तितलियों के पंख
तितलियों के पंख
हम सब ने अपने आसपास के कुछ बच्चों को तितलियों के पीछे भागते हुए जरूर देखा होगा।बच्चे खेलते हुए रंगबिरंगी और सुंदर पंखों के लिए तितलियों को पकड़ते रहते हैं और उनके उस खेल खेल में तितलियाँ अक्सर मर जाती हैं।
टीवी और न्यूज़ पेपर में जब भी कोई रेप की ख़बरें आती है तो हमारे लिए वह बस एक ख़बर होती है।इन ख़बरों को देखने सुनने के बाद यह अहसास और पुख्ता हो जाता है कि बच्चों के खेल में मरने वाली उन तितलियों की किस्मत शायद उस लड़की से कहीं ज्यादा अच्छी होती है क्योंकि वे तितलियाँ बस एक बार में मर जाती हैं,लेकिन वह पीड़िता लड़की तो ताउम्र हर पल बेमौत मरती रहती है।
कभी समाज की बेहिसी से।कभी 'अपनों' के सवालियां नजरों से।कभी शरीर के उन रिसते हुए जख्मों को देख कर।कभी रूह के खरौंचों को याद कर।और हर बार शरीर की नजर न आनेवाली उन लिजलिजे अहसास को महसूस कर....