दीवाली की वो रोशन रात
दीवाली की वो रोशन रात
दीवाली के पर्व का आह्लादित गुंजन सुनाई देने लगा था ,घर बाजार रंग बिरंगी रोशनियोंऔर उपहारों ,अलंकरणों से लकदक जगमग होने लगे थे लेकिन शर्मा दम्पति के मन में कोई उत्साह नहीं था। बेटा , बेटी दोनों मय परिवार आस्ट्रेलिया सैटल थे।तीन साल हो गए उनको मिले, हालांकि वीडियो काल पर बात हो जाती लेकिन क्षणिक ही तो । बिना आलिंगन में लिए , उनके सानिध्य की अनुभूति के बगैर माता पिता का ह्रदय कहां तृप्त होता।
पिछले वर्षों की भांति ही वे बेमन से कुछ दीपक ले आईं थीं बस। न घर में साज सज्जा और रोशनी करने का मन हो रहा था, न पकवान बनाने का ।बस परम्परागत पूजा का विधान कर लेंगे।
दीवाली वाले दिन सुबह घंटी बजी तो लगा जैसे दिवास्वप्न हो कोई!!
बेटे और बेटी ने परिवार सहित अचानक आकर उन्हें सरप्राइज दे दिया।
वे दोनों खुशी और भावातिरेक से उनके गले लग बहुत देर आलिंगन बद्ध रहे।
अब तो घुटनों को पकड़ पकड़ कर चलने वाली सीमा जी में इतनी स्फूर्ति आ गई कि जब तक बच्चे फ्रैश होते,उन्होंने रसोई में खड़े होकर सब बच्चों की पसंद के न जाने कितने पकवान बनाए डाले।देसी घी का चूरमा,आलू प्याज की कचौड़ी,सेवईयां,पोहा , सैंडविच और पुलाव। शर्मा जी उनके उत्साह और स्पीड को देख दंग थे जैसे कि भवानी मां की शक्ति स्फुरित हो गई हो उनमें ।सच में "बच्चे संजीवनी होते हैं मां बाप के लिए" जो उनमें प्राणदायिनी सकारात्मक शक्ति ऊर्जस्वित कर देते हैं।
शाम को पोती और नातिन ने द्वार पर बहुत खूबसूरत रंगोली बनाई,बहू और बेटी ने पूजा की तैयारी संभाल ली व बेटा दामाद और बच्चे बहुत सी रोशनी की झालरें, पटाखे व मिठाईयां ले आए।इतने समय के विछोह के बाद अपने परिवार को एक साथ देख दोनों पति-पत्नी मानो उन लम्हों को वहीं स्थिर कर देना चाह रहे थे।
सबने मिलकर दीवाली की पूजा की । विदेश से लाए गिफ्ट्स उन्हें दिए। बच्चों ने चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया ।शर्मा दंपति के लिए यह सब सुखद कल्पना सी थी । मन अभिभूत था,आंखें खुशी से नम थीं व रोम रोम पुलकित। इस दीवाली ने तो सच में उनका घर ही नहीं अंतर्मन भी रोशन कर दिया था।
