अपनी पड़ताल स्वयं करे---------
अपनी पड़ताल स्वयं करे---------
"दूसरों की आलोचना करने या नीचा दिखाने वालों को इस घटना को भी स्मरण रखना चाहिए।"👇🏻👇🏻
एक व्यक्ति के बारे में मशहूर हो गया कि उसका चेहरा बहुत मनहूस है, लोगों ने उसके मनहूस होने की शिकायत राजा से की।
राजा ने लोगों की इस धारणा पर विश्वास नहीं किया ,लेकिन इस बात की जाँच खुद करने का फैसला किया, राजा ने उस व्यक्ति को बुला कर अपने महल में रखा और एक सुबह स्वयं उसका मुख देखने पहुँचा, संयोग से व्यस्तता के कारण उस दिन राजा भोजन नहीं कर सका,वह इस नतीजे पर पहुंचा कि उस व्यक्ति का चेहरा सचमुच मनहूस है।
उसने जल्लाद को बुलाकर उस व्यक्ति को मृत्युदंड देने का हुक्म सुना दिया,जब मंत्री ने राजा का यह हुक्म सुना तो उसने पूछा ,"महाराज! इस निर्दोष को क्यों मृत्युदंड दे रहे हैं ?
राजा ने कहा , "हे मंत्री! यह व्यक्ति वास्तव में मनहूस है। आज सर्वप्रथम मैंने इसका मुख देखा तो मुझे दिन भर भोजन भी नसीब नहीं हुआ।, इस पर मंत्री ने कहा,"महाराज क्षमा करें ,प्रातः इस व्यक्ति ने भी सर्वप्रथम आपका मुख देखा। आपको तो भोजन नहीं मिला, लेकिन आपके मुखदर्शन से तो इसे मृत्युदंड मिल रहा है। अब आप स्वयं निर्णय करें कि कौन अधिक मनहूस है।
"राजा भौंचक्का रह गया।उसने इस दृष्टि से तो सोचा ही नहीं था।
राजा को किंकर्तव्यविमूढ़ देख कर मंत्री ने कहा, "राजन्! किसी भी व्यक्ति का चेहरा मनहूस नहीं होता। वह तो भगवान की देन है।
मनहूसियत हमारे देखने या सोचने के ढंग में होती है। आप कृपा कर इस व्यक्ति को मुक्त कर दें। राजा ने उसे मुक्त कर दिया। उसे सही सलाह मिली।
_दुनिया में कोई भी व्यक्ति परिपूर्ण नही हे इसलिए अपने आपको सर्वोपरी कभी नही समझे जिसे आप अज्ञानी समझ कर उसका अपमान कर रहे हो, हो सकता हे की आप उससे भी बड़े अज्ञानी हो, इसलिए अपने उपर कभी ज्ञानवान होने का अहंकार नही पाले, जिस प्रकार एक शिक्षक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उस शिक्षा से कई बच्चो में शिक्षा का नव संचार करता है हमे भी समाज में कुछ सीखने के उपरांत अपने युवाओं को सामाजिक कार्यों के लिए आगे बड़ाना चाहिए ना की उन पर अपनी निजी महत्वकांक्षा थोपना चाहिए। बल्कि उनकी यथा संभव सहायता कर आगे बड़ने में मदद करनी चाहिए।_