अच्छा करोगे तो अच्छा मिलेगा
कभी कुछ अनकहा न रखो, वक्त दूसरी बारी नहीं देता
कुछ राख बाकी हैं अधलिखे खतो की,
जब आना तो उसी में मिलुँगी मैं भी|
अंजू निगम
देहरादून
कुछ रिश्ते अनकहे, अनसुलझे ही रह जाते है अक्सर,
बस एक खुरचन सी लगी रहती हैं बीते लम्हो की|
अंजू निगम
देहरादून
जाने कौन सी राह खींच रही हैं ये जिदंगी,
कभी थी अपनी, अब बहुत अंजान सी|
अंजू निगम
देहरादून
पाया क्या जो खो देने का डर सताये
मत करो तुम रो कर विदा,
आ भी न सकुँ फिर लौट कर|
अंजू निगम
इंदौर
गुलाबी लिफाफे में बंद सी मुहोब्बत दीजिए,
इबादत कर सकुँ ऐसी इबारत दीजिए|
गुलाबी लिफाफे में बंद सी मुहोब्बत दीजिये,
इबादत कर सकु ऐसी इबारत दीजिए|