Raunak Singh

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Raunak Singh

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तेजस - आग का देवता

तेजस - आग का देवता

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प्राचीन काल में एक राज्य था धरमपुर जो बहुत ही धनी और समृद्ध था क्यों की वहां के राजा (धौर्य) जो बहुत ही अच्छे राजा थे और अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखा करते थे जिससे उनकी प्रजा बहोत ही खुश अवंम संपन रहा करती थी।

धरमपुर एक किले के सामान था जो चारो ओर से बड़ी-बड़ी दीवारों से घिरा हुवा था जो राजा धौर्य ने अपनी प्रजा को दुश्मनो से बचाने के लिए बनाई थी, दिवार इतनी बजबूत थी की उसे भेद पाना किसी दुश्मन के लिए आसान काम न था, जैसे की होता आया है हर अच्छाई के पीछे किसी न किसी की जलन छिपि हुई रहती है उसी तरह धरमपुर पर भी किसी की लालसा कई सालो से धरमपुर की बर्बादी का इंतज़ाम कर रही थी। धरमपुर इतना समृद्धि था की धरमपुर की हर प्रजा अपने राजा से बहोत आदर सम्मान करती थी।

धरमपुर की सेना भी एक कठोर सैन्य प्रशिक्षण से गुजरती थी जिससे धरमपुर की सेना कभी ना भेद पाने वाली कवच थी। धरमपुर को हराना बिलकुल भी आसान ना था पर दुश्मन सेना धरमपुर को हासिल करना चाहते थे, वह राज करना चाहते थे उन्हें वहां की धन पाने की लालसा थी। इतने धनि राज्य को कौन राजा हासिल ना करना चाहेगा। 

धरमपुर के कई दुश्मन थे उसमे से एक था खनराज जो बहुत बलवान और बुद्धजीवि में से एक था वो अग्नि देवता का बड़ा भक्त था उसे धरमपुर को हासिल करने की जबसे ज़्यादा लालसा थी और उसे ये भी बता था की वो सैन्य बल से धरमपुर को हासिल नहीं कर सकता था इसीलिए उसने अग्नि देवता को प्रसन्ना करने के लिए कई वर्षो तक जाप किया, अपनी इच्छा हासिल करने के लिए अग्नि देवता को प्रसन्न करने लगा।

कई वर्षो के तपस्या के बाद अग्नि देवता प्रसन्न हो गए और खनराज के सामने प्रकट हुवे और उसे वचन दिया की वो जो भी मांगेगा वो इसकी इच्छा पूरी करेंगे और उसने धरमपुर पर आग बरसाने का वचन माँगा, अग्नि देवता के पास उस वचन का पालन करने के आलावा कोई और रास्ता नहीं था और अग्नि देवता ने धरमपुर पर आग की वर्षा कर दी जिससे लोग और महल जलने लगे और इसी बिच खनराज ने धरमपुर पर आक्रमण कर दिया।

ब्रह्म देवता ये सब देख रहे थे, जो की बहोत चिंतित थे तभी उन्होंने एक आवाज़ सुनी जो धरम से थी जो अपनी रक्षा करने के लिए ब्रह्म से मदद मांग रहा था वो कह रहा था "हे प्रभु हमें बचा ली जिए " तभी उसकी पत्नी ने भी पुकारा और कहा हे "प्रभु हमें नहीं पर कम से कम हमारे बालक को बचा लीजिए जिसने इस धरती पर एक कदम भी नहीं रखा है " उसकी क्या गलती है जो उसे इस प्रकार की सजा दी जा रही है।

ब्रह्म देवता का दिल पिघल गया और उसने उस बच्चे को को वरदान दिया की उसे अग्नि की शक्ति मिलेगी और उस शक्ति से वो समाज का कल्याण करेगा और उसका नाम होगा "-------तेजस------

खनराज ने राज्य पर जीत हासिल कर ली और वहा के राजा और बचे हुवे लोगो को बंधक बना लिया इस हमले में तेजस के पिता की हत्या हो गयी।

तेजस एक झोपड़ी में पैदा हुवा पर एक अत्यंत अग्नि शक्ति के साथ, उसकी माँ जानती थी की तेजस धरमपुर को फिर से दुखो से उभार देगा। तेजस की माँ ने इस दिव्या शक्ति के बारे में किसी को नहीं बताया और किसी तरह वो उस राज्य से तेजस को लेकर भाग गयी और पास के जंगल में चली गई कई दिनों तक भूके प्यासे रहकर लगातार चलती रही तभी प्रभा की नज़र एक कुटिया पर पढ़ी, उसने देखा की एक साधु तपस्या कर रहे है , वो उनके पास गयी और बैठ गयी और उस साधु की तपस्या खत्म होने का इंतज़ार करने लगी, वो साधु की तपस्या में बाधा नहीं डालना चाहती थी इसीलिए वो इनके आंखे खोलने का इंतज़ार करने लगी पर तेजस को बहोत भूख लगी थी काफी दिन हो गए माँ का दूध भी सुख चूका था, वो ज़ोर से रोने लगा, तेजस की आवाज़ सुनकर साधु महाराज की आंखे खुल गयी और देखा एक बालक अपनी माँ के गोद में बैठा रो रहा है और माँ बेहोश हो गयी है।

साधु महाराज ने उन्हें आसरा दिया, भोजन दिया।

तेजस की माँ प्रभा ने अपना और अपने राज्य का हाल साधु महाराज को बताया और ये भी बताया कैसे वो और उनका बेटा तेजस कैसे उस आग की वर्षा से बच गए और यहाँ आ गए।

 प्रभा ने ये भी बताया की ब्रह्मा ने कैसे तेजस को वरदान दिया की वो अग्नि के सामान तेज़ है उसके हाथो में से अग्नि निकलती है, प्रभा ने ये भी बताया की इस ताकत का इस्तेमाल वो सिर्फ इंसानियत की भलाई के लिए ही कर सकता है। प्रभा ने साधु महाराज से कहा "महाराज मैं चाहती हु की आप मेरे तेजस को तलवार, तीर और लोगो की रक्षा कैसे की जाती है वो सिखाये ताकि को वो अपने राज्य के लोगो को न्याय दिलवा सके। अपने राज्य को वो फिर से आज़ाद करवा सके, राज्य की खुशहाली फिर से बहाल हो सके " महाराज कृपया कर इस माँ की मदद कीजिये। 

साधु महाराज ने वचन दिया और कहा " देवी इसके लिए मुझे तुम्हारे पुत्र को यहाँ से दूर घने जंगलो में ले जाना होगा उसे शिक्षा देने के लिए जीके लिए १५ वर्षो का समय लगेगा " क्या तुम इतने वर्षो तक अपने पुत्र के बिना रेह पयोगी? प्रभा के आँखों में आंसू आ गए पर पति की मौत और राज्य के लोगो के साथ हुवे अन्याय के लिए वो १५ वर्षो का इंतज़ार करने के लिए राज़ी हो गयी फिर साधु महाराज तेजस को अपने साथ जंगलो में ले गए और प्रभा वही कुटिया में तेजस के लौटने का इंतज़ार करने लगी

तेजस अपना 15 वर्षो का परीक्षण पूरी कर अपने मा से मिलने आया और अपने मा के चरणों में गिर कर रोने लगा। प्रभा अपने तेजस और जवान बेटे को देख खुशी से फुले नही समायी और उसे उठा कर अपने सीने से लगा लिया। अपना आशीर्वाद देते हुवे प्रभा ने कहा " पुत्र तुम्हे ऐसे आंसू नही बहाने है अभी तो तुम्हारे ज़िन्दगी का मकसद शुरू हुवा है, तुम्हे तो अब वो लड़ाई लड़नी है और जितनी है जिसके लिए मैंने तुम्हे 15 वर्षो तक बिना देखे ज़िन्दगी गुज़री है। तुम्हे हर उस माँ का बदल लेना है जिसके बेटे उनसे बिछड़ गए है, तुम्हे हर उस बाप का बदला लेना है जिसे उस खनराज राक्षस ने मौत के घाट उतारा है और बचे हुवे लोगो को अपना ग़ुलाम बना लिया।"

पुत्र अपनी ताकत और बुद्धि से धरमपुर को इंसाफ दिलाओगे, यही ही तुम्हारा एक मात्र जीवन का लक्ष्य है।

तेजस - जी माँ, मैं धरमपुर वासियो को इंसाफ दिलाऊंगा। 

प्रभा - जाओ बेटा अपने सस्त्र ले लो और धरमपुर को फिर से संपन्न कर दो। 

तेजस " अपनी माँ का आशीर्वाद लेता है और धरमपुर की तरफ निकल जाता है।

तेजस का एक मात्र मकसद और उसे पूरा करने की इच्छा उसके आंखों में तेज़स की तरह चमक रही थी, तेजस ने धरमपुर पहोचने का आधा रास्ता पार ही किया था की उसे कुछ आवाज़ सुनाई दी, वो आवाज़ डर और तड़प की आवाज़ थी, तेजस उस आवाज़ का पीछा करने लगा और आवाज़ के नज़दीक पहोचा तो देखा की कुछ सिपाही गांव को जला रहे थे, लोगो को बंधक बना रहे थे, तेजस सिपाहियो का हुलिया और उनके कपड़े देख कर समझ गया की वो खनराज के सैनिक है जो गांव को जला रहे है।

तेजस ने अपनी तीर निकली और बाण में लगाई और का सैनिक पाए निशाना साधा जिसके हाथ में मशाल थी जो लगभग एक घर को जलाने ही वाला था जिसमे कुछ लोग फसे हुवे थे, तीर सैनिक के सीधे सीने पर लगी और वो घोड़े पर से निचे जमीन पर गिर पड़ा। बाकी सैनिक संभालते उससे पहले तेजस ने अपनी बाण से तीरो की वर्षा कर दी और लगभग आधे सैनिक जमीन पर गिर गए। तेजस ने अपनी तलवार निकली और गांव की तरफ छलांग मारी, ये छलांग इतनी बड़ी थी की कोई साधारण व्यक्ति मार ही नही सकता था। अपने तेज़ तलवार से सारे सैनिको को तेजस ने एक ही बार में ढेर कर दिया, ये तेजस की पहली जीत थी, तेजस ने अपने हाथो को हवा में घुमाया और फिर सारी आग बुझ गयी। 

बाकी घायल सैनिक अपने ज़िन्दगी की भिक मांगने लगे। गांव वाले बाहर आये और तेजस का अभिनंदन करने लगे। 

हे दिव्य पुरीष "एक बूढ़े बाबा ने कहा" हमारी जान की रक्षा करने के लिए धन्यवाद, अगर आप ना आते तो हम गांव वाले आज जिवित ना होते। में अपने समस्त गांव वालो की तरफ से आप का धन्यवाद करता हु। हे दिव्य मानव हमने आप को पहले कभी यहां नही देखा क्या आप को भगवान ने हमारी रक्षा करने के लिए भेजा गया है? 

तेजस - बाबा ( आदर से) ममैं इसी राज्य का हु, 15 वर्ष पहले जब खनराज ने इस राज्य पर आक्रमण किया था तब ही मेरे जन्म हुवा था, उस घटना में मेरे पिता की मृत्यु हो गयी, या ऐसा कहिये की उनकी हत्या की गयी थी खनराज के सैनिको के हाथो। मेरी मा ने मुझे बचाया और मुझे जीवित रखा ताकी में धरमपुर को उस खनराज राक्षस के आतंक से मुक्ति दिला सकू। 

तेजस " घायल सैनिक से" जाओ अपने राजा से कह दो की उसका काल नज़दीक आ गया है, अगले पूर्णिमा से पहले में उसका वध कर धरमपुर राज्य को इंसाफ दिलाऊंगा।

घायल सैनिक अपनी जान बचा कर राजा के महल की ओर रवाना हो गए।

खनराज के सैनिको ने खनराज को तेजस का कहा संदेश देते है, खनराज गुस्से से लाल हो जाता है और अपने सिपाह सलाहकार को आदेश देता है की मुझे उस दुस्ट का सर लाकर दो जिसने हमारी सैनिको की ये हालत की है। 

सिपाह सलाहकार अपने सर्वश्रेष्ठ सैनिको को लेकर तेजस का वध करने अपने घोड़ो पर बैठकर निकल जाते है जिनकी सांख्या लगभग 10 हजार होती है। 

तेजस उन सभी को उनके घमंड का दंड देता है और अकेले सारे सैनिकों को मार कर खनराज के महल में पहोच जाता है।

तेजस और खनराज की लड़ाई शुरू होती है जो 3 दिनों तक चलती है और फिर अंत में तेजस खनराज का वध कर देता है और धरमपुर को फिर से आज़ादी दिलवाता है। और बंधक बनाये गए राजा को छुड़वा देता है।

अब धरमपुर आज़ाद भी था और कुशहाल भी।


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