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सपने

सपने

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ये कहानी यही कुछ दो तीन दिन पुरानी है

ये कहानी है मेरे सपनो की..

सुबह सुबह अचानक एक सहेली का कॉल आया और कहने लगी कुछ ठीक नहीं लग रहा है, चल ना थोड़ा मंदिर होके आते है, भगवान से कुछ पूछ के आते है,

कुछ ऐसे सवाल जिनका जवाब ना मैं ढूंढ़ पायी न मेरा अतीत...

शायद भगवान ही कुछ राह दिखा दे अभी..

वैसे पूछना तो मैं भी बहोत कुछ चाहती थी पर भगवान को शायद मुझसे बात करना अच्छा नहीं लगता

मंदिर गए, आरती खत्म होते ही हम नीचे उतरने लगे तो धम्मम्म..... कर के शटर गिरा, वो भी सीधा मेरे सीर के ऊपर...

डर ने तो जैसे मुझे जकड़ लिया था.सहम के थोड़ा बैठी और देखने लगी की कही से खून तो नही निकल रहा, कही ज्यादा दर्द तो नही हो रहा..

थोड़ा होश में आयी तो पता चला ऐसा कुछ नही हुआ, न ज्यादा दर्द दे रहा है न कहीसे खून निकल रहा है.तब तो सहेली ने समझा के शांत कर दिया.

पर जैसे ही अपने कमरे में आयी वही डर सताया जा रहा था.डर के मारे तो एक डॉ दोस्त को भी पूछ भी लिया की मुझे कुछ होगा तो नही.आखिर मौत का डर किसे नही लगता

उसने भी समझाया ज्यादा सोचेगी तो ज्यादा दर्द होगा हालाकिं मैं समझ नही पायी,

वो कहने लगा फिजूल का मत सोचो कुछ होगा तो देख लेंगे ,पर मैं ठहरी हमेशा जरूरत से ज्यादा सोचने वाली वो चीज दिमाग से हट ही नही रही थी. कोशिश तो बहोत की पर नाकामयाब रही,

फिर अचानक मैंने कही कविताओं के ओपन माइक के इवेन्ट के बारे में पढ़ा सिरदर्द और उसके बारे में फ़िज़ूल का सोचना तो जैसे गायब ही हो गया और फिर क्या खुद को ऐसे सपने में खो दिया जो मुझे मेरी पहचान दिला सके...जो मुझे मेरे होने का एहसास दिला सके.. पलक झपकते ही मैं सारा दर्द भूल के जैसे सपनो की दुनिया में खो गयी थी.. और वो सपनों की दुनिया मुझे अच्छी लगने लगी थी.

और यू मैंने वो दर्द का ख्याल तो जैसे पीछे ही छोड़ दिया...

इस कहानी का एक ही मकसद है

जो हाल ही में मैंने जाना

लोग उही नही बोला करते की कुछ बुरा भुलाना हो तो कुछ अच्छे का सहारा जरूर चाहिए होता है

मेरे मामले में वो मेरा सपना था जो मुझे ऊंचाइयों तक ले जाने का वादा कर रहा था मुझसे

मुझे खुश रखने की कोशिश कर रहा था

और तब जाके मुझे पता चला सपने कितने मायने रखते है ज़िन्दगी में...


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