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Manju Rani

Drama

4.2  

Manju Rani

Drama

टीस

टीस

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597


नीलेश अपनी तीन साल की बेटी अमीषा के साथ ब्लॉग गेम खेल रहा था। अमीषा जब ब्लॉग जोड कर कोई जानवर बना देती तो ताली बजा कर ,अपनी खुशी जाहिर करती। नीलेश भी बेटी के साथ मुस्कुरा देता। तभी अचानक उस की आँख भर आई। इधर नन्ही अमीषा बोले जा रही थी- पापा भैया आये हैं।

अनीष ने पैर छूते हुए. बोला - पापा खेल रहे हो!

नीलेश ने गहरी सांंस लेते हुए बोलो - हाँ,और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले- तू आ गया।

अनीष चिंतित सा बोलो- पापा आज फिर आप की आँख

में पानी, मम्मी की याद आ रही है ?

नीलेश धीरे से बोलो - नहीं तो,वैसे वो कैसी हैं ?

अनीष - अच्छी हैं। अपने स्कूल जाती हैं, पढ़ाती हैंऔर आप की तरह ही छुप -छुप कर रो लेती हैं। आज भी आप के लिए लड्डू भेजे हैं।

नीलेश जल्दी से थैला लेकर डब्बा निकालता है और डब्बा खोल कर बडे इत्मीनान से लड्डू खाने लगता है।

अनीष, अमीषा को लड्डू खिलाने लगता है।

तभी सोनिया ट्रे में दो कप चाय लेकर आती है और अमीषा को देखती हुईबोलती है - भैया के हाथ से लड्डू खा रही है। नन्ही सी अमीषा गरदन हिला देती है।

नीलेश बोलता है- चाय के साथ कुछ खाने को नहीं है ?

अनीष धीरे से बोलता है - पापा नहीं ,नाश्ता खा कर आया हूँ । बस चाय पी कर चलता हूँ।

नीलेश बोला - सोनिया अमीषा को यहाँँ से लेकर जाओ मुझे अनीष से कुछ बात करनी है।

ये सुन कर अमीषा रोने सी लगी तो नीलेश बहुत प्यार से बोले - मेरी गुडिय़ा भैया से बात करने के बाद पूरे दिन आप के साथ खेलूंगा। पक्का -अमीषा बोली। और सोनिया अमीषा को लेकर चली गई।

नीलेश गंभीर होकर बोले - बेटा, एम.टैक नहीं करनी।

अनीष बोला - करनी तो है, पर यहाँ से ही करनी पडेगी

क्योंकि माँ को नहीं अकेला छोड़ सकता। नीलेश उदास होकर बोले - मेरी वजह से तुझे इतना सब सहना पड़ रहा है। सब समय का खेल है। अनीष पापा से थोड़ी धीमी आवाज मेंं बोला - पापा मुझे एक बात समझ में नहीं आई,आप दोनों आज भी एक- दूसरे का ध्यान रखते हैं फिर अलग कैसे हो गए ? मुझे आज तक सही बात नहीं पता। । नीलेश बोले - हाँ,अब तू इतना बड़ा तो हो गया कि अच्छे से सब समझ ले ताकि तुम ऐसी गलती न करो जो मैंने की। तेरी मम्मी और मेरी शादी हमारे घर वालों ने करवाई थी। पर फिर भी हम दोनों मेंं बहुत प्यार हो गया। तेरी मम्मी तेरे दादी और दादा जी की चहेती बन गई क्योंकि वो सब का बहुत ध्यान रखती थी । पर शायद भाभी को तेरी मम्मी की बड़ाई रास नहीं आई। और हम दोनों के बीच में कुछ गलतफैमी पैदा कर दी। मैं यहाँ आकर कम्पनी में नौकरी करने लगा। घर वाले बार-बार फोन कर रहे थे कि मैं तुम्हें और तुम्हारी मम्मी को आ कर ले जाऊँ

पर पता नहीं क्यों मेरा अहम मुझे इजाजत नहीं देता था। एक दिन अचानक तेरी मम्मी तेरे साथ आ गई । मैंने कुछ

गुस्सानहीं किया पर फिर भी दो-चार सुना दी। फिर हम अच्छे से रहने लगे। मैंने धौंस दिखाने के लिए एक बार कह दिया कि तुम अपने घर नहीं जाओगी वो आज तक शायद अपने घर नहीं गई अनीष को देखते हुए बोले।

अनीष बोलो - अभी तक नहीं गई। फिर क्या हुआ ?

नीलेश गहरी सांस लेते हुए बोला - फिर तेरी मम्मी तेरे साथ लग गई और मैं अपनी कम्पनी मेंं। तेरी मम्मी ने सब अच्छे से सम्भाल लिया जिस वजह से मैं कम्पनी में ज्यादा समय देना लगा और मुझे तरक्की भी मिली। मैं जल्दी ही यहाँ की कम्पनी का एसीसटैंट डायरेक्टर बन गया। तेरा इंजीनियरिंग में दाखिला हो गया और तू हास्टल में चला गया। तेरे हास्टल जाने से पहले ही मैं सोनिया से मिलता था वो अपनी कम्पनी की तरफ से काम के सिलसिले में हमारी कम्पनी में आती थी। तेरी मम्मी को तब से ही मुझ पर शक था पर मैं झूठ बोलकर उसे मना लेता था। तेरे जाने के बाद उसका सब ध्यान मेरे पर आ गया और उस का शक यकीन में बदलने लगा। बेचारी का खाना-पीना छूट गया। सब को लगा बेटे के जाने की वजह से कमजोर होती जा रही है। किसी से कुछ भी नहीं कह पाती थी। मुझ से कहती अगर ऐसा है तो आप को उस से शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि किसी के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए ये पाप है। मुझे लगता वो सच जानने के लिये ऐसा कह रही है। मैं उस पर और जोर-जोर से चिखता , गन्दी

- गन्दी गालियां सूनाता। वो बेचारी डर जाती और ये सोच लेती शायद उसका शक है। उलटा मुझे ही सारी बोल कर चुप हो जाती। फिर थोड़े दिन शांति रहती। पर वो अन्दर ही अन्दर टूट रही थी। एक दिन उसने मुझे सो़निया के साथ देखा पर पीछे से देखा था। उसने उस दिन बडे़ यकीन से कहा कि उसने मुझे किसी के साथ देखा है और वो बहुत दुखी भी थी। उस वजह से उसको छाती मेंं दर्द भी हो गया था पर कभी भी वो अपना दर्द नहीं बताती थी। मैंने और ज्यादा गुस्सा करके मरने की धमकी दे दी। बस फिर तो वो पत्थर सी हो गई।

अनीष भरे गले से बोलो - मम्मी ने मुझे तो कभी कुछ नहीं बताया ,हाँ जब आता था तो माँ परेशान रहती थी।

पर बोलती कुछ नहीं थी। फिर क्या हुआ।

नीलेश बोला - फिर मैं तेरी मम्मी का ज्यादा ध्यान रखने लगा कि उस का वो शक दूर कर सकूँ। पर मैं जब-जब सोनिया से मिलता तब-तब तेरी मम्मी टूट सी जाती पर बोलती कुछ नहीं थी क्योंकि वो मुझसे बहुत प्यार करती थी। वो बोलती भी थी कि उसने मेरे लिए एक झटके मेंं सब रिश्ते ठुकरा दिये। मैं जानते हुए भी.कुछ नहीं बोलता था क्योंकि मैं सोनिया के साथ ओर दूर आ गया था।

फिर तेरा कैम्पस स्लैकशन हुआ और तू हमसे मिलने आया हुआ था। हाँ ,याद है उस दिन मम्मी का गुस्सा और उनके वो शब्द कभी नहीं भूलते।

नीलेश मायूस हो कर बोला - उस दिन तेरी मम्मी ने हमें मार्केट मेंं एक दूसरे के साथ देख लिया और फिर वो हमारे पीछे-पीछे आ गई, मैं सोनिया की कार मेंं बैठ उसे गले लगा कर बाय कर रहा था जैसे ही कार से बाहर निकला सामने तरी मम्मी खड़ी थी । उसे देख मैं हकाबका रह गया। वो गुस्से मेंं ओटो लेकर घर आ गई। पीछे-पीछे मैं भी आ गया। तब भी उसने पहले मुझे पानी दिया। जैसे ही मैं कुछ बोलने लगा उसने मुझे हाथ आगे कर चुप रहने को कहा।

फिर तेरी माँ ने तेरी भी शर्म नहीं की बस बोलती ही चली गई। आज भी उसका एक एक शब्द कानों मेंं गूंजता है।

आप को ये नहीं दिखाई दिया कि मेरे हलक से एक भी निवाला नीचे नहीं जा रहा मालूम है क्यों जब रिश्ता तन -मन-आत्मा से जुड़ा होता है तो एक की बेवफाई दूसरे की इसी तरह तील -तील करके जान लेती है। पता है पति-पत्नी का तलाक कब होता है जब दोनों मेंं से कोई भी किसी ओर के साथ हमबिस्तर होता है। तलाक तो उसी दिन हो गया है जब आप ने मुझे उसके साथ बिस्तर मेंं बांटा । मेरी इजाजत के बिना आप ने मेरे घर की ,मेरे बेटे की बातें उसके साथ साझा की। आप ने मेरा रोज़ चीरहरण किया जिसकी टीस मुझे सदा कचोटती रहेगी।

तभी सोनिया भी आ जाती है जिसे मैंने ही फोन करके बुलाया था।

सोनिया को देखते ही बोली- तुमने एक बार भी इस घर के बारे में नहीं सोचा। ठीक है अब बताओ तुम्हें क्या चाहिए। वो बोली-कुछ नहीं। माधुरी बोली- ये सब क्या ,'कुछ नहीं ' के लिये हो रहा था। तुम्हें पता है जब पहली बार पति बेवफाई करता है पत्नी का दिल उसे तभी आगह करता है । पर उस का अपने पति पर दृढ़ विश्वास नहीं मानने देता कि उसका पति उसे धोखा दे सकता है। अगर कल को कोई तुम्हारा घर तोड़ेगा तब! वैसे तो आप दोनों ही जिम्मेदार हैं पर एक औरत होने के नाते तुम ज्यादा जिम्मेदार हो। क्योंकि अब मेरे लिये ये रिश्ता बस एक समझोता है चाहे यहाँँ रहूँ या कहीं ओर। इतना. सुनने के बाद सोनिया बिना कुछ बोले चली गई। तेरी मम्मी इतना रोई कि बेहोश हो गई। फिर तूने ही उसे होश मेंं लाया और पानी पिलाया । मैं थोडे़ दिन सोनिया से न मिला न ही फोन किया। पर दस दिन बाद सोनिया एक लिफाफा लेकर आई और तेरे मम्मी के हाथ मेंं थमा दिया। उसने लिफाफा खोला और पढ़ते ही ,लिफाफा सोनिया को पकड़ा तेरे पास जाकर बोली तुझे कल से नौकरी पे जाना है न ,तो अभी निकल चलते हैं। तुने जब पूछा क्यों ? तो वो चिल्ला कर बोली तेरा भाई या बहन आनेवाली है। अब मैं एक पल भी नहीं रुकूँगी। मैं बुलाता रहा पर वो नहीं रुकी। अपनी टीस के साथ चली गई। छ: महीने बाद बिना एक पैसा लिए उसने मुझे तलाक दे दिया। तब टीस का अर्थ समझ नहीं पाया था। आज वही टीस महसूस करता हूँ। बेटा आगे की पढ़ाई की सोच ,यह कहते हुए अमीषा को पुकारने लगे।

अनीष बोला- अच्छा पापा चलता हूँ। और वो चला गया।

नीलेश अपनी बेटी के साथ खेलने लगा।


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