गुड्डो की खिड़की
गुड्डो की खिड़की
(मैं हूँ निहारिका और चलिये हमारी दोस्त से मिलवाते हैं, ऐसे
मिली तो मैं भी नहीं कई सालों से सोचो ! पर आयेगी कल हमारे लाडले के जन्मदिन में तो और अच्छे से मिलवा दूंगी )
निहारिका : हेल्लो !
गुड्डो : और कैसी है हमारी निहारिका जी
निहारिका : गुड्डो ! यार, अच्छी हूँ, कल निशु का जन्मदिन है, और पता है, दिल्ली दूर नहीं है !
निशु के पापा लेने आएंगे खास हमारी सेलिब्रिटी को तो आना है,
गुड्डो : अरे ! वाह 1 साल को हो गया हमारा निशु, हाँ ! आ जाउंगी,
पर ज्यादा रुकने के लिए मत कहना, अपने बच्चे से मिलना है हमें बस, और भैया को मत परेशां कर, मैं आ जाऊंगी !
निहारिका : हाँ ! तू तैयार रहना बस,
साल साल भर में तो बात होती है, आगे से तो तू बात भी न करे,
गुड्डो : अब बस भी कर यार !
निहारिका : मुझे तो परचम की याद आ गईं, वो ही एक था न जिससे तूने शायद खूब बातें की हैं, याद है स्कूल में ..
गुड्डो : बात ! झगड़ा बोल,
कितना बोलता है वो, बिलकुल चुप नहीं और किस्मत मेरी मेरे कॉलेज में ही आना था,
निहारिका : परचम तेरे वाले कॉलेज मे है !कब से,
गुड्डो : तेरी बात नही हुई क्या उससे, आपके तो अच्छे भाई है वो ..
1 साल पहले ही joining ली है,
निहारिका : नही, कहाँ हुई ! शादी के बाद तो किसी से बात नहीं होती खास !
हाँ ! अभी करूंगी
मैं तो सोच रही थी तुम लोगों का रीयूनियन मेरे घर पर ही होगा !
वैसे अब भी चिढ़ाता है, गुड्डो की गुड़िया खो गयीं
गुड्डो : बक बक मशीन है ! पर मुझे पता है दिल का अच्छा है, पर कुछ ओवर नहीं है ।
( मेरी तो हंसी नहीं रुक रही, परचम और इसकी कभी नहीं बनी, पर मुझे परचम अच्छा लगता है, अल्हड सा है, पर अच्छा है, दिखावे से कोसो दूर ।,हमारा जूनियर था 2 साल ! मुझे दी बोलता पर गुड्डो को कभी नहीं, बल्कि चिढ़ाता खूब उसके नाम पर, और गुड्डो को वो बिल्कुल नहीं भाता, पर मेरा अच्छा दोस्त बन गया था या यूँ कहूँ भाई, ! मुझे पता है गुड्डो के लिए कुछ सॉफ्ट पार्ट है उसके दिल में, शायद ! मुझे ऐसा लगता है )
देख ले गुड्डो, भगवान की लीला, पर वो कौन से सब्जेक्ट का प्रोफ़ेसर है,
मैथ्स "
अरे ! तू भी न, इतना बुरा भी नहीं , पता नहीं उसकी छोटी छोटी बातों से तू ही चिढ़ती है,
अच्छा ! उसकी तरफदारी मत कर,
हाहा ! हाँ हाँ ठीक है ।
चल ! मैं बाद में करती हूँ फ़ोन !
हाँ !
गुड्डो !
माँ ने आवाज़ लगायी, आज इतने जल्दी,
हाँ ! कॉलेज की ट्रिप है, तो इसलिए जल्दी जा रही हूँ,
ताकि बचा हुआ, ऑफिस का काम कर लुंगी जल्दी !
अच्छा ! और तू उनसे मिली क्यों नहीं,
माँ ! सुबह सुबह नहीं, अब ये शादी के ऑक्शन मे बोली नहीं लगवानी,प्लीज ! माँ,
तो कब तक ऐसी रहेगी, ये परिवार मान जायेगा, इस साल 28 की हो जायेगी, पता है न ।
भूल भी नहीं सकती, आप हो, ( 25 के बाद ही शुरू है माँ का)
माँ, मैं निकल रही हूँ ।
जय श्री कृष्णा, बाई ।
उफ़ !
Staff room का दृश्य
सुप्रभात
मिस गुड्डो,
हेल्लो, पासवान जी ! ये लीजिये कार्ड,
कार्ड ! किसका
अरे ! आपके इन दागो के लिए मैंने एक डॉक्टर से बात की, आप जल्दी ठीक हो जाएंगी, फिर देखिएगा शादी के लडडू
अब लोगों को डर रहता है न की ये फैलेगा..
थैंक यू पासवान जी ! पर मैं ठीक हूँ,
और इनका इलाज चल रहा है आलरेडी !
ये दाग मेरे काम पर न मुझ पर कोई असर डाल रहे हैं ।
अरे, आप बुरा मन गई,
( गुड्डो के चेहरे पर सफ़ेद दाग हैं, पर लोगों के मुंह में sterotypes )
अरे पासवान जी ( परचम की आवाज़ ), शादी के लडू तो मे खिला दूंगा, आज ही शादी है पास मे, कल ले आऊंगा ।
अरे ! परचम
क्या, सर ! पढ़े लिखे हैं, ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है, कोई बीमारी नहीं एक स्थिति, और न ही contagious, और गुड्डो की शादी लोगों की अजीब सोच की मोहताज नहीं।
( कहना मुश्किल है, यूँ एकटक परचम को देखि जा रही है, भले ही उससे चिढ़ी सी रहती हे पर उसे भी पता है, परचम एक समझदार इंसान है, और उसकी बहुत इज्जत करता है )
गुड्डो स्टाफ रूम से बहार निकलती है, पीछे से परचम की आवाज़,गुड्डो !
बस आ गयी है, चलो और ये मुह क्यों फुला रहता है, गुड्डो की गुड़िया खो गयी क्या ।
ये भी हद है, गुड्डो ने मन मे कहा,
( गुड्डो कॉलेज में अकाउंटेंट है, पर अकाउंट के प्रोफ़ेसर MR Lal नही आए तो, एक कंपनी की विजिट करवानी है बच्चों को तो गुड्डो को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गईं है, और उसके साथ हैं हमारे परचम जी )
( परचम : वैसे अच्छा है mr .लाल नहीं आए, थोड़ा घूमेगी फिरेगी,
पूरे दिन उस एक कमरे में बैठकर जी नहीं घुटता क्या इसका )
बस में चढ़ते ही, और खिड़की वाली सीट पर बैठ कर उसे बचपन की स्मृतियों ने घेरते देर न लगायी,
( जब उसकी माँ घर में ब्याह कर आईं थी, एक कमरे का घर और उस एक कमरे में खिड़की नहीं थी , बड़े मनुहार करके माँ ने खिड़की लगवाई, ये बात जब भी माँ बताती तो अलग ही मुस्कान दिखती माँ के चेहरे पर, उसे याद है शाम के वक्त माँ और पापा दोनों चाय की चुस्कियों के साथ खिड़की के पास बैठते और वो दृश्य गड्डो को जाने बहुत शांति और प्यार से भर देता, वो खुद खिड़की के पास घंटों बैठती ये था उसका खुद ईजाद किया गया शांति का स्रोत, ये खिड़की प्रेम माँ से ही मिला था, और वो भी खुद से कहती की बड़ी हो जाउंगी तो घर में इससे भी बड़ी खिड़की बनवाऊंगी ; हाँ बचपन का सपना कितना मासूम होता है न, सब सुन कर हंस देते थे, पर समय के साथ गुड्डो ने खिड़की के पास बैठना छोड़ दिया, एक प्यारा सा सपना जो शान्ति से भर देता था वो कहीं गुम हो गया अब तो जैसे न किसी के साथ की इच्छा न खिड़की की, क्योंकि वो ही जानती थी की वो कहीं न कहीं मायूस हो रही थी । )
गुड्डो ! गुड्डो
परचम की अचानक पड़ी आवाज़ ने भोंपू का काम किया,
ये लो पानी की बोतल, तुम लेकर नही आयी न,
गुड्डो : अरे ! Bottle भूल गयी शायद !
दवा तो है न पास में, देखो 11 बज रहे हैं, ये तो तुम्हारी दवा का समय है, भुल्लकड़
गुड्डो : तुम बड़ा नोटिस करते हो ! गुड्डो ने बनावटी सा मुह बना कर कहा !
परचम : नोटिस नहीं देखता हूँ, ये हमारा लंच आवर भी होता है, और तुम लेती हो तो,
(( कुछ देर में final स्टॉप आ गया, परचम ने बच्चों को दिशा निर्देश देने शुरू कर दिए की सब को ID card पहने लेने है, अंदर शांति से हमें फॉलो करना है, और हाँ आप अपने साथ कोई रफ़ नोटबुक लेकर आ सकते है,
गुड्डो कहती है !
कंपनी की विजिट ख़त्म होते ही, दोनों बच्चों को कैंटीन लेकर या गये ,
निहारिका और अनुज ! जी सर आप सबका ऑर्डर लेकर जाएं, सारे बच्चों को एक साथ जाने की जररूरत नहीं, ohk ! Ohk सर ।
परचम ! नीलेश जी को यहीं बुलवा लो वो यहीं खा लेंगे, गुड्डो ने परचम से कहा, हाँ ! ठीक है,
( नीलेश जी बस ड्राइवर)
बच्चे अपने खाने और बातचीत मे मगन, तभी परचम गुड्डो से चाय के लिए पूछता,
मुझे इच्छा नही, जाओ तुम जा कर पी लो,
क्या ? चाय के लिए मना, अरे चलो न ! मुझे पता है, चाय का न कितना शौक है, और ये मौसम, बहार ही है पास में,
ठीक है । चलो पर जल्दी आना,,
हाँ! चाय पिएंगे बनाएंगे नही ।
नीलेश जी आप बच्चों का खाना ख़त्म होते ही सीधे बस मैं ले आइएगा, हम आते हैं चाय पी कर, 'गड्डो नीलेश जी को कहती है,
चाय पीते हुए
वैसे मुझसे तो फूली रहती हो पर खुद से भी, देखो पांडा सा चेहरा सूखता जा रहा है, इतनी किस बात की चिंता।
तुम मेरे स्थान पर नहीं हो,
हाँ ! पता है, पर तुम अगर लोगों की दकियानूसी सोच की वजह से खुद को परेशां कर रही हो तो गलत है ये,
शादी ही सब कुछ नहीं और तुम इतनी समझदार हो, बहुत लोग है जो तुमसे रिश्ता जोड़ना चाहेंगे, ये सब तो आंख के अंधे थे ।
बात शादी की ही नहीं हैं और ये दाग जन्म से हैं और ..
गुड्डो कुछ कहती ही की उसकी नज़र कुछ दूरी पर एक बच्चे पर पड़ी जो भगाये जाने पर भी वापस मांगता, ये दृश्य उससे देखा नहीं जा रहा था, ये निष्ठुर लोग गुड्डो ने मन में कहा, और जितनी देर में वो उठी वहां बैठे एक व्यक्ति ने बच्चे को चांटा मार दिया, गुड्डो के तो जैसे बदन मे करंट चढ़ गया, चाय की प्याली नीचे रख, तेज़ कदमों से वो उनकी तरफ बढ़ने लगी और पीछे परचम ..
बच्चे को छाती से लगा लिया और परचम भी उन लोगों को कुछ सुनाता उससे पहले गुड्डो बिफर पड़ी,
क्यों इसके बाप के पास बटुआ नहीं है वर्ना तुम्हारा बटुआ खोलने पर मजबूर नहीं करता,
तुम नहीं मांगते कभी, मांगते तो सब है कोई मंदिर भगवान से तो कई बार तुम बार बार अपने माँ बाप से,
अरे ! इग्नोर करो न जो हमें आता है अच्छे से, मत दो,
दिल नहीं पसीजा बच्चे पर हाथ उठाते हुए,
गुड्डो रो सी गयी और तभी परचम ने उसका हाथ पकड़ लिया, और बच्चे को खुद की गोद में लेकर दोनों ने पहले बच्चे को खाना खिलाया और जब बच्चा जाने लगा तो वो गुड्डो के सीने से लग गया, और भागता हुआ चला जा रहा था और गुड्डो उसे एकटक देखते,
वो बहुत कुछ बोलना चाहती पर जैसे सारे शब्द मौन हो गए ।
बस मे आकार भी गुड्डो उस बच्चे को ही सोचे जा रही थी, परचम समझ गया कि ये भावुक लड़की के दिल में बात लगी है, अब ये करने वाली है,
कॉलेज पहुँच कर, परचम ने गुड्डो को ज्यादा न सोचने की हिदायत दी ।
घर पहुँच गयी पर मन उस बच्चे मे रह गया था, क्यों पहली बार किसी बच्चे को मांगता देखा है, नहीं पर जैसे ही बच्चे को छाती से लगा लिया था कैसा सुकून मिला, लगा जैसे खुद का बच्चा है,
तभी माँ ने चाय के लिए गुड्डो को आवाज़ दी, नहीं माँ चाय नहीं पीनी,
अरे ! थोड़ी सी है कप मे पि ले,
चाय लेकर बरामदे से आते हुए वो उस खिड़की के पास ठहर गयी, खिड़की खोली और आंख बंद की, उसे अनुभव हुआ की उसकी जिंदगी वाकई में क्या चाहती है उससे ।
एक कोशिश हर सपने को खुली हवा मे साँस लेने का अवसर, अब और घुटन भरे कमरे नहीं, हर किसी को उसके हिस्से की खिड़की मिलनी चाहिए, हर बच्चे को एक छत मिलनी ही चाहिए और मुझे कुछ करना है, गुड्डो ने मन में कहा,
वो आज काफी देर तक और इतनी दिनों के बाद खिड़की के पास बैठी रही,
मानो वो खिड़की से बात कर रही थी, वो खुद से कहने लगी की अँधेरे घुटन भरे कमरे में एक छोटी सी खिड़की जो खुल जाये तो पूरे कमरे को रौशनी से भर देती है,
ये खिड़की से आती रौशनी किसी उम्मीद, से कम नहीं होती न !
और तभी वो कहती है मुझे सेवा करनी है,
यस ! I should volunteering ...
और वो भाग कर अपने रूम में जाती है और लैपटॉप खोलती है,
और सर्च करती है कि कैसे वो बच्चों के लिए वाकई में कुछ कर सकती है ..
और वो एक नॉन profit ngo के लिए as a volunteir अप्लाई कर देती है, जिसका जवाब एक आध दिन मैं या जायेगा,
और सच में आज उसे पहली बार कुछ अलग ओर अच्छा महसूस हो रहा है ।
और वो खुद से कहती है कि,
मम्मी पापा को तो ये बात बतानी होगी !
और वो उनके कमरे में जाती है,
मम्मी पापा मुझे कुछ बात करनी है आपसे,
पापा : हाँ ! बोल गुड़िया,
गुड्डो : पापा ! मैं volunterring का काम करना चाहती हूँ, फुल टाइम !
पापा तो खुश हो जाते हैं कि बढ़िया बेटा, ये भी अच्छा है,
तभी मम्मी कहती है !
और ये नौकरी ;
गड्डो कहती है कि मैं नौकरी छोड़ दूंगी !
ये सुन कर माँ थोड़ा गुस्सा हो जाती है कि इतनी अच्छी खासी नौकरी,
पर पापा कहते हैं कि लाली को जिसमें ख़ुशी मिले, और ये भी तो अच्छा ही काम है !
गुड्डो अपनी माँ से लिपट जाती है और कहती है कि, ये शादी का मुझे नहीं पता माँ ! पर मुझे लोगों के लिए, कुछ करना है, मुझे आज पहली बार लगा की मेरे जीवन का भी कोई उद्देश्य है,
और इसमें मेरा भी स्वार्थ है माँ ! मुझे ख़ुशी का अनुभव हो रहा है ;
उसकी मां भी हरी झंडी दे ही देती हैं और, अब बस वहां से जवाब का इंतज़ार !
( birthday party भूल गए )
तभी बहार से नीलेश door bell बजाते हुए ( निहारिका के पति और जिनकी खुद की एक कंपनी है )
गुड्डो : नमस्ते ! भैया
नीलेश : हेल्लो ! गुड्डो
अरे कौन आया लाली ' गुड्डो की मम्मी
नीलेश : नमस्ते ! आंटी जी
मम्मी : नमस्ते बेटा ! खुश रह, और आजाओ बैठो, जा लाली पानी ला और चाय बना ,
दामाद जी पहली बार घर आए हैं,
नीलेश : नहीं ! आंटी जी, बस गुड्डो को लेने आया था, और आप लोग भी !
मम्मी : पानी तो पि लियो बेटा ! और हम तो न आ पाएंगे, जिनके पैर मैं दर्द है और मेरो भी मन न है,
लाला को खूब आशीर्वाद है !
गुड्डो : भैया ठीक है चलो आप, मेरे वजह से फालतू लेट हो रहे हो,
नीलेश : अरे नहीं !
ठीक है, आंटी जी, अंकल जी नमस्ते,
फिर चलते हैं हम !
आराम से जाना,
गुड्डो : bye मम्मी,
हाँ ! बाय
गुड्डो : दरवाज़ा बंद कर लियों अच्छे से,
हाँ !
नीलेश को गाड़ी स्टार्ट करते ही परचम का कॉल आता है,
की वो पहुंचे न हों तो गुड्डो को वो ले आयेगा
नीलेश : पहुँच गया मैं और बेठ भी गयी, और तेरा कैसे मन बदल गया,
पहले तो हां के बोल नही फुट रहे साहब के !
परचम : भैया कुछ काम था सच मैं पर अब नही है, अब सोचा ..
नीलेश : हाँ हाँ ! Cc रोड पर मिल और साथ ही चल हमारे, बाइक को कहीं पार्क कर दियो !
गुड्डो सब सुनती है और मन में कहती है, वाह फिर से !
और परचम भी बीच रास्ते ज्वाइन कर लेता है, पर आज गुड्डो के चेहरे पर अलग ही रौनक देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,
Yes, finally गुड्डो की गुडिया मिल चुकी है,
और ये क्या ! गड्डो हँस देती है ,
परचम : वाह ये होती है न smile
भैया ये आज पहली बार हंसी है,
मुबारक हो,
भैया ! आप भी
और तुम चुप रहो !
और finally ये घर पहुँच जाते हैं !
( मैं निहारिका बहुत खुश हूँ, तो ये हैं गुड्डो, लंबे बाल, पतली काया, ये बहुत पतला गयी है और चहरे पर ये सफ़ेद मोती से बिखरे हुए, मुझे तो ये अच्छे लगते हैं, मुझे याद हैं हम दोस्त इन्हें angels ब्यूटी स्पॉट्स कहते थे )
और ये क्या, पिछली बार जो लोग गुड्डो को रिजेक्ट करके गये थे वो भी यहाँ हैं,
असल में ये लड़का, नीलेश का दोस्त है,
वो गुड्डो को देखकर उसके पास आता है और माफ़ी मांगता है कि मम्मी हैं न, अब उन्हें कौन समझाए, उन्हें ये स्पॉट्स सुभ नहीं लगते, उनके अनुसार
नॉट मी ! मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं
पर गुड्डो कुछ नही बोलती ..बस हम्म करती है
पर वो फिर बोलता चला जाता है,
पर वो किसी तरह उससे बचकर निकलती है और मन में कहती है कि, अच्छा हुआ नही हुई मेरी शादी इससे,
और कुछ देर बाद गुड्डो निकलती है पर निहारिका उसे रोकती है कि अब तो रात भी हो गईं है, यहीं रुक जा न,
पर गुड्डो कहती है कि दोनों अकेले हैं वहां !
8 ही तो बजे हैं, पहुँच जायेंगे,
पर तभी बारिश भी स्टार्ट और न चाहते हुए भी आज वो यहीं रूकती है और परचम भी
( ये कुछ परचम का ज्यादा हो रहा है)
और जहाँ मिले दोस्त चार वहां तो नींद हुई लाचार
तो इनकी बातों का दौर शुरू, और साथ ही बातों ही बातों में गुड्डो अपना volunterring वाली बात भी साझा करती है !
तभी परचम कहता है कि ओह ! पता था मुझे की ये कुछ करने वाली है,
गुड्डो हल्का सा मुस्कुराती है, !
परचम पूछता है कि full time, तो गुड्डो कहती है कि हाँ,
तभी नीलेश जी आते हैं और पूछते है कि भाई ! क्या बात चल रही है, हमे भी शामिल कर लो
परचम उन्हें बताता है, और वो गुड्डो से पूछते हैं कि किस तरह की, मतलब किस छेत्र मैं सेवा करनी है ;
गुड्डो कहती है कि हरेक homeless बच्चे को छत मिल पाए, और उनका भविष्य दिशा सहित हो और किसी भी मदद कर सकूँ,
नीलेश उसे कहते हैं कि ' हमारी कंपनी भी एक ऐसी ही नॉन प्रॉफिट org . से जुडी है, if you wanna you can apply their,
गुड्डो कहती है हाँ ! मैं देखती हूँ,
नीलेश कहते हैं कि तुम्हारा फोकस बच्चो को एक सुरक्षित जगह देना है तो इस दिशा में कुछ क्रिएटिव सोचो की कैसे ये practically हो सकता है और वहां उन्हें एक प्रेजेंटेशन दो !
गुड्डो कहती है कि हाँ ये अच्छा है, और वो प्लान भी बताती है कि उसने क्या सोचा है और नीलेश उसे कहता है कि तुम presentation हमारी कंपनी की तरफ से दो, I guess this is the best,
And we help you for better execution of your plan !
गुड्डो खुश हो जाती है और वो कहती है हाँ ! बिलकुल,
और तभी निहारिका कहती है कि सो जाओ यारों,
तभी परचम कहता है दी ! आज तो डबल पार्टी, आप गुड्डो को देखो,
हाँ ! भाई देख रही हूँ
आज मेरी दोस्त अलग ही चेहरा लिए लग रही है,
पर तभी गुड्डो की आँखों में अचानक आंसू आ जाते हैं और वो निहारिका के गले लग जाती है,
और जब सब उससे पूछने वाले होते हैं तो वो कहती है कि ये ख़ुशी के आंसू थे !
अगले दिन, वो कॉलेज में प्रिंसिपल सर के ऑफिस जाती है और उन्हें सब बताती है और साथ ही अपना resignation लेटर भी,
प्रिंसिपल सर भी उसके इस फैसले से खुश होते हैं और उसे बधाई भी देते हैं,
सबसे मिलने के बाद वो कॉलेज से बहार आने लगती है, पर उसकी नज़रें परचम को ढूंढती हैं कि आज ये कॉलेज नहीं आया क्या !
और वाकई में वो कॉलेज नहीं आया
गुड्डो कॉलेज से निकलते ही, प्रेजेंटेशन के लिए निकलती है और वो देखती है कि बाइक पर बहार परचम हैं,
वो हाथ हिला कर उसे बुलाता है,
गुड्डो उसके पास जाती है और कहती है कि आज कॉलेज नही आए न तुम ,
वो कहता है कि तुम पहले चलो नीलेश के ऑफिस, प्रेजेंटेशन तैयार करो,
बैठो !
वो बेठ जाती है,
और फाइनली प्रेजेंटेशन तैयार हो जाती है,
और वो वहां एक्सप्लेन करती है ;
हम रोज बच्चों को भीख माँगते देखते हैं और उनकी आदतों पर खीजते हैं पर आखिर सड़क पर पलते हुए बच्चे, वो गरीब बच्चे जिनके माँ बाप ने पैदा करके मांगने को छोड़ दिया,
हमें कुछ चाहिए होता है हम मम्मी या पापा से बोलेंगे पर उनके पास, उनके पास है एक unknown स्ट्रेंजर, राहगीर
वो बच्चा सीखता है कि लाख दुतकार दे कोई पर कोशिश करते रहना,
और हम मैं से कई भावना से बच्चों को पैसे देते भी हैं, पर ये सोचते हैं कि वो उन पैसो से क्या करेगा !! भारत में नशा व्यापर खूब है, और ये बच्चे भी सूंघते हैं भूख के मारे और कब ये आदत बन जाता है, पता भी नही चलता, एहसास भी नहीं होता बच्चों को ! बच्चो की तस्करी,
घरों से बच्चों का किडनैप हो जाता है और सड़को पर रहते बच्चे इन्हें कोई उठा ले जाये कोई मोलेस्ट करे,
किसी को घंटा फर्क नही पड़ता पर आपको ये सुन कर सीरियसनेस महसूस हुई,
कितना दर्दनाक है ये और उन बच्चो के लिए हमें आगे आना होगा ..
तो अब हम क्या कर सकते हैं
हम मजदूर से लेकर बंजारों , सड़क पर रहते परिवारों तक सरकार की उनके लिए योजना से अवेयर करवॉएंगे, ज्यादा से ज्यादा अवेयरनेस कैंप लगवाकर उनकी भाषा सुविधा अनुसार ,
कैंप के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स, NCC कैडेस्ट्स ..
एक फ़ोन नंबर और वेबसाइट जिसमे लोग किसी भी भीख और सड़क पर रहते बच्चो के बारे में बताये और हम उन्हें अपने ngo या और दूसरे ngo से मदद उपलब्ध करवॉएंगे,
और साथ ही कई सारे अवैध तरीके से ngo मैं गलत चीज़े होती हैं उनसे भी सरकार को अवगत करवाने आवश्यक है और वहां के लोगो को सुरक्षा मुहया करवाना !
Foodtruck की सुविधा,
गुड्डो उन्हें और भी प्लान प्रेज़न्ट करती हैं और उसका जज्बा, हौसला देख org. की चेयरपर्सन भाव विभोर होकर उसका स्वागत करती है और साथ ही उसे सुभकमना देती हैं ""
नीलेश भी उसे बधाई देते हैं और वो देखती है परचम अब भी बहार बैठा है,
वो परचम के पास जाती है, और कहती है कि आज तुम कॉलेज नहीं गये और अब तक यहीं हो,
क्या हुआ !
यार एक दिन तो छुट्टी ले सकता हूँ, तुम बोलो प्रेजेंटेशन कैसी गयीं,
बहुत अच्छी !
पर तुम बोलो, आज कुछ अलग लग रहे हो, मुझे 3 घंटे हो गए न, तुमने खाया न कुछ
वो मुस्कुराता है कि हाँ ! मुझे भूख वुख नहीं
अब तो कॉलेज में मिलोगी नहीं, तो चाय पर चलोगी आज लास्ट डे ऑफ़ कॉलेज के उपलक्ष्य में
गुड्डो भी मुस्कुराती है और कहती है कि तुम न साफ़ साफ़ कहो,
परचम कहता है कि अब ये काम तो बिज़ी वाला है पर मेरे लिए तो टाइम निकाल ही सकती हो, क्यों ?!
अब मैं तो टाइम managment मैं इतना अच्छा हूँ, खाना भी बना लेता हूँ और supoort तो फुल है,
तुम बोरिंग हो but कोई नहीं, सिख ही जयोगी
और वो उससे पूछता है कि मेरी friend तो हो ही तुम, officially gf बनोगी,
और गुड्डो हंस देती है और कहती है कि मेरी उम्र नही ये टाइम पास गेम खेलने की ( अंदर से वो खुश है क्योंकि वो दोनों दोस्त हैं, खट्टे मीठे वाले और आज ये प्रस्ताव )
परचम फिर कहता है कि मैं तो लॉन्ग टर्म खेलने की कह रहा हूँ,
दोनों मुस्कुरा देते हैं और अंत मैं चाय के लिए रवाना ।

