ट्रैफिक रूल
ट्रैफिक रूल
"माँ मैं अब पापा के साथ कॉलेज नही जाऊंगी।इतनी धीरे बाइक चलाते हैं ,कि रास्ते मे साइकिल वाले भी हमे मुँह चिढ़ाकर आगे बढ़ते दिखते है।और मेरे कॉलेज के सारे दोस्त भी पापा की ड्राइविंग देख मेरा मजाक उड़ाते हैं।"
अपनी बेटी की बात सुन ,माँ उसकी बात का समर्थन करते हुए बोली "बेटी तुम ठीक ही कहती हो,मुझे भी इनके साथ बाजार जाते हुए यही सब सहना पड़ता है।कई बार समझया,पर इन्हें देखकर ऐसा लगता है।कि जैसे इस शहर में यातायात के सारे नियम पालने का जिम्मा इन्ही के सर है।"
इधर रमेश बाबू भी अपनी पत्नी और बेटी की बात अखबार की आड़ लिये सुनते हुए मुस्कुरा रहे थें।अभी माँ बेटी की बात खत्म हुई ही थी।कि रोशनी की सहेली ने उसे बताया कि उसके कॉलेज के दोस्त एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होकर अस्पताल में भर्ती है।दुर्घटना का कारण पूछने पर उसने बताया कि उनकी बाइक की रफ्तार बहुत ज्यादा थी।और एक बाइक पर तीन सवारी होने के कारण बाइक असंतुलित हो, आगे जा रही कार से जा भिड़ी। यह खबर सुनते ही रोशनी अपने पापा के साथ उन्हें देखने अस्पताल की ओर निकली।बेटी को व्यथित देख आज रमेशबाबू ने भी ट्रैफिक सिग्नल की परवाह किये बगैर ,बंद सिग्नल में ही अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी।जिसे देख आज रोशनी उन्हें टोकते हुए बोली "पापा हमे कोई जल्दी नही है आप गाड़ी इत्मीनान से ही चलाइये।" उसकी बात सुन रमेशबाबू के चहरे पर अब संतोष का भाव था।उन्हें लगा अब मेरी बेटी,ट्रैफिक सिग्नल का महत्त्व जान चुकी है।
