Avinash Agnihotri

Inspirational

4  

Avinash Agnihotri

Inspirational

स्कार्फ़

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240



मीनू की माँ उस पर कुछ ज्यादा ही उखड़े स्वर में बोली "मीनू इतनी बड़ी गलती आखिर तुम कैसे कर सकती हो ।तुमने पापा का लाया हुआ इतना महंगा स्कॉर्फ कैसे खो दिया।अब तुम कोई दूध पीती बच्ची नही हो ।काफी बड़ी व समझदार हो",अपने चिड़चिड़े व जिद्दी स्वभाव के विपरीत आज मीनू भी सर झुकाए माँ की सारी बात शांति से सुन रही थी। 

कुछ देर बाद मीनू हमेशा की तरह अपने कमरे में चली गई।पर माँ की डांट आज रुकने का नाम नही ले रही थी"पता नहीं इस लड़की का हमारे बाद क्या होगा।अपनी किसी भी चीज की इसे तो कोई परवाह है ही नही।और एक इसके पापा हैं,जो इसके मुह से कुछ निकला नही कि चले फरमाइश पूरी करने।" कुछ देर यूँ ही बड़बड़ाने के बाद शीला भी अब कुछ आराम करने चली गई।

शाम तक सब सामान्य हो गया।

फिर कुछ एक दिन बाद शीला का पेरेंट्स मीटिंग के दौरान मीनू के स्कूल जाना हुआ।वहां स्कूल से कुछ ही दूर उसने मीनू का वही स्कॉर्फ सड़क बना रहे मजदूर की एक बच्ची को ओढ़े देखा।उसने सोचा इतना महंगा स्कॉर्फ ये बच्ची भला कहाँ से ले आई।

शाम को फिर उसने मीनू को अपने पास बुलाया।और प्यार से बोली ,"बेटा सच सच बता वो स्कॉर्फ खोया नही था ना।" इस बार मीनू हिम्मत करके बोली "नही माँ उस दिन वो बच्ची मारे ठंड के वहां कांप रही थी।" मीनू इसके आगे कुछ कह पाती उसके पहले ही,शीला उसे छाती से लगा लिया।



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