सुबह का भुला

सुबह का भुला

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सुबह चार बजे एक असमंजस लिए शिखा भाग निकली थी घर से फेसबुक पर बँधे रिश्ते को अंजाम देने, एक तो शिखा डरी हुई थी उपर से एनाउंसमेंट हुई लखनऊ जाने वाली ट्रेन दो घंटे लेट है, शिखा की घबराहट बढ़ गई बेंच पर पास में बैठी एक 40 साल की लेडी ने शिखा के डरे हुए कंनफ्यूज़ से बर्ताव को भाँप लिया था शायद तो बोली बेटी घर से भाग कर निकली हो क्या ? 

शिखा को एक पल गुस्सा आया इनको इतनी पंचात क्या है,पर सिर्फ़ हाँ में सर हिलाया.! 

इधर शिखा के मम्मी पापा छह बजे उठते ही शिखा को घर में ना देखकर बौखला गए हर जगह फोन किए सगे संबंधियों और दोस्तों को पर कहीं से शिखा के बारे में कुछ पता नहीं चला, शिखा की मम्मी की तो हालत खराब हो गई जवान खूबसूरत लड़की कहीं कोई उल्टा सीधा कदम तो नहीं उठा लिया होगा।

इधर शिखा के पास बैठी लेडी ने इतना ही कहा बेटी एक बात बताओ माँ-पापा तुमसे प्यार नहीं करते क्या ? या लगता है तुम उसे प्यारी नहीं, या तो तुम उनसे नफ़रत करती हो.!

सुनो बेटी अगर शोश्यल मिडिया पर किसी अजनबी से बिना देखे, बिना जाने पहचाने प्यार हुआ है तो तुम एक बहुत बड़ी गलती करने जा रही हो, क्या पता जो शख़्स ने तुम्हें जहाँ बुलाया है वो वहाँ पर तुम्हारे साथ क्या करेगा, कोई सच्चा प्यार करने वाला लड़की को यूँ अकेले नहीं बुलाता वो खुद क्यूँ नहीं आया तुम्हें लेने? 

ओर एसे भागने वाली लड़कीयों के कुछ किस्से सुनाएँ ओर कहा अभी ट्रेन आने में वक्त है सोच लो एक बार अपने माँ बाप के बारे में ओर अपनी आने वाली ज़िंदगी के बारे में।

शिखा की आँखों के सामने उसके प्यारे पापा का चेहरा तैरने लगा जिनकी वो जान थी , ओर माँ याद आते ही शिखा रुंआसी हो उठी बचपन से लेकर कल रात तक माँ-बाप ने दिये लाड़ प्यार याद आने लगे तो शिखा के रौंगटे खड़े हो गए ये सोचकर की क्या बीतेगी उन पर ये जानकर की मैं घर से भाग गई हूँ जिन्होंने मुझे जन्म दिया लाड़ से पाल पोष कर पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया।

पास बैठी आन्टी ने दो वाक्य से शिखा की सोच बदल दी, सच में वो कहाँ इतना कुछ जानती थी समीर के बारे में महज़ चार महीने के रिश्ते के लिए तेइस साल के रिश्ते को ठोकर मारकर ज़माने भर में ज़लिल करने चली थी और शिखा थैंक्स आन्टी बोलकर ओटो पकड़ कर सीधे घर आ गई। 

शिखा के पापा पुलिस स्टेशन जा ही रहे थे रिपोर्ट लिखवाने की शिखा ने घर में कदम रखा शिखा को देखते ही घर वालों की जान में जान आई।

शिखा की मम्मी ने पूछा कहाँ चली गई थी बिना बताएँ हमारी तो जान निकल गई थी,

शिखा ने सब सच-सच बताकर माफ़ी मांगी ओर मम्मी-पापा से लिपटकर रोने लगी,

पर आख़िर माँ बाप तो माँ-बाप होते है शिखा के पापा ने कहा कोई बात नहीं बेटी सुबह का भूला शाम को घर लौटे तो उसे भूला नहीं कहते अब आगे से एसी भूल मत करना हर बार सबको समझाने कोई आन्टी नहीं मिलती।


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