शराबी संदीप

शराबी संदीप

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"रूपा ले अंकल से बात कर, अंकल तुम्हें कविता सुनाएंगे।" रूपा ने फोन हाथ में लिया और मुस्कुराने लगी। चलो आज दीपेश अंकल कविता सुनाएंगे, "हैलो, अंकल नमस्ते मैं, रूपा बोल रही हूँ, मुझे एक मस्त कविता सुनाईये न।" दीपेश रूपा की मधुर आवाज सुनकर खुश हो गया। उसने रूपा को कविता सुनाई, रूपा ने आभार व्यक्त किया।

संदीप सरकारी नौकरी में था, वो दूसरे शहर से ऑफिस आता जाता था। उसकी अपनी एक मारुति सुजुकी कार थी, और अपनी लक्जरी बस भी चलती थी।

उसे दो बेटियाँ थी, संदीप बहुत अच्छा था लेकिन उसे एक ही खराब आदत थी। वो शराब पीता था, कभी-कभी ऑफिस में भी शराब पीकर आता था। वो ऑफिस में कुछ काम नहीं करता था, उसका ऊपरी अधिकारी भी जानता था कि संदीप शराब पीकर रोजाना घूमता है और ऑफिस में भी कुछ काम नहीं करता था। लेकिन उसे दया आती थी कि संदीप की दो बेटियाँ और उसकी पत्नी क्या करेगी, अपना घर कैसे चलाएगी। 

 संदीप ने शराब पी-पी कर अपने शरीर को नुकसान पहुँचाया था और साथ-साथ आर्थिक रूप से भी ज्यादा नुकसान हुआ था। उसे एक लड़की से प्यार हो गया था, वो ऑफिस में मिलने आती थी। धीरे-धीरे वो आशिक बन गया और घर भी नहीं जाता था। उसने प्यार और मौज करने में अपनी कार भी बेच दी। एक दिन उसने दीपेश को अपने घर बुलाया, उसकी पत्नी बहुत सहन शील थी। उसने दीपेश को अपने दुख के बारे में पता नहीं चलने दिया। उसकी पत्नी ने भोजन बनाया और दीपेश को खिलाया।

 संदीप जब शराब नहीं पीता था तो दीपेश से अच्छी बातें करता था। उसे सरिता देवी से प्यार हो गया था, सरिता एक शिक्षक के रूप नौकरी करती थी। संदीप उसे बहुत प्यार करता था, सरिता भी संदीप के प्यार में डूब गई थी। उसने संदीप को शराब पीने से मना लिया, संदीप ने अब शराब पीना छोड़ दिया था। सरिता ने शादी के लिए संदीप से बात की लेकिन संदीप तो शादी-शुदा था, उसको दो बेटियाँ भी थी, संदीप उलझन में पड़ गया। दोनों में गजब का प्यार हो गया था, अब क्या करें। उन्होंने एक प्लान बनाया और संदीप की पत्नी को बीच में से हटाने के लिए सोच लिया। एक दिन मौका देखकर संदीप और सरिता घर पहुँचे और माफी मांगी कि आज से हम दोनों अलग हो जाते हैं। तुम्हें संदीप अर्पित करती हूँ, संदीप की पत्नी बहुत ही खुश हो गई। तीनों ने साथ मिलकर होटल में खाना खाया और घर आ गए। रात में संदीप उठा और सरिता को भी जगाया कि वो देख सो रही है, चलो उसका कुछ करें। दोनों ने प्लान के मुताबिक चद्दर उसके मुँह पर डाल दिया और दोनों उसकी छाती पर बैठ गए और उसे मार डाला। शराब जो छूट गई थी वो फिर से संदीप ने शुरू कर दिया, क्योंकि उसे डर लगता था कि अगर किसी को या पुलिस को पता चला तो मेरा क्या होगा? उसी चिंता के कारण उसने शराब पीना शुरू कर दिया। 

सरिता भी सोच में पड़ गई कि क्या होगा, हुआ भी ऐसा। संदीप की पत्नी की मृत्यु नहीं उसकी हत्या की गई है ऐसा शक लोगों को होने लगा। पुलिस ने जाँच शुरू कर दी। पुलिस ने संदीप की बड़ी बेटी को पूछा कि जिस दिन तुम्हारी माँ की मृत्यु हो गई थी, उस दिन कोई आया था घर में; उसने हाँ बोला, और डरते हुए कहा कि मेरी माँ को ये दोनों ने मार डाला है। पुलिस ने दोनों को उलट जाँच करते हुए धमकाया तो दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। दोनों को पुलिस पकड़ कर ले गई, संदीप और सरिता को जेल में बंद कर दिया। संदीप की बेटियों को उसके मामा उनके घर ले गए!


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