सही समय पर ही लो सही निर्णय

सही समय पर ही लो सही निर्णय

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"रिद्धि तैयार हो जाओ कितनी देर से कह रही हूँ लड़के वाले आते ही होंगे"। रिद्धि की मम्मी पूजा ने उसे थोड़ा घूरते हुए कहा।


मम्मी मैंने आपसे कितनी बार कहा है "ये मेरी नुमाइश लगानी बंद करो, मुझे उस लड़के की लम्बाई कम लग रही है"।


"ऐसे हर लड़के में कोई न कोई नुक्स निकालती रहेगी तो ज़िन्दगी भर कुंवारी बैठने का इरादा है, क्या"? पूजा ने थोड़ा गुस्से में कहा।


रिद्धि ने अपनी मम्मी का मज़ाक बनाते हुए कहा "यह आपका ज़माना नहीं है कि माँ-बाप ने जहाँ कह दिया...वहां शादी कर लो, चाहे पसंद हो चाहे नहीं। आपने अपनी शादी तो बिना अपनी ख़ुशी के कर ही ली थी । आपने तो अपने ससुराल वालों के एक बार कहते ही अपनी नौकरी भी छोड़ ही दी थी पर मैंने दिन-रात एक कर के इतनी पढ़ाई-लिखाई इसलिए नहीं की थी की शादी जैसे बड़े फैसले में सब की ख़ुशी का ध्यान रखूं और अपनी ख़ुशी ही भूल जाऊं"। मैं अपनी कंपनी की सीनियर मैनेजर हूँ, मुझे कम से कम कोई मुझसे ऊपर नहीं तो मेरी बराबरी का तो मिले । आखिर मेरी ज़िन्दगी का सवाल है । आप मेरे ऊपर अपनी इच्छायें न ही थोपो तो अच्छा है । 


पूजा की आंखों में आंसू छलक गए ज़रा सी शादी की बात छेड़ते ही रिद्धि पूजा के ऊपर तानों की बौछार कर देती थी । एक बार भी नहीं सोचती थी की वो अपनी मम्मी के आत्म सम्मान को कितनी ठेस पहुंचा रही है । पूजा बहुत कुछ बोलना चाह रही थी पर उसका गला भर आया उससे कुछ बोला ही नहीं गया । वह चुपचाप रसोई में जाकर अपना काम करने लगी । 



तभी रिद्धि के पापा मुकेश रिद्धि के पास आये और बोले "रिद्धि मैंने तेरी और तेरी मम्मी की सभी बातें सुन ली हैं । मैंने लड़के वालों से कह दिया है की अभी हमारी बेटी शादी नहीं करना चाहती । हमारी इज़्ज़त का क्या है वो तो जब हमारी बेटी ही दिन रात हमारी इज़्ज़त उछालती है तो बाहर वालों का क्या हमारा जैसे लोगों में उठना-बैठना है, वो हमें हम जैसे बिज़नेस परिवार के ही रिश्ते बताते हैं । तुझे मैंने और तेरी मम्मी ने पूरी आज़ादी दे रखी है अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की । हमने तुझे कह रखा है कि तुझे जो भी पसंद हो हमें बता दे, हम उससे तेरी शादी करवा देंगे । ऐसे दिन-रात अपनी मम्मी की या मेरी बेइज़्ज़ती करने का क्या मतलब है । 35 साल की तो तू हो गयी है, आज तक तो तुझे कोई लड़का ही नहीं समझ आया । कितनी बार तुझे समझा दिया कि सौ प्रतिशत अपने मन मुताबिक लड़का मिलना नामुमकिन है । कहीं ना कहीं तो थोड़ा एडजस्ट करना ही पड़ता है पर नहीं तुझे तो किसी की नहीं सुननी । तेरी शादी की उम्र निकलती जा रही है तो तू अपना सारा गुस्सा हमारे ऊपर निकालती है"। 



तभी पूजा आ गयी और कहने लगी "आज के बाद हम दोनों इसके लिए ना कोई रिश्ता लाएंगे ना ही इससे शादी की कहेंगे । वो तो माँ हूँ ना इसलिए चिंता हो जाती है कि 35-40 साल के बाद बच्चा पैदा करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है । अभी तक तो नाती-पोतों को पलवाने में माता-पिता बच्चों की मदद कर देते हैं पर आगे-आगे अगर चालीस की उम्र में कोई लड़की माँ बनेगी तो शायद ही वो अपने बच्चों के बच्चें देख पाये उनकी मदद करना तो दूर की बात है । खैर रिश्तों की अहमियत तो अब सबने समझनी बंद ही कर दी है ।



इससे कह दिजिये मैंने अपनी ज़िन्दगी में जो किया, वो मेरा फैसला था रोज़-रोज़ मेरे ज़िन्दगी में लिए फैसलों पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाली यह कोई नहीं होती । जैसे इसे हमने इसकी ज़िन्दगी के फैसलें लेने की छूट दी है, ऐसी छूट मुझे नहीं मिली और मुझ में सब से लड़ने की शक्ति भी नहीं थी । इसको हमने इसलिए ही पढ़ाया-लिखाया कि यह काबिल बन सके अपने फैसले खुद ले सके पर हमने इसे हमारी बेइज़्ज़ती करने का हक़ नहीं दिया है"। 



अब रिद्धि को भी अपनी बोली हुई बातों पर पछतावा हो रहा था उसने अपने मम्मी-पापा से कहा "मम्मी-पापा मुझे माफ़ कर दीजिये"। मुझे छः महीने का समय और दे दीजिये । अगर मुझे इस बीच कोई समझ नहीं आया, तो जहाँ आप कहेंगे मैं वहां शादी कर लूँगी"।



कुछ समय बाद रिद्धि को अपने एक दोस्त की पार्टी में एक लड़का (समर्थ) पसंद आ गया और उसके मम्मी-पापा ने धूमधाम से उस लड़के से रिद्धि की शादी कर दी । शादी के बाद रिद्धि खुश थी पर उसकी कभी-कभी तो समर्थ से बहस हो ही जाती थी, तब उसे समझ आने लगा था की शादी में थोड़ा बहुत तो एडजस्ट करना ही पड़ता है ।


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