हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Fantasy Others

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Fantasy Others

सशरीर जाना

सशरीर जाना

5 mins
13


बड़ी रस्साकसी चल रही है आजकल कट्टर ईमानदार और ई डी में। ई डी सर जी को बुला रही है मगर सर जी को अभी ई डी ऑफिस जाने की फुर्सत नहीं है। बड़ी समस्या हो गई ये तो। फुर्सत मिले तो जायें, ऐसे कैसे चले जायें ? वेल्ले थोड़ी ना बैठे हैं सर जी , बहुत काम हैं उनके पास ! कोर्ट की जमीन पर अवैध कब्जा कर उस पर पार्टी का दफ्तर बनाना है। विधानसभा में चौथी पास राजा की कहानी सुनानी है। मनीष सिसोदिया की "अरेस्ट एनीवर्सरी" मनानी है। बिना अविश्वास प्रस्ताव के विश्वास प्रस्ताव पास करवाना है। कोई एक काम है क्या ? ई डी की तरह फ्री तो नहीं बैठे हैं ना सर जी ! 


पर ई डी भी कम नहीं है। सम्मन पर सम्मन भेजे जा रही है। जरा सी भी इंसानियत नहीं बची है ई डी में। आठवां सम्मन भी भेज दिया। आठवां नाम सुनते ही पैंट गीली हो गई सर जी की। किसी ने उसे बता दिया था कि देवकी के आठवें पुत्र ने ही कंस का वध किया था इसलिए आठवें में कुछ विशेष बात होती है। माना कि सर जी कंस नहीं हैं। हो भी नहीं सकते हैं। सर जी के सामने कंस कहां टिकता है ? सर जी तो 64 कलाओं में निष्णात हैं और कंस ! वह तो चौथी पास भी नहीं था। इसलिए ई डी को कम से कम 64 सम्मन तो भेजने चाहिए ना ! 

तो आठवें सम्मन पर भी ई डी दफ्तर नहीं जाने का मन बना लिया था सर जी ने । वैसे मन तो यह बना हुआ है कि कभी भी नहीं जाना है पर जनता के सामने सर जी को कोई न कोई नौटंकी तो करनी पड़ेगी ना ! आखिर दिल्ली की जनता ऐसे ही उनकी मुरीद थोड़ी ना हुई है , हजारों नौटंकियों के बाद ही उनकी "फैन" हुई है। अब तो जनता को सर जी की नौटंकी देखे बिना मजा ही नहीं आता है। 


तो एक बार फिर से "रंगमंच" तैयार किया गया और शूटिंग शुरू हो गई। सर जी ने अभिनय करना शुरू किया और खैराती पत्रकारों ने अपने अपने कैमरे खोल दिये। "नोटिस का जवाब भेज दिया गया है जिसमें आने में असमर्थता जताते हुए लिख दिया है कि वे अभी व्यस्त हैं इसलिए ई डी में सशरीर उपस्थित नहीं हो सकते हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ई डी के सामने उपस्थित हो जायेंगे"। 


सर जी की बात वाजिब थी। चुनाव सिर पर हैं और जमीन खिसकी हुई है। अब आप ही बताइये कि कोई कैसे आ सकता है ? जब राम जी के बुलावे (22 जनवरी) पर सर जी अयोध्या नहीं गये तो ई डी के बुलावे पर कैसे जायेंगे ? राम जी सी बड़ी है क्या ई डी ? 


पर ई डी भी कम नहीं है। जैसे कोई थानेदार किसी हिस्ट्रीशीटर के पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है उसी प्रकार का रवैया ई डी ने अख्तियार कर रखा है। अरे , अपने सर जी कोई हिस्ट्रीशीटर हैं क्या जो उनके पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं ई डी वाले ? उन्होंने भी चिठ्ठी का जवाब चिठ्ठी से दे दिया। दोनों में खतो किताबत खूब हो रही है आजकल। प्रेमी प्रेमिका के बीच में पत्रों का आदान-प्रदान होता है जैसे। अब ई डी ने लिख मारा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थिति मान्य नहीं है। उन्हें सशरीर हाजिर होना पड़ेगा। पहले तो वे ऐसे संकट के समय सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले लिया करते थे। लेकिन आजकल सुप्रीम कोर्ट भी उनसे टेढ़े मेढे सवाल पूछने लगा है। और जब से कोर्ट की जमीन अवैध रूप से हथियाने का मामला गरमाया है तब से उसे लेकर वह गंभीर रूप से नाराज़ लग रहा है। इससे सर जी के दस्त लग गये हैं। 


सर जी के पास चार ही तो हथियार हैं नेतागिरी करने के। एक सफेद झूठ , दूसरा मीडिया, तीसरा फ्री वाला मॉडल और चौथा सुप्रीम कोर्ट। इन चारों से ही उसकी राजनीति चल रही है वरना तो वह कब का जेल में होता ? 

ईडी के जवाब पर सर जी भड़क गये। प्रेस कांफ्रेंस कर कहने लगे 

"सशरीर कौन जाता है ? कोई नहीं। फिर हमें सशरीर क्यों बुला रहे हैं ? लोग तो स्वर्ग लोक भी सशरीर नहीं जाते फिर ई डी के सामने सशरीर क्यों जायें ? शरीर तो यहीं पड़ा रह जाता है, केवल आत्मा ही जाती है। मैंने भी यही कहा ई डी से। मेरी आत्मा चली जायेगी ई डी के दफ्तर लेकिन ये मान नहीं रहे हैं। जिद पे अड़े हैं। अब ई डी को कैसे बताऊं कि मुझे 'बवासीर' की बीमारी है। शीशमहल में 5-5 लाख रुपए के कमोड़ इसीलिए तो लगवाए हैं जिससे मैं दिन भर कमोड़ पर बैठा रहूं और कमोड़ के फव्वारों से मेरी बवासीर का इलाज होता रहे ‌। मैं अपने मीडिया के साथियों से पूछना चाहता हूं कि मेरी बात ग़लत है क्या" ?  


मीडिया के लोग कुछ बोलते उससे पहले ही सर जी ने नोटों की छोटी छोटी गड्डियों की पोटलियां उन मीडियाकर्मियों को दिखा दी। सबने ध्वनिमत से कहा कि कुछ ग़लत नहीं है। आगे सर जी कहने लगे। 

"मैंने सारे शास्त्र पढ़िए लिये हैं मगर सशरीर स्वर्ग जाने के मामले गिने चुने हैं। एक तो सम्राट नहुष गये थे लेकिन बाद में वे अजगर बनकर लौटे। दूसरे, त्रिशंकु को बहुत चटपटी लग रही थी स्वर्ग जाने की। इसके लिए वे ऋषि वशिष्ठ के पास पहुंचे थे लेकिन उन्होंने त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेजने से मना कर दिया। तब वे विश्वामित्र ऋषि के पास गये। ऋषि विश्वामित्र ने उन्हें अपने बल पर स्वर्ग लोक सशरीर भेज भी दिया था लेकिन देवताओं ने उसे स्वीकार नहीं किया और त्रिशंकु को लात मारकर धकेल दिया। बेचारा त्रिशंकु। न घर का रहा न घाट का। आज भी अधरझूल में पड़ा हुआ है। 

धर्मराज युधिष्ठिर जरूर गये थे सशरीर स्वर्ग लोक। पर वे धर्मराज थे। लेकिन मैं तो अधर्मराज हूं , भला ई डी के सामने कैसे जा सकता हूं और वह भी सशरीर ! संभव ही नहीं है यह। मुझे अपनी गति नहुष और त्रिशंकु जैसी नहीं करवानी है"। और सर जी शास्त्रों की कॉपी मीडिया में बांटने लगे। 

ई डी और सर जी में ठनी हुई है। दोनों अड़े हुए हैं। एक सशरीर बुलाना चाहता है, बुला भी रहा है पर सामने वाला सशरीर जाने से हिचक रहा है। देखते हैं कि यह लड़ाई कहां तक जाती है ? 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Fantasy