सशक्त आत्म
सशक्त आत्म
सृष्टि की रचना में यदि देखा जाए तो नारी शरीर को नर शरीर से भिन्न भिन्न आयाम दिए और बल स्वरूप से थोड़ा प्रतिशत कम स्थिति में रखा है ये प्रतिभाग सिर्फ मनुष्य श्रेणी को ही मिला है । मेरी आज की कहानी की हीरो एक महिला है । महिलाओं को अपने छोटे से जीवन में मैने जितना समझा वो उनकी सामर्थ्य शक्ति व सशक्त आत्म की ही सम्पूर्ण व्यवस्था व व्याख्या है अन्यथा वो यदि कॉम्बैट स्किल को अपने शैशव के यदि 2 साल भी (टुकड़ो टुकड़ो में ) देती है तो फिर वो एक अजेय कवच की अधिकारिणी हो जाती है लेकिन अभी भारत में ऐसा सुखदायक पल दूर है।
हाँ तो मेरी कथा कि नायिका ग्रामीण परिवेश से है लेकिन शिक्षित व मजबूत परिवार से है। एक दिन उसकी माँ की पेंशन व बैंक के कार्य से जिलाधिकारी दफ्तर से आते 2 सांझ हो गई थी बस स्टैंड घर से कुछ दूर था सो सब्जी लेते 2 थोड़ा अंधेरा और घिर आया वैसे तो रास्ता सही था बस एक सौ मीटर का टुकड़ा सुनसान मतलब कम आवाजाही वाला था ।
उस स्थान तक आते उसने अपने कदम तेज कर दिए अन्य कोई और सहपथिक न था अचानक से मंदिर के मध्यम रोशनी में 3 आकृति अस्पष्ट सी निकल कर सामने आ गई। देखा तो तीनों अजनबी।सामने आते ही वोले देख छोरी चुपचाप रवेगी तो सुख से माहरी इच्छा पूरी होने के बाद घर जाएगी न तो राम जाने के होवेगा।
हमारी कथा की हीरो कुछ न बोली लेकिन अंदर से दृढ़ निश्चय । वे फिर बोले साइड में आजा ।दीखे तो समझदार से।ये समझ गई लड़के हैं तो पढ़े लिखे लेकिन पथ भ्रमित । सोचा शायद समझाने से मान जाएं ।
बोली "इस अपराध के बाद तुम सब फांसी चढ़ोगे।अभी तो तुम अपनी जवानी के पहले कदम पे हो माँ पिता का नाम मिट्टी में मिला कर सारे इलाके में मस्तक पर कुकर्मी लिखा कर क्या करोगे महिलाओ की इज्जत बचाना सीखो । भाई लेकिन विनाश काले विपरीत बुद्धि एक लड़का कुछ ज्यादा ही टिंगलबाज था बाकी दो तो पीछे हट गए । उसको समझाने की कोशिश भी करी लेकिन ना ।"
उस स्थिति का फायदा उठा वो अन्य दो से बोली अगर तुम नही माने और जबरदस्ती करी तो मै ऐसे घर की लड़की हूँ जो पहले तो खुद ही तुम्हें ढूंढ के काट देंगे कानून कचहरी तो बहुत दूर ।अगर तुमने मुझे जाने दिया तो मैं इस बात को बिल्कुल ही भूल कर तुम्हे माफ कर दूंगी किसी से जिक्र भी नही करूँगी।"
इतनी देर में उसने मन ही मन निर्णय ले लिया था कि बिषम परिस्थिति में क्या करना है उसने अपना खरीदा सामान धरती पर रख दिया ।उसका सुरक्षा यन्त्र उसके हाँथ में पहले से ही था उसकी बात को अनसुनी करके जैसे ही उस टिंगलबाज ने उसको पकड़ने की कोशिश की उसका अटैक सीधा उसकी नाक और टांगो के बीच था । पहली चोट ही में वो तो गया काम से ये करतब देख बाकी दोनों लिए भाग ।
"बोले बहन हमे माफ करना इसी का दिमाग जयादा सटक रहा था ।"
हमारी हीरो ने झटपट अपने सामान उठाया और भागती हुई उस स्थान से दूर निकलती गई 6 मिनट बाद घर पहुंचते ही भाई को आवाज़ दे कर बुला लिया घर मे उस समय सब सजग थे क्योंकि लड़की घर नही आई थी एक पल में सब उसके इशारे पर उसके पीछे घटनास्थल पर वो लड़का अभी भी चित्त पड़ा था भाई ने उसके हाँथ पेर बाँध दिए ।
100 न पर काल करके पुलिस बुलाई और उसके माँ बाप ग्राम पंचायत आदि के बीच उसको नँगा किया
हरियाणा पंजाब के गाँव मे अधिकतर ऐसे मामले में महिलाओं को सम्पूर्ण सुरक्षा है उनके मौखिक बयान ही साक्ष्य माने जाते है लेकिन तब जब कोई ऐसी परिस्थिति में सुरक्षित रहना जानता हो अन्यथा वारदात हो जाने पर तो बस सामाजिक अपमान जीवन का एक अंग बन जाता है फिर अपराधी का चाहे कुछ भी अंजाम हो ।।