समलैंगिक रिश्ता ( सत्य आत्मकथा)
समलैंगिक रिश्ता ( सत्य आत्मकथा)
उन दिनों मैं ऑर्केस्ट्रा में गाना गाता था मेरे बहुत से चाहने वाले लोग होते थे जिनमे कुछ नौजवान लड़के लड़कियां भी होती थी , उस रात हमेशा की तरह गाना गा कर स्टेज से उतरा ही था के जोरदार ताली बजी मेरे लिए. श्रीताओ की तरफ से और वहीं भीड़ से मेरे करीब आ कर एक लड़का बहुत कामुक अदा से कहा की बहुत सुरीला गाते हो वो भी एक स्त्री के अंदाज में और मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया , मुझे लगा कोई लड़का मजाक कर रहा है. मैं आवाक सा था , सोच रहा था ये क्या हो रहा है क्या कहूं क्या ना काहू, फिर वो मेरे पास बैठ कर मेरी तारीफ करने लगा। मुझे तो पहले बहुत मजा आ रहा था , लेकिन बाद ने कुछ अजीब सा महसूस होने लगा. मुझे लगा की पूछूं के ये मुझसे चाहता क्या है लेकिन असमंजस में रह गया. मुझसे करीब आ आ कर बात करता , मेरे लिए चाय पानी पान सब लाता , फिर ये सिलसिला चल पड़ा , वो मेरे स्टेज पर जाने से पहले चाय पानी लता। मेरा हर ख्याल रखता , लेकिन अगर कोई लड़की या लड़का मेरे करीब आता तो नाराज या थोड़ा असुरक्षित महसूस करता जैसे मैं उससे दूर जा रहा हूं मेरे को खो जाने का डर सा दिखता था उसकी आंखो में , एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया "तुम क्या चाहते हो मुझसे?", उसने कहा "तुम्हारा प्यार" , मैं कुछ असहज सा महसूस करने लगा. मैने कहा "तुम और मैं दोनो लड़के है तो कोन सा प्यार चाहिए?" ,तो उसने कहा "जो प्यार एक लड़की को मिलता है वही मुझे तुमसे चाहिए , मैं तुम्हारा बहुत खयाल रखूंगा एक लड़की की तरह बस तुम मेरे हो जाओ. ",
बस मैं भी साथ हो गया उसके ,हम दोनो खूब मस्ती करते , राह चलते अगर वो मिल जाता था तो भरी सड़क पर मेरा जूता साफ करना ,पैर छूता, सच बताऊं तो आज सोचता हूं तो लगता है वो क्या था किसी से कह नहीं पाता हूं मेरा रिश्ता एक समलैंगिक रिश्ता था , फिर एक दिन अचानक मुझे लगा कि इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है मेरे लिए क्यों की मैं एक बहुत अच्छे घर परिवार संस्कार से था. मुझे जिंदगी में कुछ करने की तमन्ना थी जो की इस रिश्ते के साथ नही हो सकता था , परिवार पिता भाई मां सब का डर भी था और उस वक्त लगभग २५ साल उम्र थी, कहने ने शर्म आ रही है मेरा आरंभिक यौवन उसी के साथ बीता या कह ले की यौवन का ज्ञान उसी ने कराया , मेरे तन बदन में एक सिहरन सी आ जाती है, लेकिन आखिरकार एक दिन मैं उससे बहुत दूर चला ही गया अपने लक्ष्य को प्राप्त करने लिए. मेरा सिलेक्शन एरोनाटिकस इंजीनियरिंग के लिए हो गया और मैने बिना कुछ बोले शहर छोड़ दिया। संगीत ने ज्यादा रुचि होने के कारण मैंने पढ़ाई छोड़ कर फिर से संगीत की दुनिया में आ गया और आज भी मैं गाना गाता और लिखता हूं , इतने वर्ष हो गए लेकिन उसका प्यार मेरी देखभाल जब मैं स्टेज पर गाने के लिए जाता हूं तो आज भी याद आता है, मुझे हर भीड़ में उसका इंतजार रहता है शायद कहीं वो दिख जाए और चाय पानी पान ले कर आएगा एक अजीब सिहरन के साथ । बड़ी विडंबना है ईश्वर ने ऐसे समलैंगिक रिश्ते पैदा तो कर दिए लेकिन समाज को तैयार नहीं किया , समाज के लिए ऐसे रिश्ते स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है , मेरा अनुभव कहता है ऐसे समलैंगिक लोग चाहे वो लड़का हो या लड़की ये लोग एक आम इंसान से ज्यादा प्यार करते है सब को । मेरी दुआ है वो जहां भी हो स्वस्थ एवम सुखी हो ।

