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Anita Shrivastava

Abstract

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Anita Shrivastava

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सुरक्षाबोध

सुरक्षाबोध

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"मुझसे कोई गलती हो गई हो तो माफ कर दीजिएगा।" उसने पोस्ट किया। सुंदर से गुलाब के फूल के साथ, जिसकी पंखुड़ियों पर ओस की बूंदें थी ।उसके हाथ जुड़े हुए थे और उस पर लिखा था "बीते साल में हमसे कुछ गलती हुई हो तो माफ कीजिएगा।यह साथ नए वर्ष में भी बना रहे।"

उसका मैसेज पढ़ कर लड़की ने हंसते हुए अनेक इमोजी दाग दिए।

 अरे!ऐसा तो मैंने कुछ नहीं कहा कि इतना हंसा जाए बेचारा हैरान सा हो कर रह गया।अभी सोच ही रहा था। कि उधर से हंसी वाले इमोजी की एक कतार और टपक पड़ी ।अगले दिन जब मुलाक़ात हुई तो उसने पूछ ही लिया ,'

'भला ऐसा क्या था मेरे मैसेज में जो तुमको हंसी आ गई जोक तो नहीं भेजा था मैंने।"

लड़की फिर भी लगातर हंसे जा रही थी ।उसने थोड़ा झुक कर पेट पकड़ लिया था और दोहोरी हुई जा रही थी।लड़के की विस्मय से आंखें फतिं जा रहीं थीं। 

लड़की,"तुमने जोक नहीं सुनाया, यह तो सही है मगरै तुमने माफी किस बात की मांगी ,ये तो बताओ

लड़का "ऐसे ही इंसानियत के नाते।जाने-अनजाने गलती हो जाती है बस इसीलिए मैंने इंसानियत के नाते माफी मांग ली लड़की," इंसानियत के नाते !!यह देखो

लड़की चलकर बड़ी टेबल तक पहुंच गई। लड़का भी उसके पीछे पीछे लगा चला जा रहा था जैसे सुई के पीछे धागा लड़की ने टेबल पर अपना पर्स उलट दिया छोटे -छोटे कई सामान गिर पड़े।ब्रेसलेट, ईयर रिंग ,रुमाल आदि।

उसने ब्रेसलेट हाथ में उठायाऔर लड़के की ठीक नाक के पास ले गई। लड़के को लगा था माथे पर मारेगी थोड़ा पीछे हटा लेकिन लड़की नहीं मानी वह उतना ही आगे झुक गई

लड़की यह ब्रेसलेट मुझे उसने दिया

लड़का ,"कि.. कि.. कि.. किसने"

लड़की ,"वह जो फर्स्ट रो में सबसे लास्ट बैठता है।"

लड़का,"अच्छा अच्छा वह तो। "लड़के ने राहत की सांस ली लेकिन अगले ही पल उसने परफ्यूम उठा लिया और दाएं बाएं शीशी नचाने लगी। पास आते हुए बोली,"यह मुझे उसने दिया"

"कि कि कि कि किसने "लड़का फिर घबरा गया उसे समझ नहीं आ रहा था उसकी सांस क्यों तेज़ चल रही है।

 फिर भी उसने दे पूछा," किसने दिया?"

 लड़की ,"वही जिसके बाजू पर टैटू है"

 "और कुछ कहा भी, सुनना चाहोगे!"

 लड़का हकलाने लगा था।

"हां ब ब बताओ.. क क क क्या कहा था उसने"

 लड़की न,"न्यू् ईयर गिफ्ट जानेमन"

 लड़के की आंखों की पुतलियां फैल गई 

"उसने ऐसा कहा!!!"

 लड़की अब यंत्र वक्त एक के बाद एक आइटम उठा उठा कर लड़के की आंखों के सामने नचा रही थी और देने वाले का बखान भी कर रही थी

 फिर..

 लड़की एकदम गंभीर हो गई

 "तुम लड़के क्या समझते हो? मित्रता क्या है?"

 लड़का , मौन था....जैसे सांप सूंघ गया हो उसे लड़की की ओर देखने के अलावा कुछ और सूझ नहीं रहा था।यह देखना भी , उसे सूझा नहीं था बल्कि ना सूझने के कारण ही वह आवाक था ।उसकी आंखें दो बटन की तरह लड़की के चेहरे पर टांक दी गईँ थीं ।

 लड़की अब तटस्थ हो चली थी

 "तुम लड़के हमसे मित्रता करते ही क्यों हो? क्योंकि यह एक अच्छा टाइमपास है "उसने अपना मुंह दूसरी ओर घुमा लिया

 "हां टाइम पास"

" नहीं ऐसा नहीं है"लड़का मुश्किल से बस इतना ही बोल पाया

 "तो फिर बताओ"लड़की अब काफी नजदीक आ गई थी उसका चेहरा फिर लड़के के चेहरे के बिल्कुल सामने था जैसे कि उसकी आंखें लड़के कीं आंखों में कूदी जा रही थी।

" तुमने कभी इन सब को रोका क्यों नहीं। तुम तो जानते थे कि यह सब मुझे तंग करते हैं।"

 "या नहीं जानते थे बोलो"उसके हाथ से चुटकी बजी।

 "हां थोड़ा तो"

" तो फिर"

लड़के को फिर से कुछ सूझ नहीं रहा था।ये कुछ न सूझने की बीमारी उसकी एक दम नई थी। बेचारा सही अर्थों में मिट्टी का माधव हो गया था। वैसे लड़का था मेधावी ।हमेशा मेरिट में रहता था स्कूल के दिनों में एथलीट भी रहा लेकिन इधर कॉलेज में आने के बाद किताबी कीड़ा हो गया था। पिता की बेकरी शॉप पर भी कभी -कभी बैठ लेता था ।ग्राहकों से मिठया-मिठया कर बोलता ।वैसे कोई ऐब नहीं था लड़के में। बस दिन में दो चार मैसेज वह लड़की को कर ही देता था। उसका हालचाल पूछता। गुड मॉर्निंग गुड नाइट के अलावा फलाने ढिमाके दिवस की शुभकामनाएं देता रहता और हां उस की डीपी को एकांत में ज़ूम करके देखा करता।

इधर लड़की को भी लड़की की संजीदगी पसंद थी सामने आने पर मुस्कुराकर रह जाता कभी-कभी हाय बोलता कभी अधिक बात नहीं करता था यही उसके मगर एक बात थी लड़की चाहती थी कि लड़का कुछ-कुछ वैसे ही जैसे लफंगे दिखावा करते हैं उसे गिफ्ट देते हैं अपने बीमार पिता भगंदर से पीड़ित मां के साथ अपना दुख बांटने का साहस कर सकी थी मगर वह चाहती थी इस घोंचू से कहें मगर क्यों कहे क्या उसे खुद नहीं दिखाई देता?

 जब परफ्यूम वाले लड़के ने परफ्यूम गिफ्ट किया था और जानेमन कहा था तो सातों समंदर उसके अंदर खौल पड़े थे ,फिर भी वह ऊपर से शांत पानी थी। लहर का कोई निशान नहीं।निर्भया के पीड़ितों को अभी भी फांसी नहीं हो पाई थी !6 बरस हो गए थे इधर हैदराबाद में वेटीरीनरी डॉक्टर का भी हाल हुआ था उन्नाव मैं भी खेल तभी उसे उस अटैक लड़की का चेहरा याद आ गया उसने इस किस्से को करने का ऑल फैसला ले लिया हिंदी

 वह किसी से मदद नहीं मांग सकती हां यह लड़का है ना कुछ और नहीं तो कम से कम उसके साथ चल तो सकता है उन से बात कर सकता है समझा सकता है.....कम से कम... उसके साथ कुछ कदम चल तो सकता है ,लेकिन लड़के ने ऐसा कुछ नहीं किया वह किसी तरह का व्हाट्सएप नंबर पा गया था और इतने में ही खुश था

 लड़की ने लंबी सांस ली और बताया मैं अब क्लासेस अटेंड नहीं करूंगी

 क्यों

 डर लगता है कहीं मैं भी क्यों मैं तो नहीं 

 काका काका कौन सी क्यों 

 निर्भया...... डॉक्टर...... उन्नाव..... समझ गए ना

 चुप न जाने कैसे लड़के का हाथ लड़की के मुंह तक लड़की की आंखों में दो बूंदें छलक आई थी इस बार सातों समंदर मैं एक साथ ज्वार आया था

 मैं वादा करता हूं

 लड़का अब तक स्वयं को संतुलित कर चुका था अच्छा

 तुम्हारी सुरक्षा अब मेरी जिम्मेदारी है तुम्हें अकेला नहीं छोडूंगा तुम्हें अब से कोई तंग नहीं करेगा

 कहते हुए लड़का एक समझदार वयस्क की तरह पेश आ रहा था

 लड़की अब सुबकने लगी थी उसने लड़के का हाथ अपने मुंह से हटा दिया "मगर वे तुम्हें कुछ करेंगे तो नहीं।झगड़ा मत करना प्लीज"

 लड़की को अब एक अलग तरह का डर सताने लगा था ।"

मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा ।"उसने लड़की का हाथ अपने हाथ में ले लिया ,"मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ रहूंगा, देखूंगा तुम्हें कोई तंग न ,करें तुम्हें अकेला नहीं छोडूंगा बस...."

" सच"

 लड़की खुश थी। उसने लड़के के कंधे को अपने सिर से हल्का धक्का दिया

 "जाओ अब माफ किया"

"हें".. लड़का फिर हैरान था

 लड़की," नए साल में अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो प्लीज मुझे माफ करना ....ये साथ यूं ही बना रह" कहते हुए लड़की के मुंह से फूल और सितारे झड़ रहे थे जो सीधे धरती से आकाश तक फैल गए थे लड़का लड़की को खुश देखकर खुश था।


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