanesh Thakurathii

Drama

टूटा दिल

टूटा दिल

3 mins
620


"तुम कब तक यूँ अकेली रहोगी ?", लोग उससे जब तब यह सवाल कर लेते हैं और वह मुस्कुरा कर कह देती है," आप सबके साथ मैं अकेली कैसे हो सकती हूं।"

उसकी शांत आंखों के पीछे हलचल होनी बन्द हो चुकी है। बहुत बोलने वाली वह लड़की अब सबके बीच चुप रह कर सबको सुनती है जैसे किसी अहम जबाब का इंतजार हो उसे।

जानकी ने दुनिया देखी थी उसकी अनुभवी आंखें समझ रहीं थीं कि कुछ तो हुआ है जिसने इस चंचल गुड़िया को संजीदा कर दिया है लेकिन क्या ?

" संदली!, क्या मैं तुम्हारे पास बैठ सकती हूं ?", प्यार भरे स्वर में उन्होंने पूछा।

" जरूर आंटी, यह भी कोई पूछने की बात है।", मुस्कुराती हुई संदली ने खिसक कर बैंच पर उनके बैठने के लिए जगह बना दी।

" कैसी हो ?क्या चल रहा है आजकल ? ", जानकी ने बात शुरू करते हुए पूछा।

" बस आंटी वही रूटीन, कॉलिज- पढ़ाई....", संदली ने जबाब दिया।" आप सुनाइये।"

" बस बेटा, सब बढ़िया है। आजकल कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं।", चश्मे को नाक पर सही करते हुए जानकी ने कहा।

" अरे वाह! क्या सीख रही है इन दिनों ?", संदली ने कृत्रिम उत्साह दिखाते हुए कहा जिसे जानकी समझ कर भी अनदेखा कर गई।

संदली एक चंचल और बातूनी लड़की थी, लेकिन इधर कुछ महीनों से वह शांत रहने लगी थी। जानकी भी जानती थी कि उसके इस बदले हुए स्वभाव का कारण कोई और नहीं बल्कि अनिकेत है। वही अनिकेत जो दो साल पहले उसकी जिंदगी में आया। अनिकेत के जीवन में आते ही उसे ऐसा लगा कि यही उसका ड्रीम बाय है। अनिकेत बिल्कुल वैसा ही युवक था, जिस युवक की कल्पना उसने अपने मन में की थी। सच बात तो यह है कि अनिकेत तो पहली बार देखते ही संदली को उससे लगाव हो गया। और यह लगाव धीरे-धीरे प्रेम में कब परिवर्तित हुआ। यह स्वयं संदली को भी पता नहीं चला।

पहली मुलाकात के बाद दो ही महीनों में उनके बीच गहरा प्रेम स्थापित हो गया था। वे तन-मन-धन से एक-दूसरे के प्रति समर्पित होने लगे थे। चार सालों तक उनके बीच सबकुछ ठीक-ठाक रहा लेकिन इधर जब से कालेज में पीएचडी में एक नई लड़की शिवांगी ने एडमिशन लिया, तब से सबकुछ गड़बड़ा गया।

अनिकेत अब संदली से दूर जाने की कोशिश करने लगा था और वह संदली से जितना दूर जाता शिवांगी के उतना ही करीब आता। आखिर एक दिन संदली ने उससे बोल ही दिया- "जब से पीएचडी वाली आई है तब से एम ए वाली को भूल ही गये हो !"

अनिकेत ने उसकी बात को सुनकर भी अनसुना कर दिया।

संदली से अब रहा नहीं गया- "तो क्या मैं ये मान लूँ कि जो कुछ भी हमारे बीच था, वो केवल टाइमपास था ? नहीं अनिकेत तुम ऐसा नहीं कर सकते ? तुमने मेरा विश्वास तोड़ा है।"

"हाँ, मैंने तोड़ा है, क्योंकि तुम अब पहले जैसी नहीं रही।" अनिकेत ने चुप्पी तोड़ी।

संदली को लगा कि उसके सारे सपने बिखर गये। उसकी आँखों से मोती टप-टप टपकने लगे। वह सीधे अपने घर की ओर भागी। तब से आज तक उसने अनिकेत से कोई बात नहीं की। यही कारण है कि वह एकदम खोई-खोई सी रहती है। जानकी आंटी उसकी मनोदशा को भली-भांति जानती हैं, लेकिन उससे कुछ बोलती नहीं, क्योंकि उन्हें पूरा विश्वास है कि वक्त एक-न-एक दिन जरूर उसके घाव को भर देगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama