शबरी
शबरी
एक छोटी लड़की थी। जो बहुत ही प्यारी और नटखट थी। उसके पास एक मेमना था। वह मुझसे बहुत प्यार करती थी। मेमना भी उसे बहुत प्यार करता था। जहां भी जाती मैं बिना उसके पीछे पीछे जाता। वाह विद्यालय जाती घूमने जाती मेघना हर जगह उसके साथ होता। लड़की एक राजा की पुत्री थी। एक दिन राजा ने मेमने को जंगल में छुड़वा दिया। वह बहुत रोई। पुत्री का विवाह है करवा दिया, देखकर लड़की घबरा गई। और वह बहुत हुई। लड़की ने उसी वक्त अपना घर परिवार सब कुछ छोड़ दिया। और वह दूर जंगलों में चली गई। जहां उसे कोई ढूंढ ना सके। पिता जी के कार्य से उसे बहुत तकलीफ हुई उसका मन टूट चुका था। एक आश्रम में रहने लगी। और वहां वहां ऋषि मुनियों की सेवा करती थी। जैसे कि उनके आश्रम में झाड़ू लगाना उनके लिए पूजा की सामग्री एकत्र करना इत्यादि कार्य। यही लड़की आगे जाकर शबरी के नाम से प्रसिद्ध हुई। शबरी भील जाति की थी। इसलिए वहां चुपचाप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ऋषि मुनियों के पूजा की सामग्री का इंतजाम करती और उनके आने से पहले ही वह वहां से चली जाती। एक ऋषि जी को पता चल गया उन्होंने शबरी को वहां से निकलवा दिया। दिन बीतने लगे शबरी जा चुकी थी, वह भगवान राम के आने का इंतजार कर रही थी और एक दिन उनका सपना पूरा हुआ। वह रोज भगवान की राहों में वह सजाती फूलों से। एक दिन भगवान राम आए। उन्होंने भगवान राम का स्वागत किया बेर खिलाए भगवान राम ने उन के जूठे बेर खाए, क्योंकि वह इतने प्रेम से खिला रही थी, शबरी भगवान राम की बहुत बड़ी भक्त कहलाई।