सुनहरे अवसर
सुनहरे अवसर
समय किसी का मोहताज नहीं होता, विषम-परिस्थितियों के घेरे में पति को खोने के बाद बच्चों की परवरिश की खातिर रमा को नौकरी करनी पड़ी। वह मन मसोस कर रह जाती, बच्चे छोटे हैं, उनको अमूल्य समय देने का अवसर खो रही हूँ।
फिर मन की शांति के लिए डायरी लिखने लगी। इसी बीच बच्चों ने मोम्सप्रेस्सो के साथ परिचय करवाया, बेहतरीन लेखनशैली के साथ मिली एक नवीन पहचान। साहित्य-क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करने के मिलने लगे सुनहरे अवसर।
आत्मनिर्भर बच्चों के स्वर, माँ साथ रहकर पूरे कर ले अपने अरमान "अवसर बार-बार दस्तक नहीं देते"। ऐसे बार-बार मिले, अवसरों को खोया नहीं करते हैं।