STORYMIRROR

anju nigam

Drama

5.0  

anju nigam

Drama

दोस्ती

दोस्ती

2 mins
333


वो क्लास की पिछली सीट पर गुमसुम बैठी थी। वो अक्सर यूँ ही अकेले बैठी रहती थी। खाने की छुट्टी के दौरान भी वो क्लास में ही दिखती। और बेमन सूखी रोटी के टुकड़े मुँह में ठुँसती। वेणी नाम था उसका। 

अनन्या उस स्कूल में नयी आई थी। उसका भी अभी कोई दोस्त नहीं बना था। सो इस मजबूरी के चलते उसको भी क्लास में ही बैठ कर टिफिन खाना पड़ता। कई दिन से अनन्या वेणु को देख रही थी। हर वक्त उसकी आँखो में उदासी लिपटी रहती।

।उस दिन अनन्या ही पहल कर उसकी तरफ अपना टिफिन बढ़ा दिया।

"क्या आज मैं तुम्हारे साथ अपना टिफिन शेयर कर सकती हूँ। "

अनन्या के कहने पर उसने नजर उठा अनन्या की ओर देखा। " आपको कम पड़ जायेगा।" पर उसकी आँखे जुबान का साथ नहीं दे रही थी।

"नहीं पड़ेगा। तुम थोड़ा तो लो।" अनन्या ने फिर इसरार किया।

 उसने बहुत तृप्त हो खाया,मानो महीनो से उसने ऐसा खाना न खाया हो।

 "दोस्त" !!कह अनन्या ने उ

सकी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया।

 "दोस्त" कह वेणी ने उसका हाथ थाम लिया। उसकी आँखो में चमक बढ़ने लगी थी।

 उससे कुछ बाते करने के बाद अनन्या बोली,"क्या मैं तुम्हारे घर आ सकती हूँ ?आंटी से भी मिल लूँगी।"

उसकी आँखो के जलते दीये फिर बुझ गये,"मेरी माँ नहीं है।"

एक क्षण अनन्या सकते की हालत में खड़ी रही। फिर उसके कंधे पर हाथ रख बोली,"मेरी माँ भी तो तुम्हारी माँ हुई न। इसलिए आज के बाद हम दोनो माँ के हाथ का बना खाना ही खायेगे। खाओगी न!!!मना तो नहीं करोगी?" अनन्या की आँखो के आगे वेणी के टिफिन की सूखी रोटियां घुम रही थी।

"हाँ, मगर आँटी को बेवजह ही परेशानी होगी।" इस बार वेणी का मन उसकी आवाज का साथ नहीं दे रहा था।

"नहीं माँ को बहुत खूशी होगी।" कह अनन्या की आँखे खुशी से चमक उठी।

इसके बाद अनन्या ने अपना टिफिन और वेणी के दुख दोनो सांझा कर लिए। वो कहते हैं न कि दुख बाँटने से आधे हो जाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama