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अपनी शादी के कुछ ही दिनों बाद आज रवि ने अपनी माँ से कहा,कि कल पत्नी गरिमा ने बातों ही बातों में मुझसे कहा। सब कहते जरूर है कि एक स्त्री कोमलांगी होती है।
पर सही मायने में एक स्त्री, पुरुष से कहीं ज्यादा धैर्यवान और साहसी होती है। माँ मैं जानता हूँ कि गरिमा का यह विचार सही नहीं है। पर भी मैने उस वक्त उसे नकारना उचित नहीं समझा।
रवि की बात सुन कुछ पल विचार के बाद फिर माँ उससे बोली। सुनो बेटा,एक स्त्री अपना सारा बचपन अपने माता पिता के घर बिताती है। और फिर एक दिन सहर्ष चल देती है,एक अनजान पुरुष के साथ उसकी एक नई दुनिया बसाने। जहां बड़े धैर्य व समर्पित भाव से सालों गुजार देती है। उस परिवार को खुशियों से भरने में।
अब तुम ही बताओ बेटा क्या है किसी परुष में इतना साहस व धैर्य।
