सपना
सपना
"कितना अच्छा लग रहा है सब कुछ उड़ता सा नजर आ रहा है, देखो न रितीक हम भी हवा में ही उड़ रहे हैं, हमारी ये दुनिया कितनी प्यारी है न।"
"हाँ यार सचमुच प्यारी है, काश हम यूँ ही हवा में तैरते रहे। ऐसे ही उड़ते उड़ते सब काम होते रहे। पढ़ना, लिखना, खाना-पीना, सोना-जागना।"
"अरे बुद्धू अगर हवा रुक गई तो हम गिर भी तो सकते हैं।"
"अरे हाँआआअअअ, मेरे तो दिमाग में ये बात आई ही नहीं।"
"कोई बात नहीं हम पैराशुट तैयार रखेंगे, जब भी हवा कम या ना होगी हम पैराशुट खोल लेंगे, है न मस्त आइडिया।"
"हा हा हा हा, रीतिक ने कहा।"
"चलो हम स्वीमींग के लिए चलते है", रीतिक बोला।
"हाँ चलो", नेहा ने कहा।
दोनों ने कई देर तक तैराकी की। फिर अपने कॉलेज चले गए, वहाँ से आकर वे दोनों घूमने निकल गए। वहाँ देखा कि एक शेर उनके पिछे पड़ गया। अब बेचारे क्या करे, बेचारे बड़ी मुश्किल से बच कर आए तो रास्ते में एक पागल मिल गया। दिमाग चाट गया उनका वो पागल। बड़ा दिमाग खाया उस पागल ने।
खा पी के बोला, "साला बिना दिमाग का पागल मिल गया। पागल कर गया मुझको, हा हा हा हा।"
नेहा और रितीक दोनो मजे कर रहे थे तभी, टींग टोंग, टींग टोंग, दरवाजे की घंटी बजी तो नेहा धड़ाम से पलंग से नीचे गिरी। उह आह उह आह करती लड़खड़ाती दरवाजे पर गई। देखा सामने रितीक खड़ा था, बोली "तुम।"
"हाँ मैं", इसमें इतना मुँह फाड़ने की क्या जरुरत है, रितीक बोला।
"अरे तुम तो अभी मेरे साथ हवा में उड़ रहे थे।", नेहा बोली।
"क्या क्या क्या, क्या बोली तुम, मैं और तुम्हारे साथ, वो भी हवा में उड़ रहा था, मैडम कोई सपना देखा है लगता है।" रितीक बोला।
"हो सकता है पर बड़ा मजा आ रहा था सच्ची, लेकिन मेरे और मेरे सपने के बीच में तुम आ गए", और रोनी सी सूरत बना ली।
तभी रितीक उसकी बात काटता हुआ बोला, "अरे वाह, कह रही हो बड़ा मजा आ रहा था, आ के मजा खराब कर दिया। जरा आप ये बताएगी मोहतरमा कि सपने में मजे किसके साथ कर रही थी भला।"
ये सुन वो हँसने लगी। फिर वो बोली, "तुम्हारे साथ।"
"तो फिर जो सपने में कर रही थी वो अब कर लो", फिर वो दोनों ही हँसने लगे।
