शापित कैनवास
शापित कैनवास
एक नन्हे बच्चे की भटकती आत्मा-----
मीता का एक वर्षीय बच्चा अचानक ही हिचक हिचक कर रोने लगा । मीता ने बहुत कोशिश की चुप नहीं हुआ ।आख़िरकार उसे सनी को उठाना ही पड़ा।
मीता --- "सनी मुझसे तो चुप हो नहीं रहा तुम्हारा यह लाड़ला, अब तुम्हीं कुछ करो ।सनी ने टाइम देखा --- ओह रात के 2 बजे रहै थे और यह मनु ।सनी ने उसे भींच कर अपने सीने से भींच लिया ।।घूम घूम कर थपकियां दे देकर वो मनु को सुलाने लगा ।कुछ देर में ही मनु सो गया , सनी ने उसे पालने में लिटा दिया ।
एक घंटे बाद बंद कमरे की खिड़कियों पर थपथपथपाथप। थपकियों की आवाजें आने लगीपति-पत्नी दोनों उठकर बैठ गये , मनु फिर सुरआलापने लगा ,अब मनू बार बार कमरे में रखी अलमारी की तरफ हाथ की अंगुली भी करता जा रहा था ।फिर वो खिड़कियों की तरफ अपनी हथैली करने लगा ।
सनी मीता को कुछ समझ नहीं आ रहा था , एक तो यह मनु का आलाप और ऊपर से खिड़कियों का भड़भड़ाना सुबह के 4 जरूर बज रहे थे पर था तो अभी घोर अंधेरा ही ।
सनी ----"मीता जरा खिड़की खोलकर तो देखो ,"और जैसे ही मीता ने खिड़की खोल कर देखी एक भयंकर हवा का झोंका जैसे खिड़की में से बाहर की ओर लपका , और फिर मनु भी चुप हो गया थोड़ी ही देर में सो भी गया ।
सुबह होते ही सनी और मीता मनु को डा. के पास ले गये ।वर्मा जी मैंने सारे चैकप कर लिये है कोई अंदरूनी दिक्कत नहीं है ।हो सकता है पेट में दर्द हो गया होगा ।" थैंक गाड , हम मनु को घर ले आए।" सनी 10 बजे अपने आॅफिस चले गए । शांता बाई रात को मनु सारी रात रोया ।
बताना तों, शांता बाई मनु का मनोयोग से मुआयना करने लगी ।
" अरे ।। मैम सा ऊपरी है ऊपरी ।"
" कल मंगलवार है ना , हनुमान जी का ढोक लगवा आना और काला धागा जरूर बंधवा लेना।"
"अच्छा मैम सा मैं कल यहां अल्मारी पर एक तस्वीर भूल गईं थी
लै जाऊं ।"
"मुझे भी दिखा ना ।"
बाई ने मुझे वो तस्वीर दिखाई , बहुत ही प्यारे बच्चे का बहुत ही खूबसूरत , हाथों से बनाया कैनवास , इतना जीवंत जैसे अभी बोल उठेगा।
"अच्छा बता , क्या तूने कैनवास मनु को दिखाया था , वो बार बार अल्मारी की तरफ हाथ कर रहा था ।"
"नहीं मैम सा मैंने तो मनु को नहीं दिखाया ।"बाई वो तस्वीर लैकर। चली गईं ।रात को मनु जल्दी ही सो गया था और हम भी जल्दी सो कर कल की कमी पूरी कर रहे थे ।
कि अचानक ही रात की नीरवता को तोड़कर डोर बैल बज उठी । डोर बेल निरंतर ही बजती चली जा रही थी ।सनी ने घड़ी देखी रात के 3 बज रहे थे । मैम सा हमारे बिटुआ को बचाई लो मैम सा शांता बाई लगातार ही झार झार रोते जा रही थी ।
"क्या हुआ बिटुआ को ?"
"लगातार दुई घंटे से पानी की उल्टी कर रहा है ।"
सनी ने फुर्ती से कार निकाली बाई के घर से बिटुआ को लेकर दौड़ा दी अस्पताल की ओर बिटुआ को एमरजैंसी में भर्ती कर लिया गया ।
करीब आधे घंटे बाद डाक्टर ने बताया बच्चा बच गया है ,आप समय पर लै आए ,वरना दस मिनट की देरी भी प्राण लेवा थी ।सनी बहुत परेशान हो रहे थे
"यह हो क्या रहा है" , पहले उनका मनु सारी रात रोया फिर बाईं का बच्चा।
वो आज आफिस नहीं गया , अपने दोस्त हैमंत को घर बुला करसारी परेशानी बताई ।
हैमंत -----"अरे तुम विश्वास करो तो तुम्हें कुछ कहना चाहता हूं
सनी - "हां बोलो ।"
हैमंत -----"अरे मत कहना कि मैं विश्वास नहीं करता एक पहुंचे हुए तांत्रिक हैं ' दैवराज ' मैं एक बार उन्हें यहां ले आता हूं ।"कभी ना मानने वाला सनी आज मान गया और एक घंटे में ही दैवराज को ले आया ।
दैवराज ने कमरे का निरीक्षण करके कहा कल रात को इस कमरे में कोई आत्मा कैद थी और खिड़कियां भड़भड़ा रही थी ।आखिर खिड़कियां खोलते ही यहां से आत्मा खिड़की में से तेज गति से बाहर की ओर गई ।
आपने भी हवा का अंदर से बाहर बहना महसूस किया होगा ना ।
अब सनी तांत्रिक को फटी फटी आंखों से देखे जा रहा था यह बात तो उसने हैमंत को भी नहीं बताई , फिर यह तांत्रिक।। वह समझ गया यह कौई साधारण व्यक्ति नहीं ।सनी फफक कर रौ पड़ा।" हमसे क्या भूल हो गई स्वामी , मैरा बच्चा ।"
तांत्रिक ---- "नहीं रोओ मत , तुम्हारा बच्चा सुरक्षित है , लैकिन किसी ओर के बच्चे की भी जान जा सकती है , हमें उस आत्मा को ढूंढ़ना होगा ।"
अच्छी तरह से ध्यान करके बताओ कि क्या कल यहां , इस कमरे में कोई बाहरी वस्तु थी ।
मीता -----" हां हां कल बाई ने बाहर से एक तस्वीर लाकर इस अल्मारी पर रख दी थी ।"
तांत्रिक----- "अब कहां है वो तस्वीर ।"
मीता -- "वो तो बाई कल सुबह ही ले गई ।"
"चलो"
और हम सब भागे बाई के घर की ओर ।पूछने पर बाई ने वो तस्वीर तांत्रिक के हाथों में दे दी ।नैत्र मूंदकर तांत्रिक ने तस्वीर पर हाथ फेरा ।यहीं हैं यही है विघ्न की जड़ ।तांत्रिक ने पूछा --- "यह तस्वीर तुम कहां से लाई हो ।"
बाई ने सनी की तरफ मुंह करके कहा -----" वो जो पास में राधिका भाभी है ना , उनके घर के नीचे पड़ी थी ।"
अब तस्वीर लेकर राधिका के घर की तरफ लपके ।सनी ने राधिका को तस्वीर दिखा कर पूछा------
"भाभी जी इस तस्वीर को पहचानती है "
राधिका --- "हां सनी यह तस्वीर मैं ने ही खरीदी थी ।"
सनी बैचेनी से पूछ बैठा ---"कहां से भाभी ।"
राधिका ---- "पिछले माह ही जो हैंडीक्राफ्ट मैला लगा था वहां से ।"
तांत्रिक ---" फिर इसे नीचे क्यूं फैका ।"
राधिका ----- मैंने नहीं , मैंरे पति राजेश ने फेंका ।
अब राजेश को फोन करके आफिस से बुलाया गया ।
राजेश ----- "हां मैंने ही फेंका इस मनहूस तस्वीर को ।"
इस तस्वीर के आने के बाद हमारे घर की सुख शांति समाप्त होने
लगी थी , मैं दफ्तर में लेट होने लगा ।हम दोनों में आए दिन छोटी छोटी बातों पर झगड़े होने लगे मैं समझ गया कि यह इस मनहूस का ही काम है , और क्रौध में आकर मैंने इसे 4 दिन पहले नीचे फैंक दिया ।
हैमंत --- "राजैश भैया सच सच बताना , अब घर में फर्क है ।"
राजैश --- "हां अब पहले जैसी शांति है ।"
अब हम सब की दौड़ हुई , मैले के इन्क्वायरी आफिस की ओर । वहां से पता लगा कि यह कैनवास तो नैपाल की एक शाॅप पर था ।हमें चैन कहां हमारे ऐ टी एम् लेकर हम चल पड़े नैपाल की ओर ।वहां वो दूकान हमें शीघ्र ही मिल गई ।
हमारे तमतमाते चैंहरों को देखकर दूकान दार तो शीघ्र ही डर गया साब एक उजाड़ पड़े बंगले के चौकीदार ने इसे मुझे सिर्फ 1000 में बेचा था ।
अब चौकीदार बहादुर को बुलाया गया ।वो सारी बात सुनकर हमारे पांवों पर पड़ गया ।
"मुझे माफ़ कर दो साब , मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हुआ ।"
"रोओ मत और इस तस्वीर और बंगले की सारी कहानी बताओ ।"
बहुत दर्दनाक कहानी है साहब ।बंगले के मालिक यशवंत सिंह और उनकी पत्नी मालविका दोनों ही प्रतिष्ठित राज घराने के थे ।दोनों बहुत ही सुंदर और बहुत ही प्रेमी स्वभाव के थे ।
बहुत ही सुखि जीवन था उनका , यश, सम्मान ऐश्वर्यता सभी कुछ तो था उनके पास ।
लैकिन फिर एक दिन उनके सुखि जीवन पर ऐसा ग्रहण लगा किसब को समाप्त कर ही दिया ।
मालकिन मां बनने वाली थी , हमेशा गुनगुनातो रहती थी ।नया प्यारा सा बहुत प्यारा गोरा गुलाबी बालक आया भी , लैकिन मात्र एक घंटे की सांसें लेकर चला गया ।
मालकिन विक्षिप्त हो उठीं मैरी पत्नी कमला ही उनकी सेवा सुश्रुषा में लगी रहती उन्हें बहलाने के लिए एक दिन मालिक ने उन्हें रंगों का डिब्बा और कैनवास लाकर दे दिया , क्यों कि कैनवास बनाने में वो बहुत माहिर थीं और उनकी कैनवास की कुछ प्रदर्शनियां भी लग चुकी थीं वो रंग देखकर चहक उठी , और उन्होंने कैनवास पर रंग फैरने शुरू कर दिये ।
उन्हें खुश देखकर मालिक भी खुश हो उठे , उन्होंने समझा मालविका ठीक हो रही हैं ।लैकिन ।।एक दिन जब मालकिन ने चहकते हुए कैनवास के आगे से पर्दा हटा कर दिखाया ।
देखो यशवंत मैरा शानू ।
मालिक रो पड़े , वो समझ गये मालविका अब कभी भी ठीक नहीं हो सकती ।ना तो मालकिन को मालिक से कोई लगाव रह गया था , ना ही अपने आप से और एक दिन मालिक ने इस कैनवास को श्राप दे ही डाला ।
"मालविका मनहूस है तूम्हारा यह कैनवास , यह जहां भी जायेगा
मनहूसियत और दुख ही फैलायेगा ।"
ऐसा कहकर अपने एकाकी जीवन से घबराकर मालिक ने विष --पान करके अपने जीवन का प्राणांत कर लिया ।मालकिन को कौन सा जीना था ।
भू।।।।।हूं।।।।।हूं।।।मैरे शानू को डाटा , नहीं शानू पापा तुम्हें बहुत प्यार करते हैं ,
बस गुस्से में डाट दिया ।मालकिन ने हम दोनों पति-पत्नी को अपने पास बुला कर
कैनवास मुझे सौंप दिया । मुझे वचन दो बहादुर शानू को हम दोनों से कभी जुदा नहीं करोगे
इस कैनवास को हम दोनों के बीच में ही रखोगे हमेशा के लिए ।
और उसी दिन ही मालकिन ने भी प्राण त्याग दिए ।मैं पापी हूं पापी हूं मैं ।।।।।।।। मैंने अपनी मालकिन की अंतिम इच्छा को धोखा दिया ।
मत रोओ बहादुर हमे उस बंगले पर ले चलो ।आश्चर्य घोर आश्चर्य जैसे ही वो सब बंगले की बाउंड्री पर पहुंचे। मैन गेट अपने आप खुल गया । केनवास जो कि हैमंत के साथ में था , हाथ से छूट कर उड़ चला कैनवास बंगले के गेट पर अधर में झूल रहा था उन सबने देखा तांत्रिक ने भी देखा ।
बंगले का दरवाजा अपने आप खुल गया । कैनवास अंदर प्रवैश कर गया ।
हमने बंगले में प्रवैश किया बहादुर ने सभी लाइटें इन कर दी ।बहुत बड़ा हाॅल था , जिसपर तीन दीवारों पर पूर्वजों की ऐश्वर्य वाली तस्वीरें लगी हुई थीं।और सामने की दीवार पर ही अपने माता-पिता की तस्वीर के बीच में ही वो कैनवास सैट हो गया अपने आप ही । ऐसा लगा कैनवास का बच्चा हमसे मुस्करा कर कह रहा है
"देखो । आ गया ना मैं अपने मम्मी पापा के पास ।"
एक बच्चे की भटकती आत्मा ने अपने माता-पिता को ढूंढ ही लिया ।
वापिसी पर सनी ने बहादुर को खर्चे के लिए रूपये दिये और कहा। विजिटिंग कार्ड देकर कहा कि , और आवश्यकता पड़े तो बात कर लेना ।अभी तुम बंगले की रखवाली करो ।तांत्रिक ने बहादुर को हिदायत दी कि ---चाहे जो भी हो जाये , इस बच्चे के कैनवास को यहां से मत हटने देना । और निश्चिंत होकर वो सब वापिस लौट आए ।