टी गार्ड
टी गार्ड
प्रिंसिपल मेडम के कक्ष में प्रवेश करते ही, उनका प्यून संतोष उन्हें पानी का गिलास देते हुए बड़ी विनम्रता से बोला।
मेडम मैं हर साल आपको देखता हूं कि आप वार्षिक परीक्षा परिणाम आने के बाद उन बच्चों से मिलने व बात करने में ज्यादा उत्सुक रहती है।
जिनके या तो बहुत कम नम्बर आते है या फिर जो फेल हो गए होते है।
हमारे स्कूल में अच्छे अंकों से जो बच्चे पास होते है,वे सब भी आपका आशीष लेने के लिए बड़ी देर तक आपके कक्ष के बाहर बैठे रहते है। और कई बार तो बिना आशीष लिए ही निराश लौट जाते है।
माफ कीजियेगा मेडम मैं बहुत कम पढ़ा लिखा आदमी हूँ। पर भी इतना तो समझता हूं कि किसी स्कूल की प्रसिद्धि उसके अच्छे अंक लाने वाले बच्चों से होती है ,कम अंक लाने वाले या फेल होने वालों से नही।
संतोष की बात इत्मीनान से सुन,प्रिंसिपल मेडम गम्भीर हो उससे बोली,संतोष तुम्हे खिड़की से सामने लगे वो दो नन्हे पौधे तो दिख ही रहे होंगे। अब तुम ही विचार कर बताओ कि उचित देखभाल व ट्री गार्ड की आवश्यकता किसे ज्यादा है।
