चिड़िया
चिड़िया
एक चिड़िया थी। उसको एक शिकारी ने एक पिंजरे में कैद कर रखा था। वह बहुत सुंदर चिड़िया थी। शिकारी कहता था जो मुझे अच्छे धाम देगा उसको या चिड़िया में दे दूंगा। और चिड़िया बेचारी सोचती कोई तो मुझे आजाद करवा दें
चिड़िया चुप- चाप रोती रहती थी। एक दिन एक आदमी आया और उसने चिड़िया को अच्छे दाम पर खरीद लिया। चिड़िया सोच रही थी पता नहीं यह आदमी कैसा होगा। और आदमी सोच रहा था किस चिड़िया को काट कर खा लूंगा। या बड़ी स्वादिष्ट लग रही है। लेकिन यहां सुंदर भी बहुत लग रही है चलो इसको मैं पाल लेता हूं। वह चिड़िया के लिए एक बहुत प्यारा सुंदर पिंजरा लेकर आया। उसको खूब सजाया।
और वह चिड़िया की देखभाल करने लगा। एक दिन वह आदमी कहीं गया था। और वहां वह गलती से बंद हो गया। सभी लोग जा चुके थे। बातचीत आरा जिला तारा मुझे खोलो मुझे खोलो कोई है मैं अंदर हूं मुझे खोलो। 2 दिन तक वहां वहीं पर बंद रहा। तब उसे समझ आया की कैद मैं रहना कितना मुश्किल है। चारी चिड़िया कैसे रहती है और उसने निर्णय लिया। कि मैं अब चिड़िया को आजाद कर दूंगा। और जैसे ही हो उसे कुछ व्यक्तियों ने खोला वह आदमी सीधा अपने घर गया। और उसने चिड़िया के पास जाकर चिड़िया से माफी मांगी। और उससे कहा हे चिड़िया रानी जाओ आज मैं तुम्हें स्वतंत्र कर रहा हूं और तुम खूब ऊंची उड़ान भरना और खुशी-खुशी अपना जीवन यापन करना। आया सुनकर बहुत खुश हुई। उसने आदमी को धन्यवाद कहा। चिड़िया का स्वतंत्र होने का सपना पूरा हो गया था और वहां खुले आसमान में पंख फैलाकर खुशी-खुशी उड़ रही थी।
