संवेदना

संवेदना

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नब्बू ने पड़ोस से रूदन की आवाज़ आती हुई सुनी। नब्बू अपने कमरे से बाहर आया और दौड़कर पड़ोसी राजू के घर जा पहुंचा। वहाँ उसने देखा कि राजू की बेटी नेहा ने रो-रोकर पूरा घर सिर पर उठा रखा है। उसके पैर से खून टपक रहा था और उसके माता-पिता उसके पैर पर कपड़ा बांध रहे थे। नब्बू को देखकर राजू ने कहा- "बेटा, इसे अस्पताल ले जाने के लिए हमारे पास न तो गाड़ी है और न ही इलाज कराने के लिए पैसा। जेब में फूटी कौड़ी तक नहीं है। हमारा तो भगवान ही मालिक है।"

नब्बू को दया आ गई। उसने कहा- "अंकल, चिंता मत करो। नेहा को मैं अपने स्कूटर में बिठाकर अस्पताल ले जाऊंगा और इसका इलाज कराऊंगा।" ऐसा कहकर वह सीधे अपने घर जाकर स्कूटर लाया और उसमें नेहा को बिठाकर अस्पताल ले गया। नेहा के इलाज का सारा ख़र्चा उसी ने उठाया।



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