abhhi vyakti

Abstract

2.4  

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सर्वाइवल गेम विथ डार्क

सर्वाइवल गेम विथ डार्क

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202


दंगे शुरू हो गए हैं , और यहाँ भी हर युद्ध औरत की छाती पर लड़ा जाता है कि तर्ज पर , औरतों को घसीटकर लाता हुआ इंसान उसे आदमियों की भीड़ के सामने डाल देता है , और उन्ही मैं से कुछ लोग बंदी बनाये युवकों पर गोली चलाकर उन्हें मार देते हैं , ये सारे लोग विदेशी थे ।


रोज़ किसी तरह छुपते छुपाते एक घर में पहुँच चुकी है जहाँ एक आदमी अकेला रहता है और वो रोते हुए पूछती है 'क्या हो रहा है ,ये लोग हमें जन्न्व्रों की तरह क्यों मार रहे हैं ?


वो आदमी बताता है कि म्यांमार की हालत पहले से ही ठीक नही और फिर अमेरिका इसे और कमज़ोर करना चाहता है , लोन के बहाने अब वो शर्त रख रहा है , और यहाँ की सरकार ने अपनी कई कंपनी और प्रोडक्ट्स को उनके हवाले कर दिया है , और इसके साथ ही यहाँ के लोकल्स का कहना है कि उन पर रोजगार का संकट आ सकता है , और लोगो को मानना है की अमेरिका गुलामी स्थापित करना चाहता है"

और इसलिए बागी लोगो ने अपना ग्रुप बनाया है और उनका लीडर ये सब कर रहा है , 

ये डर फैलाने के लिए ;

ये सब वो अपनी ही भासा मैं कहता है पर मोबाइल मैंट्रांसलेटर की वजह से रोज सब संमझ लेती है :


रोज़ा अमेरिकन है और वो यहाँ घूमने आयी थिं पर 1 दिन बाद ही अचनाक सब बदल गया , यहाँ गृहयुद्ध शुरू हो गया और अब वो फंस चुकी है इस अनजान देश में , जहाँ वो अकेली है , और अब भी अजनबियों के साथ ! 

वो समझ जाती है कि आंदोलन बहाना है कुछ भी करने का , आंदोलन का अर्थ रेप और किसी की भी बेवजह हत्या नही होता , वो डरी हुई है और अब बस एक ही बात की वो यहाँ से कैसे निकले , उसे अमेरिकी दूतावास पहुंचना है पर इनसब के बीच से निकलना आसान नही , तभी घर पर दस्तक होती है , ये वही गुंडे हैं , और वो आदमी रोज को पीछे के दरवाज़े से भागने के लिए कहता है वो अपने यहाँ पहने जाने वाला हाथ का कड़ा और टोपी देता है , और इशारा करता है कि अपना मुह बांधे रखना और वो वहां से निकल जाती है !

पर रस्ते मैं एक आदमी उसे देख लेता है पर वो उसे लोकल समझता है , लेकिन वहां एक और आदमी आ जाता है वो पूछता है कि तुम घर से बहार क्यों निकली पता नही यहाँ क्या चल रहा है ! 

रोज कुछ नही कहती और वो उसे जाने के लिए कहता है पर साथ खड़ा आदमी बोलता है जब खुद ही आ रही है तो तू क्यों भगाता है ,

वो कहता है कि फर्नर नही है ये कंट्रोल !

पहला आदमी कहता है चल हट वैसे भी इस मारकाट मैं मुझे तो कुछ नही मिला , है तो औरत ही , वो उसे रुकने के लिए कहता है पर रोज नही रूकती वो भगति है , वो दोनों भी उसके पीछे भागते हैं , और उन्हें पता चल जाता है कि ये लोकल नही है ;

वो बेतहाशा भगति है और उसे पीछे से एक आदमी पकड़ लेता है और वहां कुछ और आदमी भी आ जाते हैं वो उसके साथ भी वही करने वाले होते हैं तभी रोज उनसब के सामने खुद ही अपनी शर्ट खोलना शुरू कर देती है और ये देख सब चौंक जाते हैं और एक घटिया हंसी हँसते हैं और जब वो ये कर रही होती है तो पास मैं खड़ा आदमी ढीला पड़ जाता है और अपनी गन भी नीचे रख देता है वो रोज को पीछे से छुता है , अब रोज नीचे झुकती है और झटके से उसकी गन उठा लेती है और शूट करना शुरू कर देती है , बिना उन्हें मौका दिए ।और इस तरह वो वहां से भाग जाती है अपने साथ कुछ और गन्स लेकर , 


वो तेज़ी से भगती है और दूतावास  पहुँच जाती है और यहाँ म्यांमार की आर्मी है , और यहाँ भी झड़प चालू है , पर एक आर्मी पर्सन उसे देख लेता है और उसे सही सलामत अंदर एंटर करवाता है और अब रोज साँस लेती है पर जब तक वो अपनी धरती तक नही पहुंचेगी वो चैन की साँस नही ले पायेगी !साथ ही वो समझ चुकी है कि दुनिया मैं इमोशन लिमिटेड हैं वो बस अपनों तक सीमित हैं , 

लोगो को दुःख होता है , जी रोता है जब उनका अपना किसी मुसीबत मैं आता है वरना यहाँ किसी को किसी से मतलब नही , वो बस मुसीबत मैं फंसे इंसान का फायदा उठाते हैं चाहे वो बच्चा हो , या बूढ़ा और औरत सेक्स टॉय !


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