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anju nigam

Drama

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anju nigam

Drama

सोच

सोच

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मन में प्रचंड उथल-पुथल मची हैं।ऑफिस का माहौल में राजनीति पैठ रही हैं। इसी मनोदशा में,अंधेरे से घिरते कमरे में वो अपने बिस्तर में औधें मुँह पड़ी थी। दीदी ने आकर केवल उसका हाल-चल ही तो लेना चाहा था। पर नेहा को ये दीदी की ,अपने जीवन में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी लगी और उसने बड़े-छोटे का लिहाज छोड़ दी को खुब खरी-खोटी सुना दी। तबसे दोनो के बीच अबोला ठना था।

आज नेहा जब इसी मनोस्थिति में घी दानी में घी उलीचने लगी तो काफी घी बाहर फैल गया।उसे ध्यान आया कि दीदी हमेशा कहती कि घी या तेल उलीचते समय नीचे परात लगा लिया करो ताकि घी स्लैब में न फैले और परात में सिमटा रहे। उस दिन अगर वो भी अपने बहते मन के नीचे सब्र की परात लगा लेती।


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