Kedar Kendrekar

Inspirational

4.5  

Kedar Kendrekar

Inspirational

सोने का हल

सोने का हल

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एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास काफी सारी खेती थी। उसने अपने खेत में कई वर्षों तक कड़ी मेहनत की, बड़ी मात्रा में अनाज का उत्पादन किया। वह न केवल अमीर था, बल्कि वह संतुष्ट और खुश भी था क्योंकि यह "लक्ष्मी" कड़ी मेहनत से अर्जित की गई थी।

इस किसान के तीन बच्चे थे। वह सब उसके साथ खुशी-खुशी रह रहे थे। वह खेती में कड़ी मेहनत करते और खेती के काम में अपने पिता की मदद करते। बाद में, जब बच्चे बड़े हुए, तो किसान ने उन सभी के लिए उचित लड़कियों को ढूंढा और उनकी शादी की व्यवस्था की। सभी बच्चे अपने-अपने संसार में खुष थे। लेकिन समय के साथ सबसे बड़ा और मध्यम पुत्र किसान की संपत्ति का लालची हो गया। उनके घर में धन के बंटवारे को लेकर लगातार झगड़े होते रहते थे। यह सब देखकर किसान का सबसे छोटा बेटा बहुत दुखी हुआ। एक दिन उसने अपने पिता से इस बारे में कुछ उपाय करने की बिनती की। लेकिन उस उपायका समाधान बाकी दो बच्चों के मन में मेहनती जीवन के प्रति सम्मान पैदा करना होना चाहिए। कुछ दिनों बाद किसान ने एक चाल चली। रात को सभी का खाना होने के बाद उसने तीनों बच्चों को अपने कमरे में बुलाया। सभी बच्चे यह सोचकर अपने कमरे में चले गए कि पिता ने उन सभी को अकेले में धन के बंटवारे के लिए मिलने के लिए आमंत्रित किया है। किसान ने उन्हें बताया कि उसने खेत में तीन अलग-अलग पेड़ों के नीचे तीन बच्चों के नाम खजाना छिपा दिया था। यह धन का बंटवारा है और सभी को अपने नाम के पेड़ को खेत में खोजकर खजाना जब्त करना चाहिए।

अगले दिन सुबह तीनों बच्चे खेत पर गए। बड़ा बेटा उस आम के पेड़ के पास गया जो उसे बताया गया था। पेड़ के नीचे खुदाई करने पर उसे कुछ सोने की ईंटें मिलीं। यह देखकर वह खुश हुआ। उसने अपनी पत्नी की सहायता से सभी ईंटों को उठाकर घर में एक गुप्त स्थान पर छिपा दिया।

बीच का लड़का खेत में इमली के पेड़ के पास गया। इस पेड़ के नीचे की जगह में खुदाई करने पर उन्हें चांदी के कुछ बर्तन मिले। उसने बिना किसी को बताए सारे बर्तन अपने कमरे में छिपा दिए।

सबसे छोटा पुत्र अपनी पत्नी के साथ खेत में बबूल के पेड़ के पास गया। वहां खुदाई के दौरान, उन्हें एक लोहे का हल और लोहे के विभिन्न उपकरण मिले जिनका उपयोग खेती में किया जा सकता था। इन सभी औजारों को देखकर लड़के को ठीक-ठीक पता चला कि उसके पिता उससे क्या कह रहे हैं।

बड़े बेटे और मंझले बेटे ने अपने कोषागार से सोने की ईंटें और चांदी के बर्तन बेचकर खूब पैसा कमाया। लेकिन अचानक आए पैसों को वे पचा नहीं पाए। वह विभिन्न व्यसनों के आदी हो गए और कुछ ही महिनों में उनके संसार की दुर्गती हो गयी।

छोटा बेटा यह सब देखकर बहुत दुखी हुआ। उसने लोहे के हल और अन्य उपकरणों की मदद से अच्छी तरह से खेती की और अगले वर्ष में बहुत सारी "लक्ष्मी" प्राप्त की। अत: वह लोहे का हल उसके लिए “ सोने के हल “ जैसा हि साबीत हुवा !

आखिर में बाकी दो लड़कों को अपनी गलतियों पर पछतावा हुआ और वे किसान से माफी मांगने लगे। लेकिन अब समय बीत चुका था। क्योंकि वे इस सिद्धांत को भूल गए थे कि मेहनत की कमाई हमेशा सुरक्षित रहती है और खुशी लाती है !


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