सबको बूढ़ा होना है
सबको बूढ़ा होना है
एक गांव में रामदयाल नाम का बूढ़ा व्यक्ति रहता था, जो बहुत कमजोर हो चुका था। उसकी नजर कमजोर हो गई थी, और वह चलने-फिरने में भी असमर्थ था। अपनी बची कुची जिंदगी अपने बेटे रवि के साथ बिताने की चाहत में, वह शहर में रवि के घर रहने चला गया।
रवि एक छोटे से मकान में रहता था, जिसमें उसकी पत्नी सीमा और उनका 5 साल का बेटा आयुष भी रहते थे। रामदयाल के आने से उनके परिवार में एक सदस्य और बढ़ गया।
यह परिवार रोज सुबह और शाम डाइनिंग टेबल पर साथ में खाना खाया करता था। लेकिन रामदयाल की कमजोरी के चलते वह अक्सर खाने की चीजें नीचे गिरा देता, और कभी-कभी कांच के बर्तन भी टूट जाते थे। कुछ दिनों तक रवि और सीमा ने यह सब सहन किया, लेकिन फिर वे चिढ़ने लगे।
एक दिन रवि ने सीमा से कहा, "ऐसा कब तक चलेगा? हमें कुछ करना पड़ेगा।" सीमा भी इस बात से सहमत हो गई। अगले दिन रवि कहीं से एक पुरानी मेज लेकर आया और घर के एक कोने में रख दिया। उसने रामदयाल से कहा, "पिताजी, आप यहीं बैठकर खाना खा लिया करें।" उन्होंने रामदयाल के लिए लकड़ी का बर्तन भी बनवा दिया, ताकि उनके कांच के बर्तन सुरक्षित रहें।
अब रामदयाल एक कोने में बैठकर अकेले खाना खाने लगे, जबकि बाकी परिवार डाइनिंग टेबल पर खाता था। डाइनिंग टेबल पर बैठे रवि और सीमा कभी-कभी रामदयाल की ओर देखते, उनकी आंखों में आंसू नजर आते, लेकिन उन पर कोई असर नहीं होता।
एक दिन जब रवि और सीमा डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहे थे, उनका बेटा आयुष जमीन पर बैठकर कुछ कर रहा था। उन्होंने देखा कि आयुष के हाथ में लकड़ी का टुकड़ा है, लेकिन वे समझ नहीं पाए कि वह क्या कर रहा है।
रवि ने पूछा, "बेटा, आओ खाना खा लो। तुम नीचे बैठकर क्या कर रहे हो?"
आयुष ने मासूमियत से जवाब दिया, "अरे मम्मी-पापा, मैं आप दोनों के लिए लकड़ी का बर्तन बना रहा हूं, ताकि जब आप बूढ़े हो जाओ, तो मैं आपको इसमें खाना दे सकूं।"
आयुष की बात सुनकर रवि और सीमा के दिलों में तीर की तरह उतर गई। दोनों की आंखों में पानी आ गया, और उन्हें अपने भविष्य की एक झलक मिल गई। उन्होंने अगले ही दिन कोने से वह पुरानी मेज हटा दी, और अब रामदयाल फिर से परिवार के साथ मिलकर खाना खाने लगे। उनकी गलतियों से अब किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी।
सीख :-
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में हर कोई बूढ़ा होगा, और हमें अपने बड़े-बुजुर्गों का सम्मान और ख्याल रखना चाहिए। जैसा हम अपने लिए चाहते हैं, वैसा ही हमें दूसरों के साथ भी व्यवहार करना चाहिए।
