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poornima raj

Drama Inspirational Others

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poornima raj

Drama Inspirational Others

तकलीफ

तकलीफ

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स्टोरीमिरर पर आज लिखने को बेहतरीन विषय दिया है ,'' मेरे परिवार के साथ मेरी यादें ''

अपने परिवार के साथ सभी की कुछ खट्टी मीठी यादें जरूर होती है , क्या खूब कहा भी गया है , 'गम और खुशी में जो साथ आए वो परिवार है !! ' मेरे परिवार के साथ बिताए कुछ खास पल मुझे याद आ रहे हैं जो मैं आपको सुनाती हूं : - 


बात अधिक पुरानी नहीं है, पिछले महीने मेरे पिताजी डेंगू बुखार से पीड़ित हो गए थे। डेंगू बुखार की खासियत ही यही है कि वह शुरुआती दिनों में इसका पता नहीं चल पाता और लक्षण भी साफ नहीं दिखते। इसीलिए हमने आम बुखार की तरह उसका इलाज शुरू किया, पर कुछ दिन बाद की रिपोर्ट से पता चला कि यह डेंगू है। प्लेटलेट्स गिरने लगी, इलाज शुरू हो गया, एलोपैथी दवाएं, आयुर्वेदिक काढ़े, घरेलू नुस्खे सभी इस्तेमाल होने शुरू हो गए।


जो भी आता कोई ना कोई नया नुस्खा बता देता, फिर भी प्लेटलेट्स गिरती जा रही थी। देखते-देखते एक हफ्ता हो गया, बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था, प्लेटलेट्स बार्डर लाइन को छू गई.. एक तो जला देने वाला बुखार, सिर चीरनेवाला वाला सर दर्द, ऊपर से बेहिसाब कमजोरी।


पिताजी दिमागी रूप से अपने स्वास्थ्य के लिए बहुत परेशान हो रहे थे, उनकी हालत देखकर हम सब भी बहुत परेशान थे। दवाइयों का कुछ भी असर नहीं दिख रहा था, प्रतिदिन तकलीफ बढ़ती जा रही थी। पिताजी को इतनी तकलीफ में देख हमें भी दर्द हो रहा था पर हम अंदर ही अंदर अपने दर्द को छुपाकर उनकी तकलीफ का हल ढूंढने में लगे रहते।


प्लेटलेट्स कम होने के कारण उन्हें एडमिट करवाया गया, हास्पिटल में इलाज शुरू हो गया और हम सभी के प्रयासों ने अपना असर दिखाया।रिपोर्ट बिल्कुल नार्मल आई और प्लेटलेट्स वापस बढ़ना शुरू हो गई।

यह सुनकर जान में जान आई, जो इतने दिनों से सूख गई थी।


अगले दिन पिताजी हास्पिटल से डिस्चार्ज हो कर आ गए, हमने खुशी खुशी उनका अपने घर में स्वागत किया। पिताजी रोग के जंग जीत कर आए थे, जीत की रौनक मुस्कान बनकर चेहरे पर छाई हुई थी। उन्हें यूं मुस्कुराता देख हमारा दिल खुशी से झूम उठा और आंखों में नमी छा गई।


पिताजी को हो रही तकलीफ ने हम सभी को परेशानी में डाल दिया था और हमने उनकी तकलीफ को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए, यही तो परिवार है...


जहां किसी एक का दुख उसका अकेले का नहीं होता है, सभी उसका हिस्सा होते हैं !! तकलीफ परिवार के साथ सब बंट जाती है और खुशी दोगुनी हो जाती है !!


' कुछ एहसास '

- पूर्णिमा राज़


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