Meenakshi Kilawat

Inspirational

4.4  

Meenakshi Kilawat

Inspirational

स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस

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हम स्वतंत्रता दिवस  मनाते तो है लेकिन हमे अब तक स्वतंत्रता को लेकर कसमसाहट हेती है।

आज़ाद हिंद और पराधीन भारत की बातें हमने किसी से सुनी होगी, या तो किताबों में पढ़ी होगी क्योंकि तब हमारा जन्म नहीं हुआ होगा या हुआ होगा तो हम बहुत छोटे होंगे। हम जब पराधीन थे वह दिन कैसे होंगे यह बात हमने देखी नहीं उस वक्त की परिस्थिति कैसी होगी

होगी यह बात हम नहीं समझ सकते उस वक्त हमारे यहां के कर्तव्य परायण श्रेष्ठ लोगों ने अपना बलिदान देकर इस भारत देश को स्वतंत्र किया और आज हम स्वतंत्र है आज़ाद है।


15 th अगस्त को हम सभी आज़ादी का जश्न मनाते हैं लेकिन उसके पीछे का इतिहास जानते नहीं ना जानना चाहते हैं, 15 th अगस्त को सुबह जल्दी उठकर स्कूल कॉलेज जाकर बड़े जोश के साथ हम सब कार्यकलापों में शामिल होते हैं। घोषणाएँ करके नारे लगाकर यह राष्ट्रीय त्योहार मनाते हैं। हर गाँव में शहरों में गली मुहल्लों में सार्वजनिक जगहों पर सरकारी कार्यालयों में ध्वजा रोहण ध्वज वंदना की जाती है। बड़े ही सुंदर तरीके से हम वह दिन आनंद में बिताते हैं। लेकिन हमें यह आनंद किसने दिया है किसकी की बदौलत हमें यह दिन देखना नसीब हुआ है और हम स्वतंत्र हुए हैं यह बात हम नहीं जानते। हम भाषण लिख कर पढ़ कर देते हैं लेकिन उसका महत्व नहीं जानते है।


हमारे पूर्वजों ने महान फरिश्तों ने अगर आज़ादी का सपना नहीं देखा होता अपनी खुली छातियों पर गोलियां नहीं खाई होती, वह फाँसी पर नहीं चढ़े होते तो हम अब तक पराधीनता में ही पड़े होते। जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर हमको स्वतंत्र किया है उनका दिल से शुक्रिया अदा करना हमारा फर्ज़ बनता है।पराधीनता के जिन्होनें पाश तोड़े उन्हे याद करना चाहिए सुखदेव, सुभाषचंद्र बोस, वीर सावरकर, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, बाबा साहेब आंबेडकर बाल गंगाधर तिलक, भगतसिंह, राजगुरु, महात्मा गांधीजी, जवाहर नेहरूजी, तथा मौलाना आज़ाद ऐसे कितने ही शेरों ने अपनी जान दाँव पर लगाकर बलिदान दिया था और वे अपने देश के सुपूत्र कहलाए गए थे।


वह आज़ाद हिंद के काबिल शेरों ने हमे आज़ादी दिलवाई है लेकिन यह आज़ादी उन्होंने खुद के लिए नहीं बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के भविष्य के लिए दिलवाई है। हम भारतवासी पराधीन होकर ना रहे यह भावना उनके दिल में बनी थी इसलिए उन्होंने दूर दृष्टि रखकर अपना भारत आज़ाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।


अगर अगर इतिहास के पन्ने पलटते हैं तो हमें पता चलेगा कि यह आज़ादी ऐसे ही नहीं मिली, इसके लिए कितना खून बहाया गया कितनों ने अपने संसार का त्याग किया। देश के प्रति उनकी भावना देश प्रेम से लबालब भरी थी और उन तेजस्वी किरदारों ने बुलंद इरादे पाले थे,

क्रूरता के साथ में टक्कर ली। बर्बरता को मात दी, तब जाकर नया सवेरा देखने को मिला। नहीं तो अब तक हम जी हुजूरी करते हुए दिखाई देते और बंधुआ मज़दूर की तरह अपना जीवन ढोते रहते थे।


भारत में असामाजिक तत्वों की भरमार और षडयंत्रों के चलते तरक्की कैसी होती फिर भी शासन के प्रभावशाली नेतृत्व और सहयोग की वजह से तकनीकी अविष्कार किए जा रहे है। कई योजनाओं को कार्यान्वित किया गया था।


लेकिन आज के दौर में आज की युवा पीढ़ी इतिहास में रुचि नहीं रखना चाहती क्योंकि उन्हें सब आयता परोसा हुआ मिल गया है उन्हें कोई जद्दोजहद नहीं करनी पड़ी सब मुफ्त में ही मिलता गया इसलिए युवा पीढ़ी को आज़ादी के सिपाहियों का कोई स्वाभिमान नहीं है। जो चीज इंसान को मुफ्त में मिलती है उसका कोई मोल नहीं होता। आज पूरा देश बदल चुका है। सभी को अपनी अपनी पड़ी होती है अपने मित्र अपना परिवार अपना कैरिएर इसके अलावा कोई भी बातों में इंटरेस्ट नहीं है। यह गुल से गुलशन कैसा बना यह कोई नहीं देखना चाहता।

यहां भारत में कितनी ही कमियाँ थी आज़ादी मिलने के बाद वह सब पूरी करने में बहुत मुश्किल आई क्योंकि यहां कुरीतियाँ ,अशिक्षा, गरीबी, जातियवाद, बाल विवाह अनेक प्रकार का समाज रहा। सभ्यता लाने में कई वर्ष निकल गए अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाने खातीर कई व्यक्ति विशेष ने प्रतीनिधीत्व किया। उन्होंने अमन चैन लाने की पूरजोर कोशिशें करके अच्छी तरह से देश को संभालने का हौसला जारी रखकर नया मुकाम हासिल किया है।


देखना चाहो तो अपने भारत देश की परंपराओं का इतिहास बहुत ही दैदीप्यमान महान है । यहां सभी जाति धर्म के लोग बड़े सुख समाधान से जीवन यापन कर रहे हैं। वैसे ही यहां की कर्तव्य परायणता, भक्तिभाव, प्रेम प्यार और भाईचारा कहीं पर भी देखने को नहीं मिलेगा यहां इतनी ज्यादा जनसंख्या होने के बावजूद रूखी सूखी खाकर अपने देश के स्वाभिमान को बनाकर रखा है। आज के दौर में टेक्निकल में बहुत बड़ी विशेष तरक्की हुई है" हम भी कुछ कम नहीं" यह भारत वासियों ने दिखा दिया है। हजारों काम में अपनी चमक दिखाई है।


 वैसे ही भारी मात्रा में सायंस के प्रयोग बड़े पैमाने पर होते हैं। आधुनिक टेक्निकल तंत्रज्ञान से अस्त्रशस्त्र , लड़ाकू हवाई जहाज, समुद्री जहाज, जलपोत ,मशीनरी इंडस्ट्रीज पूरी ताकत से अपना जलवा दिखा रहे है।अभी फिलहाल में ही चंद्रयान- २ को चाँद पर भेज कर सफल प्रयोग किया गया है। यह टेक्निकल में बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है। बेशुमार प्रगति के पंख आसमान में फैलाए है। हर क्षेत्र में अपनी चमक दिखाई है। भारतीय अनुशासन कड़े किए है सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी आई है। इन महान पुरुषों की बलिदान की वजह से हमे आज़ादी मिली है। हम निर्धास्त हो करके खुली हवा में सांस ले रहे है। हम अपना जीवन स्वाभिमान से जी रहे हैं। आज हम अपने दिल से आदरांजली देकर उन महान हस्तियों कामान बढ़ाएं।

जय हिंद....



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