थैंक यू माँ
थैंक यू माँ
आज कुछ कहना चाहती हूँ आज कुछ बोलना चाहती हूँ थैंक यू माँ,
तू वो जो डाँट-डाँट के पूरा घर सिर पे ले लेती पर जब एक आँसू भी बहे मेरी आंख से तो खून तेरा जलता, हर वक़्त मुझे बुरा बोलती की कुछ अच्छा शिखू पर जब दुनिया बुरा बोलती, सबकी बोलती बंद करती माँ, कही भूखी तो नहीं मेरी बेटी ला पूछ लेती ये सिर्फ तू सोचती है माँ, दूर है मेरी बच्ची खाना भी नहीं खाती आज आयेंगी कुछ अच्छा पकाती हूँ।
ये तेरी फिक्र माँ, थैंक यू माँ, खुद के शोख अपने बच्चो में खोजती तू माँ पर सॉरी माँ तूने मुझे छोटी सी गुड़िया से इतना बड़ा किया अच्छी परवरिश दी पर तभी भी में तेरी परछाई जैसी भी ना बन पायी।
थैंक यू माँ, कभी मिलेंगी किस्मत राह में तो कहना है थैंक यू कि तुने इस औरत को मेरी माँ बनाया।
थैंक यू माँ।
