सोनल के संस्कार
सोनल के संस्कार
गाँव की सोनल अपनी सादगी और अच्छे व्यवहार के लिए जानी जाती थी। छोटे से घर में रहती, लेकिन मन बहुत बड़ा था। उसकी माँ ने उसे बचपन से ही संस्कार सिखाए थे—बड़ों का आदर करना, छोटों से प्रेम करना, और जरूरतमंदों की मदद करना।
एक दिन गाँव में एक बुजुर्ग महिला का बैल गाड़ी से गिरकर चोट लग गई। लोग तमाशा देख रहे थे, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। सोनल ने तुरंत बुजुर्ग महिला को सहारा दिया, गाँव के डॉक्टर को बुलाया, और उनके घर तक छोड़ने गई।
बुजुर्ग महिला की आँखें भर आईं। उन्होंने सोनल का हाथ थामते हुए कहा, "बेटी, तेरे जैसे संस्कार हर घर में हों, तो समाज स्वर्ग बन जाए।" सोनल मुस्कुराई और बोली, "यह सब माँ की सीख है।"
उस दिन पूरे गाँव में सोनल के संस्कारों की चर्चा थी। हर कोई उसकी तारीफ कर रहा था। सोनल ने साबित कर दिया कि अच्छे संस्कार न केवल हमारे व्यक्तित्व को निखारते हैं, बल्कि समाज को भी प्रेरणा देते हैं।