हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy Fantasy

4.5  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy Fantasy

सौतेला

सौतेला

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432


भाग 26 


शिवम को बड़े बाबू से छुटकारा पाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। जब तक कोई दूसरे मकान की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक उसे यहीं रहना था। उसने तय कर लिया था कि लवीना और शीना तो क्या खुद बड़े बाबू को भी अपने कमरे में नहीं आने देगा। जब कोई कमरे में आएगा ही नहीं तो फिर डर किस बात का ? न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी। 


वह सुबह जल्दी जगता और घूमने चला जाता। फिर घर आकर नहाने लग जाता और तैयार होकर घर से निकल जाता। रात को खाना खाकर ही घर आता था वह। एक तरह से वह घर में सोने के लिए ही आता था। इस तरह उसने लवीना और शीना से पिण्ड छुड़ाया। एक महीने बाद उसने दूसरा मकान किराए पर ले लिया। वहां कोई लवीना और शीना जैसी लड़की नहीं थी। 


नौकरी लगने के बाद से उसके रिश्ते के लिए लोग आने लगे। नई मां ने अपने किसी परिचित के यहां पर उसका रिश्ता करना अधिक उपयुक्त समझा। नई मां के पीहर पक्ष के दूर के संबंधी की एक लड़की का रिश्ता आया तो वह रिश्ता सबको जंच गया। शिवम को लड़की दिखाई गई। लड़की बहुत सुंदर थी। कोई परी सी लगती थी वह। एम ए पास थी। लड़की के पिता गरीब थे इसलिए वे ज्यादा पैसा खर्च करने की हैसियत नहीं रखते थे। उनके लिए शिवम का रिश्ता भी बहुत अच्छा था। शिवम भी भोला भाला मासूम सा था। दहेज के बिल्कुल खिलाफ था वह इसलिए उसके आग्रह पर उसका रिश्ता पिंकी के साथ हो गया था। 


पिंकी जैसी खूबसूरत पत्नी पाकर शिवम खुद को बहुत भाग्यशाली समझ रहा था। शिवम भी बहुत स्मार्ट था इसलिए पिंकी भी अपने मुकद्दर पर इतराने लगी थी। दोनों की जोड़ी बड़ी शानदार लगती थी। इस जोड़ी को देखकर हर कोई रश्क करने लगता था। वैष्णव परिवार में खुशी का वातावरण फैल गया था। न जाने कितने दिनों बाद इस घर में खुशियों ने डेरा डाला था। संपत और कामिनी अपने दोनों बच्चों को लेकर शिवम की शादी में मेहमान बनकर आये थे। बस इतनी ही भूमिका थी संपत की। कामिनी को अपने सौतेले बेटे की शादी में कोई रुचि नहीं थी। सारा काम नई मां और सुमन ने किया था। दौलत तो इस तरह खुश था जैसे कि उसके पुत्र का विवाह हो। सबसे अधिक खुश तो नेहा और आर्यन थे। उन्हें पिंकी जैसी भाभी जो मिल गई थी । 

दोनों जने हनीमून के लिए शिमला चले गए। शिमला में खूब मौज मस्ती की उन दोनों ने फिर वापस अपने घर आ गये। उनके दिन मजे में कट रहे थे। शिवम की रोटी पानी की समस्या को देखकर नई मां ने पिंकी को उसके साथ जोधपुर भेज दिया। जोधपुर में दोनों जने मजे से रहने लगे। छुट्टियों में वे अपने घर अजमेर आ जाते थे। इस तरह पिंकी ने दोनों जगह यानि अजमेर और जोधपुर मेंअपनी धाक जमा ली थी। उसकी आंखों में गजब की कशिश थी। उसे देखते ही हर कोई उसका दीवाना हो जाता था। गदराया हुआ जिस्म था उसका जो संगमरमर की तरह चिकना था जिस पर पानी की एक बूंद भी ठहर नहीं सकती थी। शिवम उसके सौन्दर्य में खो गया था। पिंकी को अपने सौन्दर्य पर बड़ा नाज था। वह जानती थी कि ईश्वर ने उसे बड़े करीने से बनाया है इसलिए उसके अरमान भी बहुत ऊंचे थे। बाप गरीब था तो उसके अरमान पूरे कैसे होते ? अधूरे ही रह गए थे वे। शिवम की आय भी बहुत सीमित ही थी। ऊपर के पैसे वह लेता नहीं था इसलिए उसके पास भी अधिक गुंजाइश नहीं थी। बिना पैसों के ऐशो आराम की जिंदगी नहीं जी सकता है कोई इसलिए ऐशोआराम के लिए धन दौलत का होना बहुत आवश्यक है। 


नेहा भी अब शादी लायक हो गई थी। घर में अब नेहा की शादी की तैयारी होने लगी थी। उसने बी ए कर लिया था और एम ए कर रही थी। उसके लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढा जाने लगा। नौकरी वाले लड़के बहुत पैसे मांगते थे। दौलत के पास अधिक पैसा नहीं था। संपत का कोई सहारा नहीं था। सुमन के श्वसुर सुमन को 10000 रुपए प्रति माह दिया करते थे। सुमन उन्हें बचाकर रखती थी। सुमन के पास पांच लाख रुपए इकट्ठे हो गए थे। नेहा को सुमन ने अपनी बेटी की तरह पाला था इसलिए उसने कन्यादान करने का संकल्प ले लिया था। पांच लाख रुपए उसके पास थे ही , शेष खर्चा दौलत को उठाना था। शिवम के पास अभी बचत के नाम पर कुछ था ही नहीं। पिंकी की अधिक खर्च करने की प्रवृति के कारण शिवम पर कुछ कर्जा भी चढ़ गया था इसलिए शिवम से उम्मीद करना बेमानी था। एक व्यावसायिक परिवार में नेहा की शादी धूमधाम से कर दी गई। नेहा अपनी ससुराल बीकानेर में आ गई। 


नई मां अब बूढ़ी हो चुकी थी। सुमन भी आधे समय अपनी ससुराल में रहती थी और आधे समय अपने पीहर में रहती थी इसलिए नई मां घर में काम करने वाली अकेली औरत रह गई थीं। उन्हें आंखों से कम दिखाई देने लगा था, कानों से कम सुनाई देने लगा था। हाथ पैर भी शिथिल हो गये थे इसलिए घर की परिस्थितियों को देखकर दौलत ने फिर से शादी करने का मन बना लिया था। दौलत अब पुलिस उप निरीक्षक बन गया था इसलिए 45 वर्ष की आयु में भी उसके पास अविवाहित लड़कियों के रिश्ते आने लगे। चांदनी का रिश्ता सबको पसंद आ गया और दौलत की शादी चांदनी के साथ हो गई। चांदनी अभी 20 साल की लड़की थी। उसमें जोश, उत्साह कूट कूट कर भरा था। चांदनी के आने से नई मां के द्वारा काम करने की समस्या अब दूर हो गई थी। चांदनी मन लगाकर घर का काम करती थी। वह नई मां की खूब सेवा करती थी। वह आर्यन को भी अपने पुत्र की तरह स्नेह करती थी। और तो और शिवम उससे उम्र में बड़ा होने के बावजूद वह उसे मां का वात्सल्य देने की कोशिश करती थी। चांदनी के त्याग ने सबको अपना बना लिया था। धीरे धीरे वह सबके दिलों में जगह बनाने में कामयाब हो गई। 


उधर शिवम अपने हाल में मस्त था। वह एक ईमानदार कर्मचारी था। अपनी तनख्वाह में संतुष्ट रहने वाला युवक था लेकिन पिंकी इसमें संतुष्ट नहीं थी। वह समस्त ऐश ओ आराम चाहती थी जो शिवम के वेतन से संभव नहीं हो सकते थे। उसने रिश्वत लेने के लिए शिवम को उकसाया मगर शिवम ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। पिंकी को तो पैसा चाहिए था वह कैसे भी आए, उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। वह पैसा कमाना चाहती थी पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह ऐसा क्या काम करे जिससे खूब पैसा मिल जाए ? वह इसी उधेड़बुन में लगी रहती थी। 


जोधपुर में उसकी एक खास सहेली बन गई थी जिसका नाम था रिम्पी। वह एक राजनीतिक दल "सबकी पार्टी" की सदस्य थी और नगर निगम तथा सरकारी कार्यालयों में लोगों के काम करवाया करती थी। इस काम से वह खूब पैसे भी कमाती थी। बिना निवेश के लाखों करोड़ों की कमाई केवल इसी धंधे में हो सकती है। लोग इसे दलाली भी कहते हैं। "गंदा है पर धंधा है" यह वाक्य इस धंधे पर अच्छे तरह से फिट बैठता था। 


रिम्पी की जान पहचान सत्तारूढ दल के बड़े बड़े नेताओं से थी इसलिए उसका रुतबा भी बहुत ऊंचा था। बी एम डबल्यू कार से चलती थी वह। एक ड्राइवर रख रखा था उसने। उसके घर में दो तीन नौकर काम करते थे। उसका पति एक किराने की छोटी सी दुकान चलाता था। उस दुकान से दो जून की रोटी मिल जाये तो गनीमत है। रिम्पी के सपने बड़े थे इसलिए करना भी कुछ बड़ा ही था। उसने यह "धंधा" अपनाया  राजनीति में "मलाई" भी है और इज्जत भी है। 


पिंकी उसकी हैसियत देखकर बहुत आश्चर्य करती थी कि इसके पास इतना पैसा कहां से आता है ? रिम्पी बड़े बड़े अधिकारियों के साथ उठती बैठती थी। विधायक जी के साथ तो वह अक्सर हर जगह दिखाई देती थी। कोई भी कार्यक्रम हो, शिलान्यास का या उद्घाटन का, वहां पर रिम्पी अवश्य होती थी। विधायक जी के पास ही खड़ी होती थी रिम्पी। विधायक जी अक्सर उससे "छेड़छाड़" किया करते थे परन्तु रिम्पी सदैव मुस्कुराती रहती थी। वह इन छोटी मोटी बातों पर ध्यान देती ही नहीं थी। वह जानती थी कि मर्द ऐसी छोटी मोटी हरकत तो करते ही हैं। जहां सुन्दरता होगी, वहां छेड़छाड़ भी होगी। इसलिए रिम्पी बड़े लोगों की तरह छोटी छोटी बातों को इग्नोर कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अविचल मेहनत करती थी। पिंकी ने रिम्पी में अपना आदर्श तलाश कर लिया था। वह रिम्पी के नक्शे कदम पर चलना चाहती थी। 


एक दिन पिंकी रिम्पी के घर किसी काम से गई थी। रिम्पी के घर के बाहर विधायक जी की गाड़ी खड़ी थी और विधायक जी के दो आदमी गेट पर खड़े थे। उन्होंने पिंकी को अंदर जाने से रोक दिया। पिंकी को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह बोली "रिम्पी मेरी खास सहेली है। मुझे उससे मिलना है। आप लोग कौन हैं जो मुझे मेरी सहेली के घर में घुसने से रोक रहे हैं" ? पिंकी के स्वर में आक्रोश था।

"आपको पता होना चाहिए मैडम कि अभी विधायक जी घर के अंदर ही हैं। जब तक वे घर के अंदर हैं तब तक और किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं है। आप रिम्पी मैडम की सहेली हों या कोई और , आप अंदर नहीं जा सकती हैं। इस बीच यदि रिम्पी मैडम के पतिदेव भी आ जायें तो उन्हें भी हम अंदर नहीं जाने देंगे। समझी मैडम" ? सफेद कुर्ताधारी व्यक्ति के मुख पर मुस्कान और कठोरता दोनों ही नजर आ रही थीं। 


पिंकी कुछ समझ नहीं सकी कि उसे क्यों रोका जा रहा है ? एक बार उसने एक कहानी में पढा था कि एक रियासत के एक ठाकुर साहब किसी भी गांव के हर किसी मकान में घुस जाते थे। उनकी जूतियां उस मकान के दरवाजे के बाहर खुली रहती थीं। उनके अंदर जाते ही घर का मुख्य दरवाजा बंद हो जाता था। फिर उस घर में जब तक ठाकुर साहब अंदर रहते थे तब तक किसी और को अंदर जाने की अनुमति नहीं होती थी। बाहर खुली जूतियों को देखकर घरवाले समझ जाते थे कि ठाकुर साहब घर के अंदर हैं। उस अवधि में घर के सदस्यों को पता होता था कि अंदर ठाकुर साहब क्या कर रहे हैं ? घरवालों की क्या बिसात जो कुछ बोल सकें ? तो क्या विधायक जी आज के जमाने के ठाकुर साहब हैं ? वह मन ही मन सोच रही थी पर उसे जवाब नहीं मिल रहा था। 


इतनी देर में अंदर से विधायक जी और रिम्पी दोनों आते हुए दिखाई दे गये। दोनों बड़े खुश नजर आ रहे थे। पता नहीं "सीक्रेट मीटिंग" में कौन सा सीक्रेट प्लान बनाकर आये थे वे दोनों। रिम्पी की निगाह पिंकी पर पड़ी तो वह एक पल के लिए असहज हुई लेकिन बाद में मुस्कुराते हुए बोली 

"अरे आओ पिंकी। एकदम सही समय पर आई हो। इनसे मिलिए ये हैं क्षेत्रीय विधायक श्री अशोक राम। पार्टी में इनका बड़ा दबदबा है। सी एम साहब के खासमखास हैं ये। अच्छा हुआ जो आज इनसे मुलाकात हो गई आपकी। आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का कार्य करना चाहती थी ना ? तो ये श्रीमान आपका पार्टी ज्वाइन करा देंगे और आपका कार्य भी करा देंगे" रिम्पी पिंकी को गले लगाते हुए बोली। 


पिंकी का परिचय कराते हुए वह विधायक जी को बोली "इनसे मिलिए, ये हैं मिसेज पिंकी वैष्णव। इनके पति शिवम कलेक्ट्रेट में काम करते हैं। ये मेरी खास सहेली हैं और ये अपनी पार्टी ज्वाइन करना चाहती हैं। ये चाहती हैं कि थोड़ी बहुत सेवा जनता की कर लें तो उससे इनका इहलोक और परलोक दोनों सुधर जायें"। कहते कहते रिम्पी हंस दी और उसने विधायक जी को एक आंख भी मार दी। विधायक जी पिंकी को गौर से देखने लगे। पिंकी को ऐसा लगा कि विधायक जी उसे देख नहीं रहे हैं अपितु उसके शरीर को "स्कैन" कर रहे हैं। उसे ऐसा लगा जैसे उसने कुछ पहना ही नहीं है। विधायक जी के इस तरह देखने से वह लाज से गड़ी जा रही थी। 


"आपकी सहेली तो कयामत से भी दो कदम बढ़कर कयामत हैं रिम्पी जी। वाकई ऐसी "सौन्दर्य की देवी" तो पार्टी में होनी ही चाहिए। भगवान ने इनको हुस्न थोक के भाव दिया है। हमारी पार्टी तो "हुस्न" को पूजती है। ये हमारी पार्टी के लिए बिल्कुल फिट हैं। हमारे मुखिया जी तो सौन्दर्य के पुजारी हैं। मुखिया जी जब इन्हें देखेंगे तो खुश हो जाऐंगे। ये तो देवताओं के सिर पर चढने वाला फूल हैं। और किसी के हाथों में जाने से यह फूल अपवित्र हो सकता है रिम्पी जी। अत: इस फूल को मुखिया जी तक पहुंचने तक इसकी हिफाजत करना आपका काम है रिम्पी जी। समझ गई ना" ? विधायक जी भी रिम्पी को आंख मारकर हंसते हुए बोले। 

"बिल्कुल समझ गई सर। मुखिया जी की पूजा की थाली का एक सुगंधित पुष्प है पिंकी। इनकी हिफाजत की जिम्मेदारी मैं लेती हूं। मेरे रहते हुए इस फूल को अपवित्र करना असंभव है। आप तो हमारी मुखिया जी से शीघ्र मुलाकात करा दीजिए बस। क्यों पिंकी ? तुम सी एम साहब से मिलना चाहती थीं ना ? बोलो , उनसे मुलाकात फिक्स करा दें" ? रिम्पी ने पिंकी से पूछा। 


पिंकी को तो यह कतई उम्मीद नहीं थी कि उसकी मुलाकात सी एम साहब से हो जाएगी। उसने तुरंत हामी भर दी। विधायक जी मुस्कुराते हुए चले गए और रिम्पी पिंकी को लेकर ड्राइंग रूम में आ गई। 


अगले अंक में आप पढ़ेंगे कि क्या पिंकी की मुलाकात सी एम साहब से हो पाती है या नहीं ? क्या इसके लिए कोई कुर्बानी देनी होगी पिंकी को ? तो अगले अंक में मिलते हैं हम लोग। 


श्री हरि 



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