टिम्मी
टिम्मी
अंकिता क्या हुआ इतनी परेशान क्यों हो ? शेखर ने नीता से पूछा।
कुछ नहीं शेखर कल टिम्मी को जंगल छोड़ने जाना होगा, अब वो बड़ा हो गया है, और उसी के साथ उसके उत्पात भी, माँ पापा के साथ साथ पड़ोसियों को भी उसके घर में रहने से परेशानी होने लगी है।
"ठीक ही है नीता, टिम्मी की सही जगह वही है। याद है जब उसने मुझे तुम्हारे साथ पहली बार देखा था तो कैसे मुझे घायल कर दिया था, वो जंगली, जंगल में रहने लायक ही है।"
"उसने तुन्हें घायल सिर्फ इसलिए किया था क्योंकि वो मेरी दोस्ती किसी के साथ भी बांट नहीं सकता, जब से बचपन में उसने मेरी जान बचाई थी तब से मैं उसका ऋण चुकाना चाहती थी। पर ऐसे जंगल में उसे छोड़ कर तो नहीं।"
"एक जानवर का क्या ऋण चुकाना नीता, कैसी बातें करती हो तुम भी।" और शेखर हँसने लगा।
"वो जानवर नहीं है, मेरा दोस्त है, क्या तुम्हें याद नहीं उसने तुम्हारी कितनी मदद करी थी जब तुम्हें कॉलेज में बंदरों के ऊपर एक प्रोजेक्ट बनाना था। एक वेटनरी डॉक्टर होते हुए भी तुम ऐसा कैसे कह सकते हो।"
" मैं जानता हूँ क्योंकि जानवर हम इंसानों से कहीं ज़्यादा संवेदनशील और कोमल होते हैं। तुम्हारी जान बचाने के बदले तुम उसे उसकी असली जगह पहुँचा रही हो, जिससे उसे आगे ज़िंदा रहने में मदद मिलेगी। जितनी हिम्मत उसे छोड़ने में तुम्हें चाहिए उससे कहीं ज़्यादा टिम्मी को तुम्हें छोड़ने के लिये चाहिए होगी। कल के लिये बेस्ट ऑफ लक नीता।"