सुकून भरी नींद
सुकून भरी नींद
मां से बाते करते-करते न जाने रूही को कब नींद लग गई और रंगीन परियों के सपनों में खो गई। बेचारी मां अपनी बातें करती रही, बेटी घर जो आई थी, पूरे साल भर परीक्षा देने के बाद।
सुबह रूही मां से स्नेहभरे प्यार से लिपटकर बोली सच में मां, "विषय के अनुरूप पढ़ाई-लिखाई के लिए गई घर से बाहर मैं।" परीक्षा खत्म होने के बाद वैसे नींद आती ही है, पर घर पर तेरे हाथ का लज़ीज़ खाना खाकर जो सुकूनभरी-नींद आती है, उसका जवाब ही नहीं, "घर जैसा सुकून कहीं पर भी नहीं है मां।"