सिंधु और साक्षी

सिंधु और साक्षी

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रियो ओलंपिक में अनेक प्रयासों के बावज़ूद जब हमारी झोली खाली ही थी  तब पी वी सिन्धु और साक्षी मलिक ने हिन्दुस्थान को गौरवान्वित होने का ऐसा अवसर दिया जिस पर बहुत समय तक लोग रोमांचित हो सकेंगे ! सिंधु घाटी की सभ्यता के निशान इस बात की साक्षी देते हैं कि जब शेष विश्व आदिमानव वाली स्थिति में पेड़ों पर रहता हुआ पत्ते इत्यादि चबाया करता था तब हमारे यहाँ भूमिगत जल निकास की प्रणाली विकसित हो चुकी थी । कालांतर में अनेक कारणों से हम अपनी श्रेष्ठता और गौरव को भुला बैठे लेकिन समूचा विश्व आज भी अनेक विषयों में हमारे ज्ञान का लोहा मानता है।  

          हरियाणा जैसे प्रांत में , जहाँ स्त्री पुरुष अनुपात देश में सर्वाधिक कम हो और जहाँ की खाप पंचायत संस्कृति ने हर किसी को थर्रा रखा हो वहाँ से साक्षी मलिक, गीता, बबिता और विनेश जैसी फोगट बहनों  का उदय, देश में बदल रही मानसिकता का द्योतक है ।सुदूर त्रिपुरा की दीपा कर्माकर और उस जैसी अनेक खिलाड़ी भी जगमगा रही हैं ।  अभी तक रियो ओलंपिक में केवल हमारी स्त्री शक्ति ने ही चमक बिखेरी है।  पिछले अनेक वर्षों का रिकॉर्ड देखा जाए तो हर स्तर पर लड़कियों ने लड़कों से बाजी मारी है । दैहिक और मानसिक स्तर पर भयानक भेदभाव के बावज़ूद लड़कियों के जीवन की इस धारा को पत्थर तोड़कर बह निकलने वाले झरने की तरह अब इनके प्रवाह को रोका नहीं जा सकता । 
         हमारे सभी खिलाड़ियों ने रियो ओलंपिक में अपेक्षाकृत बढ़िया प्रदर्शन किया । कई राष्ट्रीय कीर्तिमान सुधरे किंतु दुर्भाग्यवश उन प्रदर्शनों को मेडलों में नहीं बदला जा सका । ओलम्पिक की हमारी भागीदारी देश के तमाम खेल प्रेमियों के लिऐ भारी निराशा का स्त्रोत बनती तब तक अनाम से कुछ खिलाड़ियों ने इतिहास रच दिया । 
            मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। उसमें भी नारी का स्थान सदैव ही नर से ऊँचा है । गर्भधारण कर मानव जाति के विकास में नारी का योगदान प्रमुख है । अब अनेक कारणों से जब पुरुषों द्वारा स्त्रियों का शोषण किया जा रहा हो तब स्त्रियों द्वारा अनेक मोर्चों पर प्राप्त की जा रही सफलताऐं, उनके प्रति उत्तर को दर्शा रही हैं । यह प्रकृति के काम करने का तरीका है।  लाख मजबूत ईंटों की दीवार बना दी जाऐं उनके बीच कोई न कोई कोंपल फूट ही पड़ती है जो धीरे धीरे ख़ुद का विकास करती हुई एक दिन उस दीवार को तोड़ ही देती है।  वैज्ञानिक इस बात को सिद्ध कर चुके हैं कि धीरे धीरे पुरुष जीन सिकुड़ और सिमट रहे हैं और कुछ लाख वर्षों में स्त्री जीन बिना किसी बाहरी मदद के भ्रूण निर्माण में सफल हो सकते हैं तब पुरुषों की उपादेयता खत्म हो जाऐगी और प्रकृति निरुपयोगी चीजों को स्वतः समाप्त कर देती है । अतः सँभलो पुरुषों ! स्त्रियों का आदर करो । वे तुमसे श्रेष्ठ हैं।

 

 


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