सिसकियां

सिसकियां

1 min
480


निशी और विधि जिठानी देवरानी, बहुत इलाज कराया पर कुछ उम्मीद नहीं थी मां बनने की। निशी को डॉक्टर मना कर चुके थे। परिवार वाले बाहर के बच्चे को गोद लेने के सख्त खिलाफ थे।

देवरानी विधि के नन्ही परी आई। निशी परी को खिलाने में समय बीताने लगी, विधि ने भी कभी रोका नहीं....पर रात को मां के पास ही जाना था परी को। निशी दिल से लगाकर सोना चाहती थी अपनी बच्ची को। ममता की छांव में पालना चाहती थी पर थी देवर की बेटी।

निशी रात भर वो रोते रोते बिताती और रोना कब सिसकियों में बदल जाता और सुबह हो जाती। देखते ही देखते परी एक साल की हो गयी...विधि रोज रात निशी की सिसकियों को सुनती। अपने पति के साथ सुबह विधि आई और निशी से बोली ..दीदी अब और सिसकारियां नहीं। आप भी माँ बनने वाली है। विधि ने अपना दूसरे बच्चे को, निशी को देने का मन बना लिया था। विधि ने निशी को 'ये एहसान कभी नहीं भूंलुगी' कहकर जोर से गले लगा लिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational