रोटी
रोटी
इस बार अतिवृष्टि से सारी फसल बर्बाद हो गई थी।पूरे साल की मेहनत पर पानी फिर गया था लेकिन नियति के आगे किसका जोर है ।
पुराना राशन खत्म हो गया ,थोड़ा बहुत उधार का भी ले कर खा लिया ,।अब दो दिन हो गए फाकों की नौबत आ गई थी ।खुद तो वे कैसे भी गुजारा कर लेते लेकिन बच्चों की हालत नहीं देखी जा रही थी ।कल तो फिर भी कुछ चिवड़ा चबेने के दाने मिल गए थे खाने को ,आज तो वो भी नहीं । भूख से रोते रोते छोटू भगवान को याद करते करते सो गया ।
भगवान को उस बच्चे पर दया आ गई,उसके ध्यान में प्रकट होकर बोले ,"बच्चे !! रो मत, बता क्या माँगता है ? वो बच्चा यह जानते हुए भी कि यह सर्वशक्तिमान ईश्वर माँग लेने पर ब्रह्माण्ड भी दे सकने में समर्थ है ।उसने सिर्फ इतना माँगा "रोटी"।"
