मैं हिंदी लेखिका हूँ
देवांश का उधर आना हुआ तो देहरी पर सुनयना को देख उसका मन पसीज उठा। देवांश का उधर आना हुआ तो देहरी पर सुनयना को देख उसका मन पसीज उठा।
देर रात तक उनका ये आत्म मंथन चलता है देर रात तक उनका ये आत्म मंथन चलता है
मैं बड़बड़ाती बाई का इंतजार करने लगी। मैं बड़बड़ाती बाई का इंतजार करने लगी।
वो कहते हैं न कि दुख बाँटने से आधे हो जाता है। वो कहते हैं न कि दुख बाँटने से आधे हो जाता है।
पर इशिता ने बहुत सहज होकर कहा,"माँ, मैंने इनसे मना किया था हार माँगने के लिए।"पर चार दो पर इशिता ने बहुत सहज होकर कहा,"माँ, मैंने इनसे मना किया था हार माँगने के लिए।"पर...
।मन था फिर बदल सकता था।अंकल तो हंसी में यही कहते हैं" मेरे हिस्से ठिगनी लड़की ही बदी थी ।मन था फिर बदल सकता था।अंकल तो हंसी में यही कहते हैं" मेरे हिस्से ठिगनी लड़की ही...
उस दिन अगर वो भी अपने बहते मन के नीचे सब्र की परात लगा लेती। उस दिन अगर वो भी अपने बहते मन के नीचे सब्र की परात लगा लेती।
मुझसे कही ऊँची जगह बना पाओ तो मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी। मुझसे कही ऊँची जगह बना पाओ तो मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी।
आगे का सफर कल या परसो भी पूरा हो जायेगा। मगर अभी तो आप लोगो को मेरी ज्यादा जरूरत है। एक आगे का सफर कल या परसो भी पूरा हो जायेगा। मगर अभी तो आप लोगो को मेरी ज्यादा जरूरत...
हमेशा मुझे अपनी बेटी की तरह ही समझा। आज एक बेटी का ही धर्म निभा दिये।" हमेशा मुझे अपनी बेटी की तरह ही समझा। आज एक बेटी का ही धर्म निभा दिये।"