स्त्री
स्त्री


मेरा नाम शिवानी है। मैं दसवीं में पढती हूँ। मेरी एक बड़ी बहन है, जो बारवी में पढती है। मेरे दो छोटे भाई हैं, रोहित आठवी में और ललित सातवी में पढता है। हमारा एक छोटा सा परिवार है। हम चार भाई-बहन और मेरी मम्मी। पापा को गुजरे दो साल हो चुके है। मेरी मम्मी टैलर है और हमारा छोटा सा परिवार मम्मी की कमाई से ही गुसर-बसर करता है । हम इतने में ही खुश हैं। पापा के चले जाने के बाद बहुत मुश्किले हुई पर मां ने सब समाल लिया था।
मेरे पापा होटल में खाना पकाने का काम करते थे। उनको, हमने एक हादसे में खो दिया था। बैंक में शेविंग के नाम पे कुछ भी नहीं था। मम्मी कुछ समय तक सदमे में चले गयी पापा के चले जाने के बाद।
मम्मी के कोई भाई नहीं थे, इसलिए पैसों की कुछ मदद ना मिल सकी। नाना थे नहीं, नानी भी अकेली थी। मम्मी के बहन के पति ने मदद करने की बात कही पर वो मदद के बदले मम्मी से उनका शरीर मांग रहे थे। मेरी मां मेरी शिक्षक मेरी गुरु मेरी डॉक्टर मेरी दोस्त मेरी मां मेरा गुरूर । आज वह हमें अपने बल-बूते पाल रही है।