सर्दी में गर्मी का एहसास
सर्दी में गर्मी का एहसास
३१दिसम्बर का सर्द, कंपकंपा देने वाला दिन था। सूरज महाशय भी शायद अपने घर न्यू ईयर पर छुट्टी पर थे तभी तो धूप तो क्या कहें, रोशनी की झलक भी बहुत मद्धिम सी थी।रजाई में सुकून से बैठ ,टी वी देखते हुए यह सर्द दिन एन्जॉय करने की सोची लेकिन फ्रेन्डस को हमारी यह खुशी रास न आई । हमारी सारी योजनाओं को धाराशाई करते हुए न्यू ईयर ईव को "एक साथ मनाने" के लिए घूमने चलने का प्रोग्राम बनाया । रजाई में लेटकर हमारी स्वर्गिक आनंद प्राप्त करने की खुशी उन्हें रास न आई। न जाने की हमारे विभिन्न प्रकार की बहानेबाजियों को उन्होंने समूल खारिज कर दिया और दोस्तों की निर्मम निष्ठुरता के समक्ष हमें अपनी प्यारी रजाई के गर्माहट भरे स्पर्श को तिलांजलि दे शीत थपेड़ों के थप्पड़ खाने विवश होना पड़ा।
वहां पहुंच कर अभी खाने पीने का प्रोग्राम सम्पन्न भी न हो पाया था कि पति महाशय का फोन आ गया । अत्यधिक सर्दी के कारण वो भी जल्दी दुकान बंद करके घर आ गए थे क्यों कि हमारा कार्यक्रम पूर्व निर्धारित नहीं था इसलिए उन्हें हमारे घर में न होने की आशंका नहीं थी और चाबी भी हमारे पास थी और बच्चे भी।हालात की नाजुकता को देखते हुए हमने पार्टी को अग्रिम विदाई दी और रिक्शा कर घर का रूख किया।जाते समय तो फ्रेन्डस ने गाड़ी में घर से पिक किया था तो तीर की तरह शरीर को बेधती शीत बाणों से छलनी होने से बच गए थे लेकिन रिक्शे पर तो हम सिर से पैर तक पैक होने के बावजूद लगातार कांपे जा रहे थे और खुद से भी ज्यादा बच्चों को बार बार शाल से कवर कर रहे थे। रास्ता तो "एकता कपूर के सीरियल" की तरह खिंचता ही चला जा रहा था।इसी बीच हमारी नजर रिक्शे वाले पर पड़ी और देखकर हमारा शरीर तो क्या रूह भी कांप उठी ।उसने एक कुर्ते के ऊपर झीना सा स्वेटर पहना हुआ था , नीचे पाजामा और पैर में बस चप्पल। कोई मोजे नहीं ,कोई जूते नहीं।उसे ऐसे देखकर पता नहीं हमारी सर्दी कहां छूमंतर हो गई बल्कि उसकी स्थिति से पिघल शरीर में संवेदनाओं की गर्माहट ऊर्जस्वित हो गई थी।उसकी लाचारी ने मन को अवसाद से भर दिया ।
तभी घर आ गया ।उसे किराए से अतिरिक्त पैसे देकर उसे अभी रूके रहने को कह फटाफट घर गई ।दीवान खोलकर इनके पहले के एक स्वेटर और जैकेट निकाले और दो तीन मोजे की जोड़ी निकाल उसे दी ।उसे तो जो खुशी हुई होगी उसका पता नहीं ,लेकिन मेरा रोम- रोम उसकी मदद करके आनंदतिरेक से भर गया ।यकीन मानो मुझे पार्टी सेलेब्रिट करके भी इतनी खुशी न होती जितनी सर्दी में उसे गर्म कपड़े देने से हुई । हमारी फ्रेन्डस की कैसा रहा न्यू ईयर पता नहीं मेरा तो शानदार रहा । सर्दी में गर्मी का एहसास वाली अनुभूति हो रही थी हमें।
अब उन पंक्तियों की गर्माहट का आभास हो रहा था हमको--
यहां से मस्जिद कुछ दूर है यारों
चलो किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।
