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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

संस्कारो की महक

संस्कारो की महक

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ये सब क्या है मम्मी ..... आँफिस से आए बेटे ने अपनी टाई खोलते हुए गुस्से से कहा.....? अरे संजू.....आज इतना जल्दी आ गया .....वैसे क्या हुआ क्या पूछना चाहते हो साफ साफ कहो बेटा....? हूह.... जैसे आपको कुछ पता ही ना हो ....आपको कुछ थोड़ा सा भी शर्म लिहाज नहीं है ना.....? संजू.....ये कैसी बातें बोल रहा है .....जानता भी तू किससे बात कर रहा है मां हूं तेरी .....और ऐसा कया गुनाह कर दिया मैने....? मुझे भी तो पता चले जो तू मां को शर्म लिहाज बताने चला आया....? रहने दो मेरा मुंह मत खुलवाओ.....मे पूछता हूं आखिर आप ज्योति(अपनी बहु) को क्यो नीचा दिखाती रहती हो....उसकी बात क्यों नहीं समझती आप....? अरे पर मुझे पता भी तो चले मुझे समझना क्या है....और ज्योति को मे नीचा अपनी बहु को .... भला मे ऐसा कयुं करुंगी ....? तो फिर इतनी पढी -लिखी एजुकेटेड जवान लडकियो के सामने... उनकी किटी पार्टी में क्यो बाहर आ जाती है आप और उसपर भी वो भी सीधे पल्ले की साड़ी पहनकर अपनी घिसी पिटी हिन्दी लेकर....नमस्ते बेटा ....जुग जुग जियो .....अरे जरुरत ही कया है और इतना ही शौक है सबसे मिलने का तो अपना पहनावा क्यो नहीं बदल लेती हो आप.... कितनी बार कहा थोड़े ही सही अपने पोते से कुछ अंग्रेजी के शब्द hi.. hello... हलो ....करना ही सीख लो..!! लेकिन आपको तो हमारी इज्ज़त का का कोई ख्याल ही नही....बस मुंह उठाकर बाहर चली आती है शर्म नहीं आती आपको ....कोई लिहाज नहीं है किसी की इज्ज़त का ..है ना....संजू ने आँखों की त्यौरियां चढाते हुए कहा #शर्म लिहाज...... वाह बेटा वाह.....उस वक्त कहा था तेरा ये शर्म ये लिहाज जब तेरे पापा की आकस्मिक मृत्यु के बाद तुझे एक अच्छी परवरिश देने की खातिर आई मैंने स्कूल में झाडू लगाने की नौकरी की थी ....उस वक्त तुम्हें शर्म नहीं आती थी जब मेने अपने फटे हुए कपडो को दूसरी कतरों के सहारे अपने बदन को ढका था ताकि तुम्हारे बदन पर हमेशा अच्छे कपडे बने रहे .... जब उस वक्त मैंने कोई काम करने में शर्म महसूस नहीं की नहीं की तो आज अपनी #संस्कृति अपनी सभ्यता के अनुरूप कपड़े पहनने और राष्ट्रीय भाषा #हिन्दी बोलने में कैसी शर्म...... और सच कहूं..... शर्म बहु और उसकी सहेलियों को आनी चाहिए जो हमारे घरों में किटी पार्टी के नाम पर कैसे कैसे कपडों मे चली आती है जिन्हें ये तक ज्ञात नहीं की अपने बुजुर्गों के सामने कैसे कपड़े मे जाना चाहिए कैसे आदर सत्कार करना चाहिए .... और हां बेटे ....यदि इतनी शर्म लिहाज की बातें समझ मे आती है तो बता भी देना और समझा भी देना अपनी पत्नी को जिसके कहने पर तनतानते हुए आए हो ये घर मेरी मेहनत की कमाई से बना हुआ है मेरे नाम पर ...और यदि मेरे रहने से इतनी ही शर्म महसूस होती है तो अपना बोरियां बिस्तर बांधकर जा सकती हो जहां रहने खाने मे शर्म लिहाज का मतलब समझ मे आता हो... कहकर मां अंदर चली गई वहीं बेटा वहां तो पर्दे के पीछे खडी बहु को सही मायनों में समझ आ चुका था #शर्म लिहाज का सटीक अर्थ....!!


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