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Ekta shwet

Drama Inspirational Children

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Ekta shwet

Drama Inspirational Children

समय

समय

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"समय की तेजी से मत घबरा ऐ बंदे

 पाना है गर लक्ष्य नीड़ का निर्माण कर ओ परिंदे।"

 

कविता का बचपन से ही सपना था कि वह बड़ी होकर अच्छी डॉक्टर बने। उसके माता-पिता ने कविता के सपने को साकार करने के लिए कम पूंजी होते हुए भी उसको मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई ।कविता भी पूरे दिल से मेहनत कर रही थी ।अचानक परीक्षा के 15 दिन पूर्व कविता के पिता का एक्सीडेंट हुआ और उन्हें आईसीयू में भर्ती कर लिया गया। ऐसी परिस्थिति में कविता का उद्देश्य डगमगाने लगा ।उसे अपने माता-पिता की चिंता सताने लगी ।

कविता की मां ने कविता को संभाला, उससे एक ही बात कही "कविता यह हमारी परीक्षा की घड़ी है। और समय थमेगा नहीं आज जो कठिन परिस्थितियां आई है उसमें हमारे सपने समय के साथ नहीं चले तो यह सपने हमेशा अधूरे ही रह जाएंगे। जो चाह तुमने रखी है, जो तुमने लक्ष्य बनाया है , उसकी उड़ान भरने का समय बस 15 दिन में आ गया है। कविता तुम्हारा लक्ष्य एक सफल डॉक्टर बनना है । इस समय का हमको ताकत से सामना करना है। जब तुम्हारे पिताजी तुम्हें उद्देश्य से भटकते अपने कारण देखेंगे तो वह टूट जाएंगे ।

कविता ने मां की बात सुनी, पिता को चरण स्पर्श कर उसने अपने उद्देश्य के लिए अपने आपको तैयार किया व रात को पिता की देखभाल के साथ हॉस्पिटल में ही पढ़ती। 15 दिन बाद एग्जाम हुए, कविता का जब रिजल्ट आया तो वह अच्छी रैंक से प्री मेडिकल एग्जाम में चयनित हो चुकी थी। पिता को भी स्वास्थ्य लाभ हो रहा था ।परिवार का सपना रंग लाया।

 ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए कभी कोई कारण बाधा नहीं बनता बस हम समय के आगे कमजोर हो जाते हैं।

  वह समय कभी थमता नहीं है।

  

 "उड़ ले ऐ परिंदे, तेरा ही वक्त है

 आसमान की ऊंचाई है भी कम पड़ जाएंगी

 तेरे सपनों में इतना दम है।"


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